कुमारी शैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला का बयान

SET रिपोर्ट पर मुख्यमंत्रीउपमुख्यमंत्री लगा रहे एक दूजे पर इल्जाम. भाजपा– जजपा में विरोधाभास के चलते खट्टर सरकार का विश्वास खत्म. हाईकोर्ट जज की मॉनिटरिंग में जांच से ही पकड़े जाएंगे शराब घोटाले के असलीकिंगपिंन

कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान हरियाणा प्रदेश में हुए खुलेआम ‘शराब घोटाले’ तथा चोर दरवाजे से सैंकड़ों-हजारों करोड़ की शराब बिक्री व तस्करी की परतें आए दिन खुल रही हैं। साफ है कि शराब माफिया के तार सीधे-सीधे उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों तथा आला अधिकारियों से जुड़े हैं।

भाजपा-जजपा सरकार में हडकंप मचा है तथा प्रदेश के इतिहास में पहली बार परस्पर इल्जामात की राजनीति का खुला खेल चल रहा है। गृहमंत्री, श्री अनिल विज, उपमुख्यमंत्री, श्री दुष्यंत चौटाला के एक्साइज व टैक्टेशन विभाग को दोषी ठहराते हैं। उपमुख्यमंत्री गृहमंत्री के विभाग पर जिम्मेदारी व दोष मढ देते हैं। मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने शराब घोटाले की जांच के लिए जिस ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (SET) का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट 30 जुलाई, 2020 को सामने आई है, कमाल की बात यह है कि उपमुख्यमंत्री, श्री दुष्यंत चौटाला उस रिपोर्ट को ही सिरे से खारीज कर देते हैं। इसके जवाब में मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर उपमुख्यमंत्री की बात को ही सिरे से नकार देते हैं।

शराब माफिया के घालमेल में बड़े पदों पर बैठे लोग इस प्रकार के इल्जामात की राजनीति कर रहे हैं। प्रदेश में ‘जूतों में दाल’ बंट रही है। इस सारे विवाद में शराब माफिया व शराब तस्करों की पौ बारह है तथा दोषी खुलेआम घूम रहे हैं।

11 मई, 2020 को स्पेशल इंक्वायरी टीम के गठन से आज तक के घटनाक्रम में सीधे-सीधे जिम्मेवारी व जवाबदेही की आंच मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर की ड्योढ़ी पर ला खड़ी की है। अब SET के गठन को लेकर गृहमंत्री व मुख्यमंत्री की फाइल नोटिंग सार्वजनिक हो गई है। श्री मनोहर लाल खट्टर को निम्नलिखित 5 पहलूओं का जवाब प्रदेश की जनता को देना होगा-

सोनिपत शराब गोदाम से शराब तस्करी का खुलाखेल उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम’ (SIT) की जांच को सिरे से खारीज क्यों कर दिया? क्या SIT की जांच से व सोनिपत शराब घोटाले के खुलासे से सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों के नाम उजागर होने का खतरा था?

क्या कारण है कि मुख्यमंत्री व गृहमंत्री ने SIT यानि स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम को खारीज कर SET यानि स्पेशल इंक्वायरी टीम का गठन कर दिया? क्या ये सही नहीं कि SET को क्रिमिनल प्रोसिजर कोड, 1973 की धारा 2 (h) व 2 (0) के तहत कागजात जब्त करने, रेड़ करने, शराब ठेकों व गोदामों में जाकर जांच करने, शराब फैक्ट्रियों की जांच करने, एक्साइज विभाग का रिकोर्ड जब्त करने व दोषियों की गिरफ्तारी करने का अधिकार ही नहीं दिया गया?

क्या गृहसचिव व गृहमंत्री ने 7 मई, 2020 को SET का गठन करते हुए उन्हें शराब के ठेकों व शराब गोदामों (L-1) तथा (L-13) के स्टोक की तफ्तीश कर शराब की शोर्टेज, तस्करी व नाजायज बिक्री की जांच का अधिकार देने की सिफारिश की थी? तो फिर, मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने SET को यह अधिकार देने से इंकार क्यों किया? क्या मुख्यमंत्री द्वारा किए गए इस इंकार से शराब तस्करों वा नाजायज शराब बेचने वालों को चिन्हित करने में रोड़ा नहीं अटकाया गया?

क्या गृहसचिव व गृहमंत्री ने शराब ठेकों, शराब गोदामों तथा पुलिस मालखानों से चोरी हुई शराब के बारे दर्ज हुई एफआईआर तथा की गई कार्यवाही की सूचना एकत्र करने/ कार्यवाही करने बारे सिफारिश मुख्यमंत्री को नहीं की? फिर मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सारी जानकारी की अवधी को मात्र 25 दिन की अवधी में ही सीमित कर (15 मार्च से 10 अप्रैल, 2020) SET के हाथ क्यों बांध दिए? इसका सीधा फायदा किसको मिला?

क्या गृहसचिव व गृहमंत्री द्वारा 2019-20 के बीच नाजायज शराब पकड़े जाने, नाजायज शराब की ट्रांसपोटेशन तथा पकड़ी गई शराब की स्टोरेज बारे हुई कार्यवाही की पूरी रिपोर्ट SET द्वारा दिए जाने की सिफारिश की थी? तो फिर मुख्यमंत्री, श्री खट्टर ने इस जांच को SET को ना देकर अलग से फाइल मंगवाने बारे क्यों लिखा? वो क्या रहस्य था तथा वो कौन से नाम थे जिनकी जांच मुख्यमंत्री SET द्वारा नहीं करवाना चाहते थे?

SET की रिपोर्ट में सफेदपोशों तथा अफसरशाही की शराब ठेकेदारों व शराब माफिया से संलिप्तता का षडयंत्र खुले तौर से सामने आया है। पर उपमुख्यमंत्री ने SET की रिपोर्ट को ही सिरे से खारिज कर दिया और मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री की बात से किनारा कर उनके दावे को खारिज कर दिया। ऐसे में जब मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री अलग-अलग राजनीतिक दलों से है व गठबंधन की सरकार चलाते हैं, तो एक –दूसरे पर अविश्वास की स्थिति स्पष्ट है। साफ है कि दोनों दलों ने एक-दूसरे में विश्वास खो दिया है। सवाल ये है कि ऐसे में क्या खट्टर सरकार को सत्ता में बने रहने का अधिकार रह गया है? मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर व श्री दुष्यंत चौटाला इसका जवाब हरियाणा की जनता को दें।

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