सुरक्षा सैनिकों के कल्याण व उत्थान के लिए ठोस व स्थाई नीति बनाई जाए:डॉ. एम.एस मलिक,

रमेश गोयत

चंडीगढ़, 29 जुलाई- केंद्रीय व राज्य सरकारों की ओर से सुरक्षा सैनिकों के कल्याण व उत्थान के लिए ठोस व स्थाई नीति बनाई जाए तथा अलग मंत्रालय गठित किया जाए। यह मांग अखिल भारतीय शहीद सम्मान संघर्ष समिति एवं जाट सभा चंडीगढ़ व चौधरी छोटू राम सेवा सदन कटरा-जम्मू के अध्यक्ष पूर्व मेजर, हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. एम.एस मलिक, आईपीएस (सेवानिवृत) ने की।

डॉ. मलिक ने केंद्र व राज्य सरकारों पर सुरक्षा सैनिकों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि विभिन्न सरकारें लड़ाई या शहादत के समय ही सुरक्षा सैनिकों की ओर ध्यान देती हैं और बाद में इस गंभीर मामले को भूला दिया जाता है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा डायरैक्टर जनरल, रिसैटलमैंट ब्यूरो तथा राज्य सरकारों द्वारा राज्य स्तर पर जिला सैनिक कल्याण बोर्ड भी सैनिकों के कल्याण के लिए बनाए गए हैं लेकिन ये प्रशासनिक संस्थाएं नाकाम साबित हो रही हैं। उनका कहना है कि इन संस्थाओं के पास ना तो पर्याप्त स्टाफ  है और ना ही पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1999 के कारगिल युद्घ तक के तमाम शहीद परिवारों, पूर्व सैनिकों व उनके परिवारों को सरकार लगभग भूल चुकी है। केंद्रीय व राज्य सरकारों द्वारा सुरक्षा वर्ग की इस तरह की अनदेखी भारतीय सेना के नैतिक साहस व मनोबल के लिए हितकारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस समय देश में भारतीय सेना, वायुसेना तथा नेवी सहित तीनों सेनाओं में 1734921 सैनिक तैनात हैं और 2600000 पूर्व सैनिक तथा 60000 युद्घ विधवाएं हैं। इसी प्रकार देश में विभिन्न अर्धसरकारी सुरक्षा बलों में लगभग 2480000 सुरक्षा सैनिक तैनात हैं। प्रतिवर्ष 35 से 45 वर्ष की युवा अवस्था में लगभग 60000 सुरक्षा सैनिक सेवा से सेवानिवृत हो जाते हैं, लेकिन इनके पुन: रोजगार की कोई स्थाई व कारगर नीति नहीं है। सरकार ने 9 जून 2014 को पूर्व सैनिकों द्वारा अपने हितों के लिए उठाई विरोध की मांग स्वरूप ‘भूतपूर्व सैनिक नैशनल कमीशन‘ स्थापित करने की घोषणा तो कर दी थी लेकिन इसके लिए कोई फंड निर्धारित नहीं किया गया।

अखिल भारतीय शहीद सम्मान संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने सुरक्षा सैनिकों के कल्याण व उत्थान के लिए कल्याणकारी व्यवस्था कायम करने, केंद्रीय व राज्य स्तर पर अलग-अलग मंत्रालय की स्थापना कर सैनिक कल्याण नीति को सुदृढ़ बनाने के लिए अलग से कल्याणकारी अधिनियम पारित करने की भी मांग की है।

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