–हरियाणा सरकार से निवेदन कि दिल्ली,पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र,पंजाब एवं अन्य राज्य सरकारों ने भी कहा कि बढते कोरोना वायरस के मामले की वजह से वह टर्म -एंड परीक्षा आयोजित नहीं करने के निर्णय से विधार्थियो को राहत प्रदान कर चुके हैं|

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल। आज राजकीय महाविद्यालय नारनौल के छात्रसंघ अध्यक्ष शुभम कौशिक ने हरियाणा सरकार से अनुरोध किया वह जल्द ही फाइनल ईयर के विधार्थियो की असमंजसता को जल्द दुर करें, ताकि विधार्थियो का मानसिक तनाव दूर हो सके। दिल्ली सरकार की तर्ज पर हरियाणा सरकार भी फाइनल ईयर के विधार्थियो को राहत प्रदान करे । उन्होंने कहा की आज देश मे 16 लाख से अधिक कोरोना मरीजों की संख्या हो गई है एवं प्रदेश में भी इस महामारी का प्रकोप बढता जा रहा है।

शुभम कौशिक ने कहा कि बहुत से प्रदेश जैसे, पश्चिम बंगाल, ओड़शा, महाराष्ट्र ओर पंजाब के बाद दिल्ली सरकार ने भी कहा कि बढ़ते कोरोना वायरस के मामले की वजह से  टर्म -एंड परीक्षा आयोजित नहीं करने का फसला लिया एवं बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट करने का निर्णय लिया गया है। ऐसे में हरियाणा सरकार भी इसके तर्ज पर ही यूजी, पीजी व अन्य कोर्सो के छात्रों को बिना परीक्षा के प्रोमोट करने के आदेश जारी किया जाना चाहिए।

छात्रसंघ अध्यक्ष शुभम कौशिक ने कहा कि कोविड-19 के चलते मार्च से लेकर अब तक लॉकडाउन लगा हुआ है जिसके कारण छात्रों की कक्षाएं नहीं लग पाई है। अगर डिजीटल प्लेटफार्म के माध्यम से लगी भी है तो महज औपचारिकता के लिए लगी है। जिसमे व्हाट्सएप्प के माध्यम से कुछ पाठ्यक्रम मेटियरल भेजा गया है। देहात में रहने वाले छात्रों के पास वो भी नही पहुंचा। अगर सरकार इस दौरान ऑनलाइन परीक्षा भी लेती है तो हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत नहीं है कि सभी छात्र ऑनलाईन परीक्षा दे सकें। इसलिए सरकार छात्रों को राहत देते हुए, बिना परीक्षा लिए अगले सत्र में 10 प्रतिशत ग्रेस अंकों के साथ प्रमोशन देने का काम किया जाना चाहिए।

वहीं शुभम कौशिक ने बाकी छात्र संगठनों पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने जब छात्रों को पास किया था तो वो श्रेय लेने के चक्कर में सबसे पहले खड़े थे लेकिन आज जब सरकार ने फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा कराने का फैसला लिया है जब वो सरकार के पिट्ठू छात्र संगठन की तरह सरकार की भाषा बोलते हुए इस फैसले का स्वागत कर रहे है, उन्हें शर्म आनी चाहिए खुद को छात्र संगठन कहते हुए।