11 सितम्बर 2020. स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पिपली-कुरूक्षेत्र में भाजपा-जजपा सरकार द्वारा किसानों पर किये गए बर्बर लाटीचार्ज व प्रदेश के विभिन्न स्थानों से पिपली में आयोजित किसान बचाओ-मंडी बचाओ रैली में भाग लेने जा रहे किसानों को पुलिस बल पर रोकने की कठोर आलोचना करते हुए इसे संघीयों की किसान विरोध की पराकाष्ठा बताया।

विद्रोही ने कहा कि मोदी-भाजपा-खट्टर संघी सरकार किसानों को तो हक मांगने पर सत्ता दुरूपयोग व पुलिस लाठीचार्ज से रोकना चाहती है और बेशर्मी से किसानों को पुलिस से पिटवाती है। वहीं संघी समर्थक अदाकारा द्वारा मुम्बई की तुलना पीओके से करने व महाराष्ट्र को पाकिस्तान बताने पर उसे वाई प्लस सुरक्षा देकर महिमामंडित करती है। वहीं इस संघी अदाकारा से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के प्रति अभद्र व अशोभनीय भाषा के प्रयोग को बढावा देती है। भाजपा सरकार का यह रवैया बताता है कि उसकी प्राथमिकता फासिस्ट संघी ताकतों को मजबूत करना व गांधीवादी, लोकतांत्रिक ढंग से आवाज उठाने वाले देश के अन्नदाता किसान का दमन करना है।

 विद्रोही ने कहा कि यदि संघीायों अनुसार मोदी सरकार द्वारा जारी तीन कृषि अध्यादेश किसान हित में है तो इन अध्यादेशों का विरोध करने वाले किसानों को वह सत्ता बल से पुलिस का दुरूपयोग करके कुचलना क्यों चाहती है? किसानों को क्या सही व क्या गलत है, यह बताने का अधिकार भी क्या किसानों को नही है? केन्द्र द्वारा तीन कृषि अध्यादेश किसान हितैषी है या किसान विरोधी, यह किसान नही बतायेगा तो क्या किसानों का खून-पसीना चूसने वाले संघी बताएंगे? क्या लोकतांत्रिक भारत में किसानों को गांधीवादी तरीके से अपना विरोध जताने का अधिकार है या नही?

विद्रोही ने कहा कि भाजपा की सभाओं, बैठकों से कोरोना संक्रमण का खतरा नही है, पर किसानों के इक्कठे होने से कोरोना संक्रमण फैलेगा, यह कैसे दोहरे मापदंड है? वहीं विद्रोही ने कहा कि यदि भाजपा सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों सेे किसानों को फायदा होगा और उसकी फसले निजी अनाज व्यापारी औने-पौने दाम में नही लुटेंगे तो मोदी सरकार एक चौथा अध्यादेश लाकर यह सुनिश्चित क्यों नही करती कि घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव पर फसले खरीदना कानूनन अपराध होगा और ऐसे लोगों को जेल की हवा खानी होगी। 

error: Content is protected !!