डीपी वर्मा

चंडीगढ़. बेशक अभी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है परंतु सोनीपत जिले के बरोदा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव स्टार्ट हो गया है l यूं तो यहां सभी राजनीतिक दल और उम्मीदवार पिछले 2 महीने से पॉलिटिकल एक्सरसाइज करने में लगे हुए हैं परंतु चुनाव स्टार्ट होने का संकेत इस बात से माना जा सकता है कि सत्ता की केंद्र बिंदु भारतीय जनता पार्टी ने बरोदा में अपना चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिया है l यूं तो इसे भारतीय जनता पार्टी मैं अंदरूनी गतिरोध के रूप में भी देखा जा रहा है परंतु अब चुनाव है lचुनाव में संगठन और सरकार दोनों की अपनी अपनी जिम्मेदारियां भी अलग-अलग होती हैंl

सवाल यह है कि जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पहले ही बरोदा के लिए पार्टी के प्रदेश महासचिव और सांसद संजय भाटिया को प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी सौंप रखी थी और वह ज्यादा समय वही लगा रहे थे तो नए अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने अपनी ओर से बरोदा विधानसभा के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रभारी प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल को अलग से प्रभारी क्यों नियुक्त कर दिया l जो लोग इसे भाजपा की अंदरुनी गतिरोध के रूप में देख रहे है उन्हें भाजपा वाले यह जवाब देकर चुप कराने का प्रयास कर सकते हैं कि दोनों अपने-अपने फील्ड में अपने अपने लोगों में जाकर काम करेंगे तो भारतीय जनता पार्टी को दोनों जगह लाभ होगा l

बरोदा उपचुनाव को लेकर इस समय जो प्रगति हो रही है उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी बेशक इस मूलमंत्र को प्रचारित कर रही हो कि हम इकट्ठा चुनाव लड़ेंगे परंतु अब ऐसा लगने लगा है कि भारतीय जनता पार्टी जेजेपी का नहीं बल्कि अपना उम्मीदवार खड़ा करेगीl वह कौन होगा यह तो वक्त बताएगा परंतु संभावना होते हुए भी भारतीय जनता पार्टी जेजेपी के उम्मीदवार को अपना सिंबल देखकर चुनाव लड़ने के फार्मूले को अब स्वीकार करती नजर नहीं आ रही lयदि उसने इस मामले में शतरंज की बिसात बिछा दी होगी तो फिर जेजेपी के लिए यह चुनाव बहुत खतरनाक साबित हो सकता है l देखा जाए तो अब बीजेपी की स्थिति बहुत सुखद नहीं रह गई है l कारण यह है कि वह डिफेंसिव अर्थात बचाव की मुद्रा में दिखाई देने लगी है l कारण साफ है lसिद्धांत की बात भी की जाए तो भारतीय जनता पार्टी का इस मामले में इसलिए भी पक्ष मजबूत है कि पिछले चुनाव में उसका उम्मीदवार मुकाबले में हारा मतलब दूसरे नंबर पर रहा जीत का अंतर भी बहुत ज्यादा नहीं था और आम चुनाव की उपचुनाव से तुलना नहीं की जा सकती l इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी जो एक राष्ट्रीय पार्टी है जिसका केंद्र में शासन है परदेस में बिना जेजेपी के भी सरकार चलाने में सक्षम है भला क्यों कल अस्तित्व में आई एक क्षेत्रीय पार्टी के आगे घुटने टेक देगी lमतलब समर्पण कर देगी lभाजपा के किसी नेता ने एक बार भी यह नहीं कहा है कि उनका फॉर्मूला जेजेपी के उम्मीदवार को भाजपा का सिंबल देकर चुनाव लड़ाने का है lयह प्रचार भी मुख्य रूप से जेजेपी और उनके समर्थकों द्वारा ही किया जा रहा है l

अब बात करते हैं बिसात की l

आप समझ सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने कभी अपने सहयोगी दल खास तौर पर क्षेत्रीय दलों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया l मौका आते ही झटका दे देना भाजपा की नीतियों में शामिल है l

भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू कश्मीर में जिस मुफ्ती महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर सरकार बनाई उसे ही समय आने पर गिरा दिया यही नहीं उसी मुख्यमंत्री को अंदर भी ठोक दिया कल हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के नेता जिस कुलदीप बिश्नोई को मुख्यमंत्री बनाने की सहमति पर सहयोग करके गठबंधन करके चल रहे थे उसे ही घर बैठा दिया lभाजपा के नेता कम गलतियां करते हैं lएक बार गलती कर देते हैं तो दूसरी बार नहीं करते lवह सोच समझकर फैसले लेते हैं l

आप इस बात को आसानी से समझ सकते हैं कि उम्मीदवार चाहे कोई भी होगा, यदि भाजपा ने यह कह दिया कि चुनाव में उसका ही उम्मीदवार लड़ेगा तो फिर आप यह बताइए कि जेजेपी के लोग करेंगे क्या ?

