– “राइट टू रीकॉल” के जरिए ग्रामीण मतदाताओं को देंगे सरपंच हटाने का अधिकार – डिप्टी सीएम

चंडीगढ़, 27 अगस्त। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश सरकार मॉनसून सत्र में पंचायती राज से जुड़े महत्वपूर्ण बिल (पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण, राइट टू रीकॉल और बीसी-ए वर्ग को पंचायत चुनाव में आठ फीसदी आरक्षण) को लेकर आने वाली थी लेकिन नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इन बिलों पर सदन में माननीय सदस्यों द्वारा चर्चा करने के लिए लंबा समय दिए जाने की मांग की इसलिए आगामी विधानसभा सत्र तक बिल को रोक लिया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की स्थिति सामान्य होने पर स्पीकर सदन को दोबारा बुलाएंगे और तब इस बिल को व्यापक चर्चा के बाद पास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंचायतों के विकास की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है।

राइट टू रीकॉल पर विपक्षी नेताओं द्वारा सवाल उठाने पर जबाव देते हुए उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार काम न करने वाले सरपंचों को हटाने के लिए इस बिल के जरिए ग्रामीण वोटरों को पावर देगी जबकि पहले रीकॉल का राइट पंचायत के सदस्यों यानी पंचों के पास ही था। दुष्यंत चौटाला ने आगे ये भी बताया कि वर्ष 1999  में बंसीलाल जी ने पंचायती राज से राइट टू रीकॉल की व्यवस्था को हटा दिया था। इनेलो नेता अभय सिंह के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर वे गंभीर नेता होते तो एक एक्ट के बाद दूसरे एक्ट में हुए बदलावों का ज्ञान रखते।

वहीं इसी विषय से संबंधित एक अन्य सवाल के जबाव में दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जननायक स्व. चौ. देवीलाल जी के सपना ‘राइट टू रीकॉल’ को विधायक-सांसदों पर भी लागू करने को लेकर वे केंद्र में अवसर मिलने पर जरूर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सबसे बड़ी ताकत पंचायती राज है इसलिए गांवों के विकास के लिए ग्रामीणों को राइट टू रीकॉल का अधिकार देने जा रहे है।

दुष्यंत चौटाला ने पत्रकारों से यह भी जानने की कोशिश की कि क्या किसी एक विधायक को कभी सदन में खड़े होकर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का सदस्य बनने की मांग करते हुए देखा है ? उन्होंने कहा कि एक विधायक के लिए बीएसी की सदस्यता इतनी क्या जरूरी हो गई कि वह पूरे सदन की कार्यवाही को बाधित करने का काम करेगा ? 

डिप्टी सीएम ने प्रदेश के युवाओं को 75 प्रतिशत निजी क्षेत्र की नौकरियों देने संबंधित सवाल का जबाव देते हुए जानकारी दी कि उस बारे में तैयार अध्यादेश राज्यपाल के जरिये राष्ट्रपति के पास गया हुआ है और आने वाले दिनों में उस अध्यादेश को वापिस लेकर मजबूत बिल लाने का रास्ता बनाया जाएगा। दुष्यंत चौटाला ने बताया कि बिल लाने के लिए अध्यादेश को वापिस लेना जरूरी है और इसके लिए फैसला कैबिनेट मीटिंग में ही हो सकता है। डिप्टी सीएम ने कहा कि इसी तकनीकी दिक्कत की वजह से इस सत्र में युवाओं के निजी नौकरियों में आरक्षण का बिल नहीं आ पाया।

पत्रकारों के एक सवाल के जबाव में दुष्यंत चौटाला ने ये भी बताया कि हरियाणा इकलौता ऐसा राज्य है जिसने कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को वेतन सही समय पर देने का काम किया। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं अनलॉक-1 के तहत भी हरियाणा अपने बड़े प्रोजेक्टों समेत निर्माण कार्यों को तेजी के साथ शुरू करने में सबसे आगे रहा।

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