भिवानी/मुकेश वत्स केंन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेशों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन व मण्डी आढ़तियों ने भाकियू युवा जिला अध्यक्ष राकेश आर्य निमड़ीवाली व रामनिवास सिवानी वाला के नेतृत्व में मंडी में एकत्रित हुए तथा विरोध प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय पहुंचे। इसके बाद तहसीलदार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहरलाल के नाम ज्ञापन सौंपा। उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से जारी किए गए तीनों अध्यादेशों को वापिस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर केन्द्र सरकार ने जारी किए गए अध्यादेशों को वापिस नहीं लिया तो 10 सितंबर को पिपली में होने वाली किसानों व आढ़तियों की महापंचायत में सरकार के खिलाफ पूरे प्रदेश के किसानों व आम जनता के साथ मिलकर ठोस कदम उठाने पर मजबूर होंगे। राकेश आर्य ने बताया कि 5 जून को केन्द्र सरकार ने तीन अध्यादेश जारी किए थे जिससे किसानों का भारी नुकसाशान हो रहा है। मंडी से बाहर किसान की उपज को खरीद सकता है जिस पर सिकी भी तरह का सरकारी या गैर सरकारी शुल्क नहीं है और न ही इस पर सरकार का कोई कंट्रोल होगा। जबकि हरियाणा में सुदृढ़ मंड़ी व्यवस्था है जहां सरकारी अधिकारियों की चिगरानी में खरीदाररों के बजी प्रतिस्पर्धात्मक बोली सिस्टम से किसान की उपज की किसान के सामने उच्चतम बोली लगाकर उपज की बिक्री की जाती है। किसान को उसकी उपज केभुगतान की 100 फीसदी गारंटी आढ़ती की होती है और हरियाणा में अनेक व्यापारियों पर आढ़तियों की फसल की पूरी किमत न मिलने के कारण बकाया खड़ा है पर किसी किसान का कोई बकाया नहीं है। यही कारण है कि हरियाणा प्रदेश का किसान दूसरे राज्यों के किसानों से अधिक संपन्न है। इन आदेशों के कारण किसानों के भविष्य एवं खाद्य सुरक्षा पर गंभीर संकट मण्डराने लगा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश की गठबंधन सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वायदा किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद गठबंधन सरकार ने किसानों की कमर तोडऩे का काम किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने एसंसल कमोडिटी एक्ट 1955 में बदलावकरके आलू, प्याज, दलहन, तिलहन आदि भण्डारण पर लगी रोक को हटा लिया है। इसे किसानों को नहीं बल्कि बड़ी कंपनियों को ही फायदा होगा। Post navigation अनमोल शर्मा ने अपना नाम पका किया नासा के अगले मिसन मंगल के साथ ले जाने के लिए जंगल प्रोजेक्ट के तहत सरकारी कार्यालय परिसर होंगे हरे-भरे