महामारी में नेताओं को नहीं जनता की चिंता

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम साइबर सिटी के नाम से जाना जाता है, मुख्यमंत्री ने इसे स्मार्ट सिटी के नाम से घोषित किया हुआ है, अपनी पसंद के अधिकारी यहां नियुक्त किए हैं और इस समृद्ध जिले को अपनी बीमारी में भी याद रखते हैं, इलाज के लिए यहीं आते हैं। कारण, क्या यह कि उन्हें गुरुग्राम से प्यार है या यह कि उन्हें अपनी सरकार की स्वास्थ सेवाओं पर विश्वास नहीं। यहां की जनता के बारे में उन्होंने क्या सोचा, यह कभी बताया भी नहीं।

गुरुग्राम में कोरोना ने आतंक मचा रखा है। जिस प्रकार गुरुग्राम हरियाणा का सबसे अधिक कमाऊ जिला है, उसी प्रकार लगता है कि कोरोना के मरीज भी सबसे अधिक ही दे रहा है और जनता के हित में सबसे अधिक कार्य करने का दावा करने वाले ओमप्रकाश धनखड़, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला, गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत और मुख्यमंत्री की नजर में गुरुग्राम के बेहतरीन अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं। इनके पास बोलने को है कि प्रधानमंत्री के कृषि संबंधी तीनों अध्यादेश बहुत बेहतर हैं या फिर बोलने को है कि प्रधानमंत्री का जन्मदिन किस प्रकार मनाना है, जिससे वह ऐतिहासिक बन जाए।

वर्तमान परिस्थिति में मुख्यमंत्री, स्वास्थ मंत्री, सांसद और विधायक को जनता की जानलेवा बीमारी और ऐसी परेशानी जिनसे वे आत्महत्या की ओर अग्रसर हो रहे हैं, के बारे में सोचना चाहिए या प्लास्टिक को ना और मोदी को हां के बारे में।

गुरुग्राम में प्रशासन की ओर से आइसीएमआर के नियमों का कहीं पालन नहीं हो रहा है। न जिला कहीं उचित प्रकार से सेनेटाइज कराया जा रहा, कंटेंटमेंट जोन में बांस लगाकर कर्तव्य की इतिश्री समझी जाती है और तो और सरकार के अपने कार्यालयों में भी आइसीएमआर के नियमों का पालन नहीं हो रहा। एक ओर तो उपायुक्त अपील या आदेश करते हैं कि 60 वर्ष से अधिक के व्यक्ति घर में रहें, कार्य पर न निकलें, लोगों से दूरी बनाए रखें, दूसरी ओर जीएमडीए और नगर निगम में 60 की तो बात क्या, 68 वर्ष तक के व्यक्ति कार्य कर रहे हैं। हां, कुछ यह जरूर किया है कि अब 65 से अधिक वालों को वर्क एट होम करा दिया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री नहीं है, यह माना नहीं जा सकता, क्योंकि यह व्यक्ति मोटा वेतन पा रहे हैं केवल मंत्रियों और अधिकारियों की कृपा दृष्टि से। अब इसे क्या कहेंगे कि शासन-प्रशासन कोविड रोकने के लिए गंभीर हैं?

स्वास्थ सेवाओं का जिक्र करें तो सरकार की स्वास्थ सेवाएं कोविड के नाम से अन्य बीमारियों के मरीजों की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही हैं, जबकि अब डेंगू और मलेरिया आदि बरसात जनित बीमारियां अपने पैर पसार रही हैं और जो शुगर, बीपी, थायराइड, दमा, हृदय रोग आदि के मरीज अस्पतालों से दवा लेने को तरस रहे हैं कहां जाएं? और इन लोगों से मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोदी का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की बात कह रहे हैं। वाह, ऐसे ही कोरोना होगा ठीक।

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