नाराज हो जाएंगे तो फिर क्या होगा ज्यादा से ज्यादा अपना उम्मीदवार उतार देंगे l यह आम मान्यता है कि उनका उम्मीदवार जाट होगा और जाट होगा तो उससे भाजपा को क्या नुकसान होगा l सच्ची बात तो यह है कि भाजपा के लोग तो चाहेंगे कि कई जाट उम्मीदवार मैदान में आए lजेजेपी का भी हो तो और भी अच्छा lउन्हें इस बात का भी पता है कि जेजेपी का जाट वोटर मुख्य रूप से कांग्रेस विरोधी मानसिकता का है lवह कांग्रेस को वोट देने की बजाय थोड़ी खुशामद और और लालच के कारण भाजपा को थोड़ा बहुत भी समर्थन कर गया या थोड़ा बहुत आईएनएलडी की तरफ खिसक गया तो जहां भाजपा की बल्ले-बल्ले हो जाएगी वही जेजेपी को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ जाएगा l उसे सत्ता में साथ रहना है तो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करना पड़ेगा वह भी एक्टिव हो कर l

ऐसे में जे जे पी की टिकट चाहने वाले उम्मीदवार क्या करेंगे यह वक्त बताएगा l इनमें से यदि कोई किसी कारण से चुनाव में उतरने की घोषणा कर देता है तो यह भी भारतीय जनता पार्टी के लिए नुकसान करने वाला फैसला नहीं होगा बल्कि ऐसा हुआ तो नुकसान कांग्रेस को होगा lकुछ लोग तो अब से पहले यह प्रचार करने में लगे हुए हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लोग तो एक दो जाट को निर्दलीय खड़ा कर सकते हैं l जे जे पी वाले सीट तो मांगेंगे और व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो भाजपा के लिए यह लाभप्रद भी हो सकता है परंतु उसकी स्थिति वही होगी जैसा एक कहावत में कहा जाता है कि एक नौकर ने कहा लालाजी तनखा बढ़ा दो ,जब लाला जी ने कहा नहीं तो …. तो सामने से जवाब आया नहीं तो फिर इसी में काम चला लेंगे l

अब आप देखिए कि जे जे पी के कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो रहे हैं l वो भी भाजपा के कार्यकर्ताओं की तरह हताश और निराश हैं और यदि उन्हें टिकट भी नहीं मिली तो उनकी चुनाव में क्या दशा होगी इसे आसानी से समझा जा सकता है l इससे जननायक जनता पार्टी को कई व्यावहारिक नुकसान हो सकते हैंl

यह भी मानकर चला जा सकता है कि इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला अभी तेल भी देख रहे होंगे और तेल की धार भी l श्री चौटाला अंत में जेजेपी और उसकी स्थिति को देखकर अपना उम्मीदवार तय करेंगे और जब और जैसा मौका लगेगा जे जे पी को झटका देने की पूरी कोशिश करेंगे lमतलब सारे नुकसान jjp को ही होते दिख रहे हैं lजेजेपी इस स्थिति में कभी नहीं है कि वह भाजपा के नेताओं को यह कह सके कि हमें टिकट क्यों नहीं दिया l क्योंकि व्यवहार में उनका हक बनता ही नहीं l एक बात और है कि टिकट बांटने के मामले में भी भारतीय जनता पार्टी ऐसा फैसला कर सकती है जो अंदाजे और अनुमानों से अलग होगा l अंत में एक बात बड़े दावे के साथ कहीं जा सकती है कि ओमप्रकाश धनखड़ के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जेजेपी विचारधारा के अग्रिम पंक्ति के जाट उनके, उनके पुत्र आदित्य धनखड़ और उनके विश्वासपात्र लोगों के इर्द-गिर्द मंडराने लग गए हैं lइसलिए समझदार लोग जे जे पी के नेताओं को अपनी परिसंपत्ति को संभाल कर रखने की सलाह देते हुए यह पूछने लग लगे हैं कि बड़ौदा में दिग्विजय अकेले क्यों धूल फांकते फिर रहे हैं और दुष्यंत चंडीगढ़ में बैठे क्या कर रहा है कोई गड़बड़ तो नहीं है l

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