-यूनियन व पीडित के परिजनों ने राज्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन, दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग

नारनौल, (रामचंद्र सैनी): बीती रात यहां के रेवाडी रोड पर एक हाइवा के ड्राइवर को पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटने का मामला सामने आया है। पुलिस की मार से घायल गांव ताजीपुर के ड्राइवर कैलाश को नारनौल के सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। आरोप है कि ड्राइवर कैलाश को पीटने वाले सभी पुलिस कर्मी शराब के नशे में धुत थे। अस्पताल में उपचाराधीन पीडि़त ड्राइवर ने आरोप लगाया है कि पहले पुलिस वालों ने उसे रोड पर पटकरकर मारा फिर वाहनों के बाड़े में कीकर के पेड़ पर बांधकर पीटा। पुलिस कर्मियों की इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई का जैसे ही ट्रांसपोर्ट यूनियन के सदस्यों को लगा तो उनमें रोष फैल गया। घटना के विरोध में पीडि़त के परिजनों व ट्रांसपोर्ट यूनियन के सदस्यों ने नारनौल के विधायक एवं राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव के कार्यालय पहुंचकर उनसे मिले तथा उन्हें  एक ज्ञापन भी सौंपा।

राज्यमंत्री को ज्ञापन देने गए ट्रांसपोर्ट यूनियन के सदस्यों ने कहा कि जिला महेंद्रगढ में पुलिस बर्बरता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ट्रांसपोर्टरों को पुलिस द्वारा बेवजह और जानबूझकर प्रताडित किया जा रहा है। ड्राइवरों को मनमर्जी के मुताबिक पुलिस कर्मचारी जिलाभर में परेशान कर रहे हैं। विरोध करने या पुलिस कर्मियों को सवाल का जवाब देने पर इस तरह की घटनाएं ड्राइवरों के साथ घटित होने लगी है।

पीडि़त के परिजनों व यूनियन के सदस्यों ने मंत्री को दिए गए ज्ञापन में कहा है कि बीती सोमवार की रात कैलाश अपनी हाइवा गाड़ी को रेवाडी रोड पर गंदे नाले के पास खड़ी करके उसमें लेटा हुआ था। उसी दौरान पुलिस की एक बोलेरो गाड़ी आई और उसमें से चार-पांच पुलिस वाले कैलाश की गाड़ी में चढ़कर उसे नीचे उतारा तथा सड़क पर पटक कर लटठों से उसे बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस वाले उसे बाइपास पर एक बाड़े में ले गए, जहां जाकर कैलाश को कीकर के पेड़ से लगाकर पुलिस कर्मियों ने उसके हाथ पकड़ लिये। यहां पर यातायात एसएचओ ने उसे बुरी तरह पीटा। पीडि़त कैलाश के भाई बलदेव कुमार ने इस मामले में महाबीर चौक पुलिस चौकी में एक अलग से शिकायत देकर इस घटना में शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

यहां यह भी बता दे कि करीब डेढ़ माह पहले भी नारनौल में पुलिस कर्मियों द्वारा एक युवक को अवैध रूप से पुलिस कस्टडी में बेरहमी से पीटा गया था। जिसका विरोध होने पर पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा महज दोषी पुलिस कर्मियों को महज लाइन हाजिर करके खाना पूर्ति कर ली गई थी। उस समय भी दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई ना होने पर लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी थी लेकिन लॉक डाउन के चलते मामला ठंडा पड़ गया। अब बीती रात हुई घटना के बाद क्षेत्र के लोगों में एक बार फिर पुलिस कर्मियों के खिलाफ गहरा रोष व्याप्त हो गया है। लोगों ने जिला पुलिस प्रशासन पर सवालियां निशान खड़ा कर दिया है कि आखिर क्रिमिनिलों की बजाय पुलिसियां कहर आम लोगों पर क्यों टूट रहा है।

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