चण्डीगढ़, 13 अगस्त- हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत की नींव तैयार करने वाली है तथा इस नीति में युवाओं को जिस तरह की शिक्षा व कौशल चाहिए उस पर फोकस किया गया है। इसके तहत, अब प्रत्येक विद्यार्थी, चाहे वह नर्सरी में हो या कॉलेज में हो, वैज्ञानिक तरीके से पढक़र राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभा सकेगा। आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद दर को 6 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता है।  

         शिक्षा मंत्री आज केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तत्वावधान में पत्र सूचना ब्यूरो, चण्डीगढ़ द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित वैबिनार में बोल रहे थे।

         उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मूल्यों के साथ जोड़ते हुए यह नीति तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि पहली बार शिक्षा नीति तैयार करने के लिए लाखों सुझावों को इसमें शामिल किया गया, जो इस बात को दर्शाता है कि लोग वर्षों से चली आ रही शिक्षा व्यवस्था में बदलाव चाहते थे, जो इस नीति में देखने को मिला है। आरम्भ में इसे क्रियान्वित करने में विभिन्न राज्यों के शिक्षा विभागों को अभी से ही तैयारी करनी होगी।

         स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा0 महाबीर सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार ने नई शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर लागू करने की सभी प्रकार की तैयारियां शुरू कर ली हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में अध्यापकों के ऑनलाइन स्थानान्तरण के लिए नीति लागू की है, जिसका अन्य राज्य अनुसरण कर रहे हैं। उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव श्री अंकुर गुप्ता भी वैबिनार से जुड़े और उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा इस दिशा में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। 

         महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक के कुलपति प्रो0 राजबीर सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक बहुआयामी नीति बताते हुए कहा कि इससे स्कूली व उच्चतर शिक्षा की व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, वे सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों व प्रशासनिक ढांचे की इस नीति को लागू करने में अहम भूमिका होगी।

         सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, उत्तर क्षेत्र की अतिरिक्त महानिदेशक श्रीमती देवप्रीत सिंह ने अपने स्वागतीय भाषण में सभी अतिथियों का वैबिनार से जुडऩे तथा अपने अमूल्य सुझाव देने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग बढऩे से यह जरूरी हो गया है कि बच्चे न केवल पढऩा सीखें बल्कि उससे भी ज्यादा जरूरी हो गया है कि किन साधनों से सीखें।

         वैबिनार में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग के चेयरमैन प्रो0 विकास डोगरा ने भी अपने विचार सांझे किए।

error: Content is protected !!