सुषमा मलिक “अदब”रोहतक (हरियाणा)

बहना इसकी बाट जोहे, ये कब राखी पर घर आता है! -तीज त्यौहार सब हुए बेगाने, कब रक्षाबंधन मनाता है!! – माथे पर मेरे भी हो तिलक, और मुँह में मेरे  मिठाई हो! -राखी बांधे बहना मेरी भी, सूनी ना कभी मेरी कलाई हो! -परिवार के बीच रह पाऊं, हर त्यौहार की भी बधाई हो! -मन इसका भी तो ये सोचे,  कभी ना कोई रुसवाई हो! -सपनों में ही सोचकर ये सब, बस ये फ़ौजी सो जाता है! -बहना इसकी बात जोहे ये कब राखी पर घर आता है!!

-देखकर अपनी सुनी कलाई, दिल इसका भी तो रोता है! -सीमा की हलचल झेल, देश मे बीज शांति का बोता है! -दुश्मन के आगे डटा रहे, ये कब नींद चैन की सोता है! -बस इतना ही काफी नही, ये अपनी जान भी खोता है! -मौन रहकर सब सहता ये, इसका ना दिल बैठा जाता है! -बहना इसकी बाट जोहे, ये कब राखी पर घर आता है!!

-और कुछ कर ना पाएं, तो निकले दुआ हमारे दिलों से! -जान इनकी रखना सलामत, सामने खड़े कातिलों से! -आपस मे प्यार बना रहे, दूर रहे ये हर शिकवे गिलो से! -हार का ना मुँह देखे कभी, लौटें जीतकर हर किलों से! -अपना मन रखने को ये, कईबार खुद से भी बतियाता है! -बहना इसकी बाट जोहे ये कब राखी पर घर आता है!!

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