— विजय बंसल ने कहा, समाधान नही हुआ तो हाईकोर्ट की लेंगे शरण
— जिला पंचकूला में समस्या ज्यादा, राजधानी के स्टीक होने के बावजूद सरकार बेखबर
— आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में वाहन चालकों व जानवरो को होता है नुक्सान
— हरियाणा गौवंश संरक्षण व गौसंवर्धन एक्ट 2015 की धारा 9 से 11 को प्रॉपर लागू करने की मांग

पंचकूला, 07 सितम्बर। राज्य व केंद्र सरकार प्रति माह लोगो से करोड़ो की राशि मे गौ टैक्स के रूप में ले रही है परन्तु पूरे प्रदेशभर में आवारा पशुओं की समस्या ज्यो की त्यों है, वही राजधानी से स्टीक जिला पंचकूला में इस समस्या ने जड़े पकड़ ली है जिस कारण आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में वाहन चालकों को तो नुकसान हो ही रहा है वही जीवन को भी दांव पर लगाया जा रहा है, इसके साथ ही गौमाता समेत अन्य अवारा पशुओं को भी दरकिनार किया जा रहा है जिसके समाधान के लिए शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष व पूर्व चेयरमैन विजय बंसल एडवोकेट द्वारा हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव तथा निदेशक,जिला उपायुक्त पंचकूला व कमिश्नर,नगर निगम पंचकूला को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के अपने वकील रवि शर्मा के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजा है और हरियाणा गौवंश व गौसंवर्धन एक्ट 2015 की धारा 9 से 11 के प्रावधानों को प्रॉपर तरीके से लागू करने की मांग की है।साथ ही स्पष्ट किया है कि यदि सरकार ने उनकी मांग को स्वीकार कर कोई जनहित में काम नही किया तो वह हाईकोर्ट की शरण लेंगे।

विजय बंसल ने बताया कि 28 सितंबर 2019 की रात को एक 34 वर्षीय बाइक चालक युवक की मौत एनएच 75 पर अवारा पशु से टकराने के कारण हुई, गत रात भी हाइवे पर एक वाहन चालक की जान अवारा पशु को बचाने के चक्कर मे बाल बाल बची, आए दिन गली मोहल्लों में अवारा पशुओं द्वारा बच्चो-बुजुर्गों को नुकसान पहुंचाने समेत अनेको मामले इस बात का साक्ष्य है कि सूबे की सरकार खासकर जिला पंचकूला में अवारा पशुओं के रखरखाव में विफल साबित हुई है जोकि कही न कही राज्य सरकार की आपराधिक उपेक्षा का साक्ष्य है। सड़क दुर्घटनाओं समेत अन्य मामलों में किसी अवारा पशु के खिलाफ कोई मामला भी दर्ज नही होता जिससे पीड़ितों को मुआवजा भी नही मिल पाता।

हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 2015 में गौवंश संरक्षण व गौसंवर्धन एक्ट बनाया गया जिसके तहत धारा 9 से 11 के तहत ऐसे संस्थान बनाने का प्रावधान बनाया जोकि हरियाणा के अंदर दुर्बल, घायल, आवारा व अमितव्ययी गाए को स्वीकार कर उनका रखरखाव करेगा। साथ ही इन संस्थानो को राज्य सरकार पर्याप्त आर्थिक व तकनीकी सहयोग उपलब्ध करवाएगा। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में राज्य सरकारों को गौमाता समेत अन्य पशुओं के रखरखाव व नस्ल के सुधार लिए दायित्व सौंपा है। अनुच्छेद 51 ए (जी) मे प्राकृतिक वातावरण के रखरखाव व सुधार के लिए प्रावधान है। बंसल का कहना है कि यदि इन प्रावधानों को लागू किया जाता तो आज अवारा पशुओं को दरकिनार कर सड़को पर होने वाले दुर्घटना व अन्य मामले सामने न आते।

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