· बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, मंजीत चहल, अमित पंघाल, नीरज चोपड़ा जैसे अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों तक को नहीं मिला उचित पद- सांसद दीपेंद्र. ·         – विनेश फोगाट, एकता भ्यान और अमित सरोहा भी हैं उचित पद और मान सम्मान से वंचित- सांसद दीपेंद्र. ·         – पद और सम्मान पाने के लिए खिलाड़ियों को बार-बार जाना पड़ रहा है कोर्ट- सांसद दीपेंद्र. ·          –उच्च पदों से लेकर ग्रुप डी तक की भर्तियों में खिलाड़ियों के साथ भेदभाव कर रही है खट्टर सरकार- सांसद दीपेंद्र.        – कोर्ट केस जीतने के बावजूद खेल कोटे के 1518 ग्रुप डी कर्मचारियों को नौकरी से हटाना चाहती है सरकार- सांसद दीपेंद्र

6 अगस्तचंडीगढ़। बीजेपी सरकार में लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की अनदेखी और बेअदबी हो रही है। खिलाड़ियों के लिए बनाई गई हुड्डा सरकार की ‘पदक लाओ, पद पाओ नीति’ को बीजेपी ने ‘भेदभाव नीति’ बनाकर रख दिया है। ये कहना है कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। सांसद दीपेंद्र ने मौजूदा सरकार के ख़िलाफ़ खिलाड़ियों में बढ़ते रोष का संज्ञान लेते हुए खिलाड़ियों के हक़ में आवाज़ उठाई है। उनका कहना है कि हुड्डा सरकार के दौरान खेल नीति के तहत 700 से ज्यादा खिलाड़ियों को उच्च पद दिए गए थे। हजारों खिलाड़ियों को नकद व दूसरे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। लेकिन बीजेपी सरकार में महज़ इक्का-दुक्का खिलाड़ियों को ही पद मिला है। उसमें भी यह नहीं बताया गया कि नियुक्ति का क्राइटेरिया क्या रखा गया है। हैरानी की बात ये है कि बीजेपी सरकार की इस अघोषित खेल नीति में देश का सबसे बड़ा सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न हासिल करने वाले पहलवान बजरंग पुनिया को भी जगह नहीं दी गई। बजरंग पुनिया कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड, एशियाई खेलों, एशियन चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड समेत कई अंतर्राष्ट्रीय मेडल जीत चुके हैं। फिर भी इस सरकार ने अपनी नयी अघोषित खेल नीति में उन्हें कोई पद हासिल करने के लायक नहीं समझा।

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि देश को ओलंपिक्स में मेडल दिलवाने वाली पहलवान साक्षी मलिक को उचित पद से वंचित रखा जाना भी समझ से परे है। जब साक्षी मेडल लेकर आईं थी तो सरकार ने उनकी मां के प्रमोशन से लेकर उन्हें बड़ा पद देने के कई वादे किए थे। लेकिन, बाद में वो सारे वादे धरे के धरे रह गए। जकार्ता एशियन गेम्स के गोल्ड मेडल विजेता मंजीत चहल जैसे उम्दा खिलाड़ी के पास भी आज नौकरी नहीं है। मीडिया ने भी उजागर किया है कि कॉमनवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड बॉक्सिंग चेंपियनशिप और एशियन बॉक्सिंग चेंपियनशिप में पदक जीतने वाले अर्जुन अवॉर्डी दुनिया के नंबर वन बॉक्सर अमित पंघाल को भी सरकार ने अबतक पद नहीं दिया है। भाला फेंकने में कई रिकॉर्ड स्थापित करने और कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा को भी मौजूदा सरकार ने अबतक नज़रअंदाज़ किया है। राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में मेडल विजेता विनेश फोगाट भी उचित सम्मान से वंचित हैं। इतना ही नहीं कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रौशन कर चुके पैरा एथलीट अमित सरोहा और एकता भ्याण जैसे खिलाड़ियों की भी इस सरकार में अनदेखी हुई है। इनके अलावा ऐसे कितने ही खिलाड़ी हैं जिन्हें अपना पद और सम्मान हासिल करने के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पूरी दुनिया में प्रदेश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों के प्रति सरकार का ऐसा रवैया हैरान और परेशान करने वाला है।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि उच्च पदों पर ही नहीं बल्कि ग्रुप-डी की भर्तियों में भी बीजेपी सरकार खिलाड़ियों के साथ भेदभाव कर रही है। पिछले दिनों हुई ग्रुप-डी की भर्ती में भी नयी और पुरानी ग्रेडेशन का अड़ंगा लगाकर 1518 खिलाड़ियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। ये खिलाड़ी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से केस भी जीत चुके हैं। लेकिन यह शायद इतिहास में पहली बार हुआ है कि कोर्ट में केस हारने के बाद सरकार ख़ुद के लगाए कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के लिए ख़ुद डबल बेंच में जा रही है।

राज्यसभा सांसद ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान हरियाणा की छवि प्रतिभाओं, खेलों और खिलाड़ियों का सम्मान करने वाले प्रदेश के तौर पर उभरी थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने उस छवि को पूरी तरह धूमिल कर दिया है। बीजेपी सरकार ने हुड्डा सरकार में खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई नीतियों में बढ़ोत्तरी करने की बजाए हमेशा उनमें कटौती की है। हुड्डा सरकार में शुरू की गई स्पैट प्रतियोगिता को बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया। खिलाड़ियों के डाईट भत्तों को महज़ कागज़ों और घोषणाओं में समेट दिया गया। पदक विजेता खिलाड़ियों की ईनाम राशि में कटौती की गई। कई साल तक खिलाड़ियों के सम्मान समारोह और ईनाम राशि रोकी गई। हुड्डा सरकार में गांवों के स्तर पर बने खेल स्टेडियम्स की अनदेखी की गई। ना उनका रखरखाव किया गया और ना ही उनमें कोच आदि नियुक्त किए गए।

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