भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

आज स्वच्छता भारत मिशन के परिणाम घोषित हुए, जिसमें गुरुग्राम को 62वां स्थान मिला, जबकि करनाल को 17वां स्थान मिला। क्या यह गुरुग्राम के लिए विचारनीय विषय नहीं।

जब प्रधानमंत्री ने 100 स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की और उसमें गुरुग्राम का नाम नहीं आया तो मुख्यमंत्री ने हरियाणा सरकार की ओर से गुरुग्राम को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया तथा स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कार्य भी आरंभ कर दिए। उस पर करोड़ों रूपए खर्च हो चुके हैं लेकिन लगता है कि अधिकारियों की लेट-लतीफी, लापरवाही या भ्रष्टाचार के कारण स्मार्ट सिटी बनने की योजना लटकती ही जा रही है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब गुरुग्राम को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने ही चुना और फिर मुख्यमंत्री का गृह जिला स्वच्छता भारत मिशन के सर्वेक्षण में 17वें स्थान पर आता है और गुरुग्राम 62वें स्थान पर आता है। ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने यह सवाल अवश्य उठना चाहिए कि जब गुरुग्राम को इतना धन भी दिया जा रहा है और उन्होंने अपने चहेते अफसर भी यहीं लगा रखें तो गुरुग्राम आखिर पिछड़ क्यों रहा है?

आज की स्थिति देखें तो स्मार्ट सिटी की तो बात दूर जलमग्न गुरुग्राम के रूप में दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री पहले भी गुरुग्राम में आकर एक बार दृश्य देख चुके हैं और वादा करके गए थे कि ऐसा अब दोबारा नहीं होगा परंतु ऐसा हुआ।

ऐसे में मुख्यमंत्री से गुरुग्राम के नागरिक यह तो आशा कर ही सकते हैं कि यह जिन अधिकारियों, नेताओं की गफलत, लापरवाही या भ्रष्टाचार की वजह से हुई है, उनकी जांच कर उन्हें दंडित करने का कार्य करें।

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