कांग्रेस के पास नहीं है पिछड़ा वर्ग का प्रभावी चेहरा, भाजपा ने ओबीसी को रिझाने को बनाई नीति, पार्टी संगठन में भी भाजपा है कांग्रेस पर भारी

ईश्वर धामु

चंडीगढ़।  हरियाणा की राजनीति में इन दिनों बरोदा उप चुनाव मुख्य मुद्दा हैं। वर्तमान हालातों में बरोदा उप चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्र बन गया है। चर्चाकारों का कहना है कि बरोदा का उप चुनाव हुड्डा का राजनैतिक भविष्य तय करेगा। क्योकि बरोदा से कांग्रेस की हैट्रिक भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कारण से ही लगी थी। जबकि सभी जानते हैं कि एक समय में बरोदा की सीट इनेलो की परम्परागत सीट रही थी। जाट बाहुुल्य इस सीट के समीकरण भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने बदले थे। अब राजनैतिक क्षेत्रों में बरोदा उप चुनाव के लिए हुड्डा पर ही सबकी नजरें टीकी हुई है।

हुड्डा समर्थकों ने बरोदा क्षेत्र के गांवों में दौरे लगाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस की टिकट किसको मिलती है, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। कांग्रेस की टिकट की लम्बी लाइन में चर्चाकार हुड्डा की धर्मपत्नी आशा हुड्डा का नाम भी ले रहे हैं। परन्तु अभी तक आशा हुड्डा को लेकर मीडिया के अलावा कहीं भी चर्चा नहीं चल पाई है। चर्चाकारों का कहना है कि आशा हुड्डा को कांग्रेस अपना प्रत्याशी उस स्थिति में बनायेगी, जब भाजपा के प्रत्याशी पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु होंगे। बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार फिर गैर-जाट का कार्ड खेलेगी। पिछली बार भी भाजपा ने योगश्वर दत्त को अपना प्रत्याशी बनाया था। अभी भी योगेश्वर दत्त को ही प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चाएं हैं। भाजपा इस बार भी गैर-जाट को प्रत्याशी बना कर अपना गेम रोहतक की तर्ज की बजाना चाहती है।

दूसरी ओर कांग्रेस अपने परम्परागत वोट को भी रिझाने नहीं पा रही है। अभी भी कांग्रेस बरोदा में जाट वोटरों को रिझाने के लिए काम कर रही है। परन्तु वो एससी और बीसी को आकर्षित करने का प्रयास नहीं कर रही है। जबकि एससी और बीसी बरोदा में निर्णायक भूमिका निभायेगी। भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने को बीसी प्रचारित कर इस वर्ग के वोटर को भाजपा से जोड़ा था। पर जो बीसी भाजपा से जुड़ा, अब समय पाकर वो अपने का ठगा महसूस कर रहा है और गृह वापिसी करना चाह रहा है। परन्तु कांग्रेस के पास पिछड़ा वर्ग को रिझाने के लिए कोई प्रभावी चेहरा नहीं है।

मीडिया में पूर्व चेयरमैन योगेन्द्र योगी ही छाए रहते हैं। पिछड़ा वर्ग को लेकर वों अपनी बात सरकार तक पहुंचाने में लगे ाहते हैं। परन्तु हुड्डा के विश्वास पात्र होने के बावजूद भी पार्टी में उनको उचित स्थान नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर सत्तासीन पार्टी भाजपा ने 8 प्रतिशत आरक्षण देकर ओबीसी को आकर्षित करने का प्रयास किया है। चर्चाकारों का यह कहना है कि कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग के चेहरे तो आगे लाए पर वें अपने वर्ग की आवाज नहीं बन पाएं। कांग्रेस के रामजीलाल कुरड़ीवाले और डाक्टर राम प्रकाश उम्र दराज हो जाने के कारण स्वत: ही पीछे चले गए।

एक विशेष स्थिति यह भी रही कि राजनीति में कुम्हार, नाई, जांगिड़, कश्यप, काम्बोज, धीमान, सुथार को ही आगे आने का मौका मिलता चला गया तो पिछड़े वर्ग में शेष बची जातियां राजनीति में अपने आप पिछड़ती चली गई।

अब कांग्रेस के पास अति पिछड़ा वर्ग का कोई चेहरा भी नहीं है, जो इस वर्ग को आकर्षित कर से। जबकि भाजपा के पास रामचन्द्र जांगिड़ा, राम कुमार कश्यप, रणबीर गंगवा, कर्णदेव कम्बोज जैसे चेहरे हैं। दूसरी ओर गैर-जाट जातियों को लामबंद करने के लिए भाजपा ने सांसद संजय भाटिया को लगाया हुआ है। बताया गया है कि भाजपा कांग्रेस में उपेक्षित समझने वाले पिछड़े वर्ग के चेहरों से भी सम्पर्क बनाए ंहुए हैं। साथ ही संगठन के अभाव में बिखरी कांग्रेस के सामने भाजपा ने मजबूत संगठन की चानौती खड़ी कर दी है। ऐसे में कांग्रेस को बरोदा उप चुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। 

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