ऋषिप्रकाश कौशिक

गुरुग्राम में स्मार्ट सिटी के नाम पर कुछ अधिकारियों ने खुली लूट की है , जिसकी भनक तो सीएम कार्यालय तक भी है लेकिन मामला तकनीक से जुड़ा होने व स्मार्ट सिटी में लगाए गए एडवाइजर द्वारा आरटीआई मेें मांगी सूचनाओं को छुपाने के कारण अभी ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि चोरी कितनी बड़ी है व एडवाइजर के अलावा और कौन कौन इस मामले में संलिप्त हैं l

मैंने 30 जनवरी 2020 को विभाग से जानकारी मांगी थी कि सेक्टर 44 मेें बन रहे इंटीग्रेटेड कंट्रोल एवम् कंट्रोल सेंटर बनाने का टेंडर एक आर्थिक बीमार कम्पनी आईआई & एलएफएस को ही नियमों को ताक पर रखकर क्यों दिया तो पहला जवाब मिला कि ये कम्पनी आर्थिक बीमार बाद में हुई है टेंडर पहले दिया जा चुका था I

इस जवाब के बाद और अधिक खोज बीन करने पर पाया कि आरटीआई मेें प्रदान की गई सूचना झूठी है तो सही जवाब के लिए प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील दाखिल की जहां प्रथम अपीलीय अधिकारी ने सम्बन्धित अधिकारी को सही सूचना देने का निर्देश दिया जिसके एवज में दोबारा से सही जवाब न देकर कम्पनी से अनुबंध का एग्रीमेंट व इस कम्पनी द्वारा दी गई बैंक गारंटी की कॉपी भेज दी गई यानि सही सूचना का जवाब या ये कहे कि हुए घोटाले को न मानकर व मामले को घुमाने के लिए इस तरह के अनर्गल दस्तावेज भेजे जा रहे हैं l

जीएमडीए के एक अधिकारी ने नाम को सार्वजनिक करने की शर्त पर बताया कि जीएमडीए के पास तकनीक का ज्ञान रखने स्टाफ के ना होने के कारण स्मार्ट सिटी में लगाए गए एडवाइजर तकनीकी रूप से अपनी चोरी को छुपाना चाहते हैं व इसी प्रकार के भ्रष्टाचार कैमरे के ठेके देने मेें भी हुए हैं व एक अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट उम्मेद सिंह रजाना ने भारत सारथी को बताया कि उन द्वारा मांगी गई सूचना को भी तोड़ मरोड़ कर असंगत जवाब दिया है जिसका कारण साफ नजर आ रहा है कि घोटाला तो हुआ है जिसको छिपाने की पूरी कोशिश की गई है I श्री रजाना ने कहा कि वे इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग लेकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे I

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