29 जुलाई 2020 , स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एसवाईएल नहर निर्माण मुद्दे की सुनवाई करने वाली सुप्रीमकोर्ट की बेंच के इस सुझाव को बेमानी बताया कि पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्री मिलकर इस मामले को सुलझाएं1

 विद्रोही ने कहा यदि एसवाईएल नहर निर्माण मुद्दा दोनों राज्यों की आपसी बात से सुलझता तो यह मामला न तो वर्षों तक लटका रहता और न ही इस मुद्दे पर हरियाणा को सुप्रीम कोर्ट में आने की जरूरत होती1 वैसे भी सुप्रीम कोर्ट के मान्य न्यायधीश शायद भूल रहे हैं कि उनका काम इस मामले में सलाह देना नहीं अपितु अपने जनवरी 2002 के आदेश का पालन करवाना है1 जिसके अनुसार पंजाब में अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर निर्माण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है1 सवाल उठता है सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2002 के निर्णय को लागू करवाने के लिए मोदी-भाजपा सरकार को नहर निर्माण सेना निगरानी में करवाने का आदेश देने से क्यों बच रहे हैं1                   

 विद्रोही ने कहा कि जब सुप्रीमकोर्ट ही अपने निर्णय को लागू करवाने से बचेगा तो उसके निर्णय का औचित्य ही क्या रह जाता है?  जमीनी धरातल की वास्तविकता यह है कि बातचीत से यह मुद्दा नहीं हल होने वाला1 सुप्रीमकोर्ट को एक कड़े आदेश के द्वारा ही अपने निर्णय को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को मजबूर करके हरियाणा में को उसका वाजिब कानूनी हक दिलवाना होगा1                 

विद्रोही ने कहा कि जनवरी 2002 के सुप्रीमकोर्ट के निर्णय को लागू करने से उस समय की बाजपई भाजपा सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग गई1 और अब मोदी सरकार राजनीतिक कारणों से सेना निगरानी में एसवाईएन निर्माण की जिम्मेदारी से भागना चाहती है1 कटु सत्य यह है कि जब सुप्रीमकोर्ट का एक बार फिर 10 नवंबर 2016 को हरियाणा के पक्ष में फैसला आया तब भी केंद्र में मोदी-भाजपा सरकार थी व पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार थी1 पंजाब की अकाली दल सरकार ने पंजाब में वर्षों पूर्व एसवाईएल निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन को डिनोटिफाइड करके पंजाब क्षेत्र में थोड़ी-बहुत जो नहर बनी थी उसे भी पाट दिया था1             

 विद्रोही ने कहा उस समय भी मोदी सरकार की कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने नहर पाटने के लिए पंजाब के लोगों को उकसाने के लिए जहरीले बयान दागे थे1 पर क्या मोदी जी ने अपने मंत्री की असंवैधानिक हरकतों पर नोटिस लेकर उसे बर्खास्त किया? आज भी वही हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनी हुई है1 जो बताता है केंद्र सरकार इस नहर निर्माण के प्रति  कितनी ईमानदार व गंभीर है?           

  विद्रोही ने हरियाणा के लोगों से अपील की कि वे इधर-उधर की बात करने की बजाय मोदी-भाजपा सरकार को मजबूर करें कि सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2002 के आदेश अनुसार केंद्र सरकार सेना की निगरानी में पंजाब में अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर का निर्माण करके अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाए1 

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