सोहना! बाबू सिंगला

सोहना नगरपरिषद् विभाग ने कस्बे के बीचों-बीच स्थित बेशकीमती पुरानी तहसील परिसर भूमि पर टेढ़ी निगाहें डालनी शुरू कर दी हैं| परिषद् उक्त भूमि को अपनी मिल्कियत बतलाकर मल्टीलेवल पार्किंग व शौपिंग मॉल बनाने की तैयारी में जुट गई है| विभाग ने उक्त योजना का समस्त प्रारूप तैयार करके प्रस्ताव मंजूरी के लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग के दरबार में प्रेषित कर दिया है| योजना पर करीब 51 करोड़ रूपए की राशि खर्च होने की संभावना है| वहीं बताया जाता है कि उक्त भूमि की मालिक नगरपरिषद् विभाग नहीं है किन्तु अधिकारीगण भूमि पर अपना दावा ठोकने में लगे हैं| ऐसा होने से परिषद् विभाग द्वारा बनाई गई योजना खटाई में पड़ने के आसार हैं तथा योजना पर विवाद बढ़ने की संभावना है जिससे योजना करी पीआर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं|

विदित है कि सोहना कस्बे के बीचों-बीच आबादी एरिया में फव्वारा चौक पर स्थित पुरानी तहसील परिसर भूमि को लेकर विवाद गहराने के आसार हैं| जहाँ परिसर विभाग उक्त भूमि को अपनी बतलाकर पार्किंग व शौपिंग मॉल बनाने की तैयारी कर रहा है| वहीं स्थानीय नागरिक उक्त भूमि को “गाँव सामलात” बतला रहे हैं| राजस्व रिकॉर्ड में भी भूमि का इंद्राज आबादी देह दर्ज है जिसमें किसी भी विभाग की मिल्कियत नहीं दर्शाई गई है| ऐसा होने से उक्त भूमि की मालिक सोहना कस्बे का प्रत्येक पुराना नागरिक माना जाता है किन्तु नगरपरिषद् विभाग अपनी मनमानी चलाकर जबरन रूप से मालिक बनने का दावा ठोक रही है|

यह है परिषद् की योजना

सोहना नगरपरिषद् ने गाँव सामलात भूमि में मल्टी लेवल पार्किंग, शौपिंग मॉल, सिनेमा हाल व परिषद् कार्यालय बनाने की योजना तैयार की है जिस पर करीब 51 करोड़ रूपए की लागत खर्च की जाएगी| यह भूमि करीब 4500 वर्ग गज की बताई जाती है| भवन नौ मंज़िला बनाया जाएगा| बताते हैं कि योजना का प्रस्ताव विभाग ने सरकार को भेज दिया है|

क्या है भूमि का इतिहास

कस्बे की पुरानी तहसील भूमि का इतिहास काफी ऐतिहासिक रहा है| राजस्व रिकॉर्ड में भूमि की मिल्कियत किसी भी सरकारी विभाग के नाम पर दर्ज नहीं है| यह भूमि गाँव सामलात है जो आबादी देह के अंदर स्थित है| बुजुर्ग बताते हैं कि यह भवन अंग्रेजों के शासनकाल का बना हुआ है| जहाँ पर स्थानीय नागरिकों क्रमशः लाला जगन्नाथ, ठाकुर भीम सिंह, चौधरी मामराज, चौधरी हरलाल आदि ने अपने निजी कोष से डिस्पेंसरी का निर्माण कराया था तथा उसको अंग्रेजों के हवाले कर दिया था| वर्ष 1980 में सरकार द्वारा सरकारी अस्पताल बनाए जाने के बाद डिस्पेंसरी को समाप्त कर दिया गया था तथा उक्त भूमि में उप-तहसील स्थापित कर दी गई थी| सन् 1994 में निवर्तमान मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल ने नागरिकों की माँग पर उप-तहसील को तहसील का दर्जा दे दिया था| किन्तु गत 4-5 वर्ष पूर्व प्रशासन द्वारा तहसील को बस-स्टैंड भवन में शिफ्ट किए जाने के बाद यह भूमि पूर्ण रूप से खाली पड़ी हुई है| वहीं भूमि खाली अवस्था में देखकर नगरपरिषद् विभाग ने अपनी नजरें गडा दी हैं तथा जबरन रूप से उक्त भूमि को अपनी मिल्कियत बतलाकर योजना को अमलीजामा पहनाए जाने की तैयारी में जुट गया है|

क्या कहते हैं अधिकारी

नगरपरिषद् विभाग के कार्यकारी अभियंता अजय पंगाल कहते हैं कि यह भूमि नगरपरिषद् की मिल्कियत है जिसमें मल्टी-लेवल पार्किंग, शौपिंग मॉल व परिषद् कार्यालय की योजना तैयार की गई है जिसको मंजूरी के लिए भेज दिया गया है|

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