हेलीमंडी में 2 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हाल ही में बनाए गए.
एक वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की  लागत 8. 50 लाख रूपए

फतह सिंह उजाला
पटौदी
 ।    बरसात का होना, यह प्रकृति का नियम और अधिकार है । बरसात होने से कोई नहीं रोक सकता। कहां होगी, कितनी होगी, यह भी कोई दवा नहीं किया जा सकता । लेकिन जब बरसात मूसलाधार और झमाझम हो तो बरसाती पानी का भी भऱना स्वाभाविक बात है । बरसात होने के बाद भरा हुआ पानी 2-4 घंटे में निकल जाए तो लोगों को कोई परेशानी नहीं रहती । लेकिन जब बरसाती पानी घंटों खड़ा रहे या यूं कहें जो 2 दिन तक हिलोरे लेता रहे तो बरसाती पानी की निकासी और इसके लिए प्रोजेक्ट पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं ।

बात करते हैं पटौदी हलके की हेलीमंडी अनाज मंडी क्षेत्र की या फिर हेलीमंडी नगर पालिका क्षेत्र की। बीजेपी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता के संज्ञान में हेली मंडी नगर पालिका क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर लगाए गए कथित वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अथवा प्रोजेक्ट की साइट पर ले जाकर मौका मुआयना करते हुए जानकारी दी गई । कथित रूप से हैरानी और चैंकाने वाली बात यह रही , जहां जहां भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे अथवा लगाए गए वह हकीकत में जमीन पर दिखाई ही नहीं दिए। जिसके बाद लोगों ने फिर से अनुरोध किया कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम फिर से लगाए जाए । सुलझे हुए राजनेता एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि आप नए सिरे से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए जिला प्रशासन से अनुरोध करें, इसके बाद जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ।

अब बात करते हैं हाल ही में हेलीमंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा हेलीमंडी अनाज मंडी परिसर में और पालिका क्षेत्र में लगाए गए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की । सबसे अधिक चर्चा का केंद्र बना है हेली मंडी अनाज मंडी में प्रवेश करते ही बनाया गया वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम । यह वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सही मायने में जहां बनाया जाना चाहिए था , उस जगह को अनदेखा करके और आगे की तरफ बनाया गया है। इसका दूसरा पहलू यह है कि जहां ढलान अधिक है और जलभराव अधिक समय तक रहता है , यह वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम उस जगह के विपरीत करीब 20 से 30 फुट दूरी पर बनाया गया। जहां जल भराव रहने वाले स्थान की बनी ऊंचाई अधिक है । ऐसे में सवाल उठने भाविक हैं, कि जहां ऊंचाई है और पानी का लेवल बहुत कम रहेगा । वहां लाखों रुपए के वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कितने उपयोगी साबित हो सकेंग ?े यह सही मायने में गंभीर विचारणीय प्रश्न है ।

हेली मंडी क्षेत्र में अभी तक करीब 3 बार मूसलाधार बरसात हुई है और अनाज मंडी परिसर में जो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया है वह पूरी तरह से नकारा ही साबित हुआ है । इसका यही एक ठोस कारण है कि जहां यह बनाया गया वह ऊंचाई के स्थान पर है और जहां ढलान हैं और पानी अधिक समय तक भरा रहता है उस स्थान की अनदेखी कर दी गई है । अब यह तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की साइट को फाइनल करने वाले, इस प्रोजेक्ट पर विचार करने वाले और इसका निर्माण करने वाले विशेषज्ञ अधिकारी ही बेहतर जवाब देकर संतुष्ट कर सकेंगे कि क्या सही मायने में सरकारी पैसे का जनहित में और प्रकृति हित में ठीक से इस्तेमाल किया गया। अथवा कथित रूप से अपने ही चाहने वालों का इसमें भला किया जाना छिपा हुआ था ।

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