हरियाणा में बरोदा उप चुनाव कहि भाजपा और जजपा के लिए घाटे का सौदा तो नही बंटी शर्मा सुनारिया हरियाणा में अब कोरोना वायरस की चर्चा कम होती जा रही हैं अगर अब हरियाणा के राजनीतिक गलियारों की बात करे तो राजनीतिक गलियारों में कोविड़ 19 की बजाए बरोदा उपचुनाव की ज्यादा चर्चा हो रही हैं जहां हरियाणा में बरोदा उपचुनाव सता पक्ष यानी बीजेपी और मुख्य विपक्ष मतलब कांग्रेस के बीच ही होने की संभावना जताई जा रही हैं वही इनेलो को सिर्फ दोनो पार्टीयो की वोट काट मशीन की चर्चा जोरों पर चली हुई हैं हरियाणा में बरोदा उपचुनाव के माध्यम से बीजेपी जहां अपनी विधानसभा सीटो की संख्या में बढ़ोतरी की कोशिश करेगी वहीं कोंग्रेस हरियाण की भविष्य की राजनीति के आधार पर दोबारा से बरोदा सीट पर कब्जा करने की कोशिश करेगी वही सत्ता में सहयोग कर रही जजपा पर राजनैतिक विश्लेषयको की नजरें टिकी हुई हैं बरोदा उपचुनाव में अगर किसी पार्टी को नुकसान होना हैं तो राजनैतिक विश्लेषयको के अनुसार वह पार्टी जजपा ही हो सकती हैं क्योंकि जहाँ बरोदा उपचुनाव में बीजेपी का उम्मीदवार उतरना लाजमी हैं। वही अगर बीजेपी इस सीट को जीत जाती हैं तो बीजेपी पर जजपा का दबाव कम होगा और यदि जजपा उम्मीदवार को उपचुनाव में टिकट नही मिलती तो जजपा में बगावत होनी लाजमी हैं और जजपा से टिकट के दावेदार का दूसरी पार्टी की तरफ रुख करना लाजमी हैं जो जजपा के लिए भविष्य में काफी नुकसान दायक साबित हो सकता हैं राजनीति के गलियारों में चर्चा चल रही हैं कि बीजेपी के पूर्व प्रत्याशी रहे योगेश्वर दत्त ने खुले तौर पर बयान देकर कहा हैं कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगे इसके साथ ही जजपा नेता भूपेंद्र मलिक ने चुनाव लड़ने बारे बयान देकर जजपा पार्टी की परेशानी को बढ़ा दिया हैं अब देखने वाली बात यह होगी कि यदि बीजेपी का उम्मीदवार योगेश्वर दत्त को जजपा नेता भूपेंद्र मलिक को गठबंधन का उम्मीदवार नही बनाया जाता तो बगावत होनी लाजमी हैं वही कांग्रेस और इनेलो नेताओ की निगाह बगावत करने वाले नेताओं पर हैं। क्योंकि बीजेपी की तरफ से पिछले विधानसभा चुनाव में उमेश शर्मा भी टिकट माँग रहे थे और अब भी पिछले काफी समय से बरोदा हल्के का दौरा कर रहे हैं उमेश शर्मा पहले भी बरोदा से उपचुनाव लड़ चुके हैं और हल्के में अच्छा खासा जनाधार भी हैं उमेश शर्मा के साथ साथ डॉ कपुर नरवाल भी टिकट की मांग कर रहे हैं लेकिन जिस हिसाब से बीजेपी के नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष द्वारा संजय भाटिया को हटाकर जेपी दलाल को प्रभारी बनाकर सबको चौका दिया हैं ठीक उसी तरह कहि प्रत्याशी भी ऐसा ही हो जो राजनीति के गलियारों में सबको चौका दे अब ये तो वक्त ही बता पायेगा की किस पार्टी के लिए ओर किस उम्मीदवार के लिए बरोदा उपचुनाव अच्छे संकेत लेकर आया हैं Post navigation 23 अगस्त को रखे गए टेस्ट को रद्द कर बर्खास्त पीटीआई को बहाल करने का रास्ता निकालने की मांग की क्या बरोदा उपचुनाव में भाजपा के काम आ सकता है उच्चतम न्यायालय में सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद का स्टेटस ?