ममता किरण ने डिजिटल लोकार्पण गोष्‍ठी में अपनी ग़ज़लों से समां बॉंधा।

‘जश्‍नेहिंद’ के तत्‍वावधान में 27 जुलाई  की रात एक डिजिटल गोष्‍ठी में सुपरिचित गजलगो एवं समर्थ कवयित्री ममता किरण के गजल संग्रह ”आंगन का शजर” का लोकार्पण संपन्‍न हुआ। गोष्‍ठी की शुरुआत ‘जश्‍नेहिंद’ की निदेशक डा मृदुला सतीश टंडन के स्‍वागत से हुई। उन्‍होंने ममता किरण की गजलों को अदब की दुनिया में एक शुभ संकेत बताया और संग्रह का हार्दिक स्‍वागत किया। इस समारोह में साहित्‍य अकादेमी उपाध्‍यक्ष एवं जाने माने गजलगो कवि, कथाकार गद्यकार श्री माधव कौशिक, उर्दू अदब के जाने माने शायर व आलोचक प्रो खालिद अल्‍वी, सुपरिचित कवयित्री डा पुष्‍पा राही, प्रख्‍यात गजलगो गीतकार एवं संपादक बालस्‍वरूप राही, कवि-आलोचक डॉ ओम निश्‍चल, कथाकार कवि गजलगो तेजेन्‍द्र शर्मा, गायक संगीतकार  आर बी कैले एवं जनाब शकील अहमद ने हिस्‍सा लिया।

 लोकार्पण एवं चर्चा का संचालन करते हुए कवि आलोचक डॉ ओम निश्‍चल ने  ममता किरण की काव्‍ययात्रा पर प्रकाश डाला तथा गजलों के क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि ममता किरण की गजलों में एक अपनापन है, जीवन यथार्थ की बारीकियां हैं, बदलते युग के प्रतिमान एवं विसंगतियां हैं, यत्र तत्र सुभाषित एवं सूक्‍तियां हैं,   भूमंडलीकरण पर तंज है, कुदरत के साथ संगत है, बचपन है, अतीत है, आंगन है, ओर पग पग पर सीखें हैं। डॉ ओम निश्‍चल ने ममता की गजल के इन शेरों का विशेष तोर से उल्‍लेख किया जहां वे अपने बचपन को अपनी गजल में पिरोती हैं —

“अपने बचपन का शजर याद आया, मुझको परियों का नगर याद आया”

“जिसकी छाया में सभी खुश थे किरण
 घर के आंगन का शजर याद आया”

ममता किरण ने लोकार्पण के पूर्व ‘आंगन का शजर’ से कुछ चुनिंदा गजलें सुनाईं। उन्‍होंने कुछ गजलों के अशआर पढे जो बेहद सराहे गए —

“फोन वो खुशबू कहां से ला सकेगा
वो जो आती थी तुम्‍हारी चिट्ठियों से।”

“मैं हकीकत हूँ कोई खवाब नहीं
इतना कहना है बस जमाने से।”

आज कल खुदकुशी करने वाले नौजवानों पर ममता किरण ने ये शेर पढा़–

” खुदकुशी करने में कोई शान है
  जी के दिखला तब कहूं इंसान है “

ममता जी ने गजल के क्षेत्र में अपने पदार्पण का श्रेय जाने माने गजलगो राजेंद्रनाथ रहबर व सीमाब सुल्‍तानपुरी को दिया। उन्‍होंने कहा कि रहबर के सान्‍निध्‍य में कुछ दिन कठुवा में रह कर गजल का व्‍याकरण सीखने में सहायता मिली। यह संग्रह उसी का प्रतिफल है।   ममता किरण के गजल पाठ के बाद डॉ मृदला सतीश टंडन ने ममता किरण के गजल संग्रह का लोकार्पण किया। उर्दू के जाने माने समालोचक एवं शायर प्रो खालिद अल्‍वी ने कहा कि ये गजलें ममता ने गालिब की जमीन पर कही हैं तथा उनके यहां अपनेपन संबधों एवं यथार्थ से रूबरू गजलें हैं जिससे हिंदी गजल में उन्‍होंने अपना स्‍थान और पुख्‍ता किया है। प्रो खालिद अल्‍वी ने इन गजलों में हिंदुस्‍तानी जबान के बेहतरीन इस्‍तेमाल की सराहना की।

