हरियाणा स्टेट अनाजमंडी आढ़ती एसोसिएशन ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन.
केंद्र के बिल को बताया किसान, आढ़ती, मजदूर और मुनीम विरोधी.
केंद्र के उपरोक्त बिल पर आढ़ती, किसान मजदूर, मुनीम में भारी रोष

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
    केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए फार्मर ट्रेड एंड कॉमर्स एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट व कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट को लेकर आढ़तीओ में जबरदस्त रोष बना हुआ है। हेलीमंडी अनाज मंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष एवं हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष दिनेश अग्रवाल की अगुवाई में फरुखनगर, तावडू, सोहना के व्यापारियों ने सीएम मनोहर लाल खट्टर के नाम डीसी को एक मांग पत्र और ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध दर्ज करवाया है । इस मौके पर मार्केट कमेटी के पूर्व वाइस चेयरमैन अजय मंगला, धर्मपाल, अमित कुमार, लोकेश ,चिराग ,रमेश कुमार गर्ग ,राम अवतार ,फरुखनगर और सोहना के व्यापार मंडल अध्यक्ष भी मौजूद थे ।

व्यापारी नेता दिनेश अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा हाल ही में और जल्दबाजी में फार्मर ट्रेड एंड कमर्स एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट वर्क कांट्रैक्ट फार्मिंग को हरियाणा सरकार ने भी ज्यों का त्यों लागू कर दिया है । वास्तव में यह बिल किसान और मजदूर और मुनीम विरोधी है । उन्होंने कहा कि इस बिल और इसमें समाहित कानून की गहराई में देखेंगे तो यह बिल केवल और केवल आने वाले समय में बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों के हित में ही लाभकारी साबित होगा । उन्होंने बताया कि पंजाब ,चंडीगढ़, राजस्थान के किसान ,आढ़ती, मजदूर और मुनीम आंदोलन कर रहे हैं । आने वाले समय में उपरोक्त बिल और कानून के विरोध में पूरे देश में भी आंदोलन हो सकता है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। दिनेश अग्रवाल के मुताबिक केंद्र सरकार के द्वारा पारित और हरियाणा सरकार के द्वारा लागू किए गए उपरोक्त बिल के कारण हरियाणा को ही सबसे अधिक नुकसान होने वाला है कि हरियाणा के हालत बिहार के किसानों से भी बदतर हो जाएगी ।

पटौदी मार्केट कमेटी के पूर्व वाइस चेयरमैन रहे अजय मंगला ने कहा कि हरियाणा में गेहूं खरीद की सरकारी एजेंसियों के द्वारा किसानों की गेहूं के लस्टरलेस का पैसा आढ़तीओ की आढ़त से काट लिया गया है ,जो की पूरी तरह से नाजायज और गैर कानूनी है । उन्होंने कहा लस्टरलेस एक प्राकृतिक आपदा है । इससे पहले सरकार इस नुकसान की भरपाई स्वयं करती आई है , लेकिन इस बार आढ़तियों की आढ़त में से पैसा क्यों काटा गया ? इस बात को लेकर आढ़तीओ में रोष बना हुआ है । उन्होंने मांग की है लस्टर लाॅस के नाम पर जो पैसा आढ़तियों से काटा गया है वह पैसा वापस लौटाया जाए। इसी कड़ी में व्यापारी नेता दिनेश अग्रवाल ने कहा कि आढ़ती एसोसिएशन को भरोसा दिलाया गया था कि खरीद एजेंसियों द्वारा 7 दिन से ज्यादा देरी के भुगतान पर आढ़तीयों को 12 प्रतिशत का ब्याज दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी किया था। लेकिन अब बार-बार मांग किया जाने पर भी सरकार के द्वारा यह ब्याज नहीं दिया जा रहा । वही आढ़ितयों में से दो-चार दिन की देरी का भी 15 प्रतिशत वार्षिक दर के हिसाब से ब्याज काट लिया गया है । यह पूरी तरह से आढ़ती और किसान विरोधी है ।

व्यापारी नेताओं ने अपनी मांग में कहा है कि बीते कुछ वर्षों से काटन, सूरजमुखी ,सरसा,ें बाजरा इत्यादि फसलें सरकार स्वयं सीधे किसानों से खरीदने लगी है और आढ़तियों की इस खरीद के अंदर अनदेखी की जा रही है । इससे सरकारी अधिकारियों ने कथित भ्रष्टाचार करके किसानों को परेशान किया हुआ है। व्यापारी नेता ने कहा सरकार का काम व्यापार करना नहीं, बलिक व्यापार को कंट्रोल करना है ।

उन्होंने हरियाणा सरकार से मांग की है कि सभी प्रकार की फसलों की खरीद व बिक्री आढ़तियो के माध्यम से ही की जानी चाहिए।  उन्होंने कहा कि हरियाणा में आढ़ती और किसान परिवारों के बीच पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा एक प्रकार से पारिवारिक और स्वस्थ तालमेल बना हुआ है, फिर भी सरकार किसानों को सीधे भुगतान की प्रक्रिया जबरदस्ती क्यों थोप रही है । उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किसान की फसल जिस दिन मंडी में बिकती है आढ़ती किसान के खाते में उसी दिन वह रकम जमा करा देता है और किसान की भुगतान की 100ः गारंटी भी आरती की ही होती है लेकिन इस बार सरकारी खरीद एजेंसियों के सरकार द्वारा किसानों के बैंक खाते में भुगतान पहुंचाने का कार्य किया गया और यह भुगतान किसानों को 15 से 60 दिन अर्थात एक पखवाड़े से 2 महीने की देरी तक मिला है । जब किसानों को के द्वारा भी सीधे भुगतान की मांग नहीं की गई है, तो ऐसे में एसोसिएशन का अनुरोध है की सरकारी खरीद का भुगतान किसान को पहले की तरह आढ़ती के माध्यम से ही किया जाए। इसमें सरकार, आढ़ती और किसान सभी संतुष्ट रह सकेंगे।

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