वैदिक शिक्षा से जीवन का हर लक्ष्य संभव: अशोक गिरी

भिवानी/शशी कौशिक  

सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम के पीठाधीश्वर श्री मंहत डाक्टर अशोक गिरी ने कहा कि वेद शब्द संस्कृत भाषा के विद् ज्ञाने धातु से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ ज्ञान है। इसी धातु से विदित(जाना हुआ विदित)विद्या, विद्धान जैसे शब्द आए हैं।  भारतीय वैदिक शिक्षा संस्कार सुरक्षा संस्कृति  व्यावहारिक जीवन  की शिक्षा थी। शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक ओर राष्ट्रीय गरिमा सर्वपरि है। भारतीय वेदीक शिक्षा पूरे विश्व में प्रसिद्ध थी,विदेशियों ने शिक्षा ली।

वे आज वीरवार को मंदिर में पूजा अर्चना करने आए लोगों को सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए संदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वेदों को अपौरुषेय (जिसे कोई व्यक्ति न कर सकता हो, यानि ईश्वर कृत) माना जाता है। वेदिक शिक्षा ही जीवन का हर लक्ष्य सहज में पा सकते है। वैदिक कालीन शिक्षा न तो पुस्तकीय ज्ञान में विश्वास रखती थी और न ही जीवकोपार्जन का साधन थी,यह तो पूर्ण रूप से नैतिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान का सोपान थी। उस समय की शिक्षा का अर्थ था कि व्यक्ति को इस प्रकार से आत्म प्रकाशित किया जाय कि उसका सर्वांगीण विकास हो सके। श्रवण मनन तथा निदिध्यासन आदि शिक्षा प्राप्त करने के साधन थे। उन्होंने कहा कि वैदिक शिक्षा संसार की सब से उतम ओर प्राचीन शिक्षा व्यवस्था है। जिस समय विश्व में शिक्षा नाम की कोई प्रणाली नहीं थी । तब भारत में वेदिक शिक्षा  का प्रचलन था। यही सब गुरुकुल में हुआ करती थी गुरु के सानिध्य में रहकर शिष्य विधा अर्जन करते थे। वेदिक शिक्षा में सम्पूर्ण ज्ञान निहित होता है अस्त्र शास्त्र खगोल विधा रसायन शास्त्र भूगोल विधा संगीत शास्त्र राजनीति शास्त्र वाणिज्य अर्थ  शास्त्र आदि ज्ञान का समावेश  होता है । भारत की शिक्षा का। वृतांत अपने पुस्तक में किया।

आज की शिक्षा विद्यार्थी जीवन में तनाव ओर परिवार मूल्यों  का अभाव होना आज की शिक्षा गुरूपरमरा से विमुख हो रही  आज अपने संस्कृत ओर रक्षा के लिए गुरुकुल शिक्षा बहुत ज़रूरी है।

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