लंदन से बोलते हुए कथाकार  तेजेद्र शर्मा ने कहा कि ममता अरसे से लिख रही हैं तथा गजलों में वे एक अरसे से काम कर रही हैं तथा उनकी शायरी में उत्‍तरोत्‍तर परिपक्‍वता आई है। उन्‍होंने भी गंगाजमुनी भाषा में रची इन गजलों की वाचिक अदायगी की तारीफ की। तेजेनद्र शर्मा ने ममता की कई गजलों के उदाहरण देते हुए कहा कि ये हमारे दिलों के करीब की गजलें हैं।

चंडीगढ साहित्‍य अकादमी के अध्‍यक्ष एवं साहितय अकादमी दिल्‍ली के अध्‍यक्ष जाने माने गजलगो माधव कौशिक ने कहा कि एक दौर था कि पत्र पत्रिकाएं गजलों के न छापने का ऐलान किया करती थीं किनतु आज सभी जगह गजलों की मांग है। प्रकाशक भी इसे प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्‍होंने ममता किरण की इन गजलों में आम जबान की अदायगी की सराहना की और कहा कि आज हिंदी गजल उर्दू की गजल से कहीं भी कम नही है। हिंदी गजलों में सामाजिक यथार्थ जिस तेजी से आ रहा है उसे उर्दू गजलों ने भी अपनी अंतर्वस्‍तु में शामिल किया है।

डॉ पुष्‍पा राही ने कहा कि ममता किरण की इन गजलों में ममता व आत्‍मीयता का निवास है। उसने भारतीय जन जीवन में व्‍याप्‍त संबंधों बेटे बेटियों व पारिवारिकता को गजलों में प्रश्रय दिया है। कई गजलों से शेर उद्धृत करते हुए उन्‍होंने बल देकर कहा कि ममता किरण के पास गजल का एक सिद्ध मुहावरा है जो उन्‍हें इस क्षेत्र में पर्याप्‍त ख्याति देगा।

इन गजलों पर अपनी सम्‍मति व्‍यक्‍त करते हुए बाल स्‍वरूप राही ने कहा कि ममता किरण ने अपने इससंग्र्रह से गजलकी दुनिया में एक उम्‍मीद पैदा की है । उन्‍होने कहा आम जीवन की तमाम बातें इन गजलों का आधार बनी है। बोलचाल की एक अनूठी लय इन गजलों में हैं। उन्‍होने ममता किरण को एक बेहतरीन शायरा का दर्जा देते हुए कहा कि वे भविष्‍य में ओर भी बेहतरीन गजलों के साथ सामने आएंगी ।

लोकार्पण को संगीतमय बनाने के लिए ममता किरण की गजल को गायक एवं संगीतकार आर बी कैले ने गाकर सुनाया। गायक जनाब शकील अहमद ने भी उनकी गजल गाकर महफिल को संगीतमय कर दिया।

अंत में मृदुला सतीश टंडन में जश्‍नेहिंद की ओर से धन्‍यववाद ज्ञापित करते हुए कहा कि ममता किरण से उन्‍हें  बहुत आशाएं  हैं तथा अदब की दुनिया में उन्‍होनं अपनी मौजदूगी से एक हलचल पैदा की है। कार्यक्रम का संचालन हिंदी के सुधी कवि गीतकार एवं समालोचक डॉ ओम निश्‍चल ने किया। रात आठ बजे से शुरु होकर यह गोष्‍ठी रात साढे दस बजे तक चलती रही।

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