विवेक सिंह जादौन की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि वो इस घटनाक्रम के चलते पिछले तीन सप्ताह से पांच सितारा होटल्स में ठहरे हुए करीब 121 विधायकों के वेतन भत्ते रोकने का आदेश दें. राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम का एक केंद्र राजस्थान हाईकोर्ट बना हुआ है. पहले सचिन पायलट फिर मदन दिलावर और उसके बाद बसपा की ओर से दायर याचिकाओं पर हो रही सुनवाई के चलते सबकी नजरें राजस्थान हाईकोर्ट पर लगी हुई हैं. वहीं, अब प्रदेश में चल रहे इसी राजनीतिक घटनाक्रम के चलते एक ओर याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है. विवेक सिंह जादौन की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि वो इस घटनाक्रम के चलते पिछले तीन सप्ताह से पांच सितारा होटल्स में ठहरे हुए करीब 121 विधायकों के वेतन भत्ते रोकने का आदेश दें. करीब ढाई लाख रुपए प्रति माह होते हैं देय याचिका में कहा गया है कि राजस्थान में एक विधायक को वेतन व भत्ते मिलाकर करीब ढाई लाख रुपए प्रति माह मिलते हैं. वहीं, अगर इसमें उनको मिलने वाले रेल,फ्लाइट और फर्नीचर के खर्चे को मिला दिया जाए तो यह राशि तीन लाख रुपए के करीब हो जाती है. प्रति विधायक देय वेतन भत्ते सैलेरी- 40000/- प्रति माह. विधानसभा क्षेत्र भत्ता- 70000/- प्रति माह. हाउस रेंट भत्ता- 30000/- प्रति माहटेलीफोन भत्ता- 2500/- प्रति माह. डेली भत्ता- 2000/- (राज्य के अंदर), 2500/- (राज्य के बाहर)निजी सचिव भत्ता- 30000/- प्रति माह. वाहन भत्ता- 45000/- प्रति माह. ट्रेन, प्लेन और स्टीमर भत्ता- 3 लाख प्रति वर्षफर्नीचर भत्ता- 80000/- प्रति वर्ष काम नहीं तो वेतन नहीं याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि हमने अपनी याचिका में कहा है कि प्रदेश में दो नेता अपने-अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसके चलते एक गुट के करीब 102 विधायक प्रदेश में और दूसरे गुट के 19 विधायक हरियाणा में पांच सितारा होटल में ठहरे हुए हैं. ऐसे में ये विधायक पिछले तीन सप्ताह से अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं गए हैं. जबकि इन्हें देय वेतन भत्ते अपने क्षेत्र में रहने तथा विधानसभा सत्र आहूत होने पर क्षेत्र में नहीं रहने पर भी देय होते हैं. लेकिन अभी ये विधायक फाइव स्टार होटल्स का लुत्फ उठा रहे हैं. जबकि इनके क्षेत्र में जनता कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है. ऐसे में बिना काम के उन्हें वेतन नहीं दिया जाना चाहिए. वहीं, इस अवधि का वेतन अगर दे दिया गया है तो उसकी रिकवरी इन विधायकों से की जाए. Post navigation स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था -” शिक्षा एक व्यक्ति में पहले से ही पूर्णता की अभिव्यक्ति है” लोकतंत्र का तमाशा न बनने दीजिए