किसान को देशद्रोही बताने वालों को देश स्वीकार नहीं करेगा; किसान को देशद्रोही बताने वालों का जवाब बरोदा देगा किसान को देशद्रोही बताने वाले और मजदूर की लाठियों से पिटाई कराने वाले दल को शर्म आनी चाह किसान के हर आन्दोलन के साथ हैं, किसान और मजदूर की लड़ाई हम लड़ेंगे – दीपेन्द्र हुड्डा चंडीगढ़/करनाल, 18 अगस्त। राज्यसभा सांसद और CWC सदस्य दीपेंद्र हुड्डा आज करनाल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि किसान पर चौतरफा मार के ऊपर एक और चोट 3 नये कृषि अध्यादेश लाकर की गयी है। सारी व्यवस्थाओं को दरकिनार कर ये अध्यादेश लाये गये। MSP, मंडियों की व्यवस्था को धराशायी करने के लिये कोरोना की आड़ में 3 अध्यादेश लाये गये। बिना किसी नियम, नियंत्रण के खरीद का निजीकरण करने की तरफ सरकार का फैसला आया है। पूरे देश और प्रदेश के किसान इन अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं। किसान को देशद्रोही बताने वाले और मजदूर की लाठियों से पिटाई कराने वाले दल को शर्म आनी चाहिए। किसान को देशद्रोही बताने वालों को देश स्वीकार नहीं करेगा; किसान को देशद्रोही बताने वालों का जवाब बरोदा देगा। उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा रूपरेखा में यदि 3 नये कृषि अध्यादेशों को बढ़ाया जायेगा तो किसान की हालत आजादी से पहले वाली स्थिति में पहुंच जायेगी। उन्होंने नये कृषि अध्यादेशों को वापस करने तथा MSP कानून बनाने की मांग की। सांसद दीपेंद्र ने यह भी कहा कि अध्यादेश में ये प्रावधान किये जाएं कि MSP से कम में कोई खरीद नहीं होगी, यदि कोई ऐसा करे तो दंड का भी प्रावधान हो। उन्होंने कहा कि देश भर के किसान संगठन, तमाम कृषि विशेषज्ञ इस बात को कह रहे हैं कि नये कृषि अध्यादेश MSP सिस्टम पर सबसे बड़ी चोट साबित होंगे। नये अध्यादेश आजादी के बाद से आज तक किसानों को अपने पैरो पर खड़े करने और सशक्त बनाने वाली MSP व्यवस्था पर बड़ा प्रहार है। आजादी से पहले MSP की व्यवस्था नहीं थी। MSP का सबसे पहले प्रस्ताव 1948 में संविधान सभा में चौ. रणबीर सिंह जी ने रखा। उसके बाद धीरे धीरे MSP का कानून बना और उसमें फसलें जोड़ी गयी। यदि MSP व्यवस्था कमजोर हुई तो मंडी व्यवस्था के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग जायेगा। सांसद दीपेंद्र ने आगे कहा कि मंडियों की व्यवस्था ही अगर कमजोर हो जायेगी तो मंडियों से जुड़े मार्केटिंग के लोगों को भारी आर्थिक चोट पहुंचेगी। हरियाणा को मंडी शुल्क से करीब 6 प्रतिशत मंडी शुल्क से राजस्व मिलता है। इसकी भरपाई कहां से होगी। मंडी व्यवस्था को दरकिनार कर निजी खरीददारों को बिना किसी कानून के खरीद की तरफ लेकर गये तो किसान के हितों की रक्षा कौन करेगा। उन्होंने कहा कि जब सरकार MSP पर खरीद से पीछे हट जायेगी, तो निजी कंपनियां किसान के मुनाफे के लिये नहीं बल्कि अपने मुनाफे के हिसाब से खरीद करेंगी। सरकार खुद खरीद से बच रही है और निजी कंपनियों को खरीद के लिये लाने की बात कर रही है। जिसका बड़े पैमाने पर किसान विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में लाखों छोटे और मध्यम किसान ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं। जब बड़ी-बड़ी निजी कंपनियां हजारों लाखों एकड़ जमीन ठेके पर ले लेंगी तो फिर लाखों छोटे किसानों की आजीविका का क्या होगा। अगर सरकार ने अनियंत्रित कान्ट्रैक्ट फार्मिंग की तरफ अपने कदम बढ़ाये तो लाखों छोटे किसानों की आजीविका नष्ट हो जायेगी। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि हमारे देश में जो किसान का नहीं, वो किसी का नहीं। किसान देश में खेतों को अपने पसीने से सींचता है और उसका बेटा सैनिक बनकर अपने खून से देश की सीमाओं की रक्षा करता है। चाहे जेठ की गरमी हो या पौ का पाड़ा किसान दिन रात खेतों में काम करता है तब जाकर देश का पेट भरता है। उसका बेटा चाहे राजस्थान का रेगिस्तान हो या सियाचिन का ग्लेशियर हो, बार्डर पर देश रक्षा में खड़ा रहता है। लेकिन, भाजपा ने देश को खून-पसीने से सींचने वाले किसान वर्ग को भी देशद्रोही कहा है, ये किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि देश और प्रदेश में किसान के साथ घोर अन्याय हो रहा है। किसान पीड़ा में अपनी बात रख रहा है। तो भाजपा किसानों को देशद्रोही कह रही है। 6 साल से किसान चिंतित हैं। हर बार खरीद के लिये किसानों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। स्वामीनाथन का C2 भाव मिलना तो दूर, मौजूदा भाव ही नहीं मिला। भाजपा सरकार में 6 वर्ष में औसतन MSP गेहूं का भाव हर साल 4 प्रतिशत धान का 5 प्रतिशत गन्ने का 1 प्रतिशत बढ़ा। जबकि हमारी 10 साल की सरकार में गेहूं में 15 प्रतिशत धान की 16 प्रतिशत गन्ने की 17 प्रतिशत MSP की वृद्धि हुई। धान का एक्सपोर्ट बंद हो गया। गन्ने का पेमेंट नहीं मिला। धान घोटाले के माध्यम से खरीद में भारी घोटाला किया गया और फिर घोटाले पर पर्दा डालने का काम किया गया। खर्चा तेजी से बढ़ा और किसान का बुरा हाल हुआ। जब किसान सड़क पर आया तो बीजेपी ने प्रेस वार्ता करके आधिकारिक तौर पर कहा कि किसान देशद्रोही हैं। किसान को देशद्रोही बताने वाले दल को शर्म आनी चाहिए। अपनी आवाज उठाने पर किसानों को देशद्रोही करार दे तो ये स्वीकार्य नहीं हो सकता। इतना घमंड किसी सरकार में नहीं देखा। किसान को देशद्रोही बताने वालों और मजदूर की लाठियों से पिटाई कराने वालों को देश स्वीकार नहीं करेगा; किसान को देशद्रोही बताने वालों का जवाब बरोदा देगा। सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि भाजपा की प्रदेश सरकार किसान के प्रति असंवेदनशील हो चुकी है। उन्होंने कहा कि वे किसान के हर आन्दोलन के साथ हैं और किसान-मजदूर की लड़ाई लड़ने का काम हम करेंगे। Post navigation सतलुज यमुना लिंक नहर : केंद्र, हरियाणा व पंजाब के मध्य हुई वार्ता संतोषजनक रही। हरियाणा पुलिस महानिदेशक कार्यालय, पंचकुला बुधवार और गुरुवार को बंद सरकारी कार्यालयों पर कोरोना का कहर