हांसी , 28 जुलाई। मनमोहन शर्मा 

हिसार स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने एम-29 झोटों के क्लोन कटड़े पैदा करके हरियाणा व भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया है। वैज्ञानिकों के इस अविष्कार से केवल हरियाणा ही नहीं, अन्य कई राज्यों के भैंस पालक किसानों को काफी लाभ मिलेगा, क्योंकि एम-29 झोटे के सीमन की काफी मांग है जो इस अविष्कार के बाद पूरी हो सकेगी।

यह बात हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा ने आज सिरसा रोड स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान में वहां के वैज्ञानिकों से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने झोटों का क्लोन तैयार करने वाली टीम को बधाई देते हुए इस कार्य को भैंसों की नस्ल सुधार की दिशा में बहुत बड़ी उपलब्धि बताया। डिप्टी स्पीकर ने संस्थान के परिसर में पौधारोपण भी किया।

डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा ने केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही गतिविधियों का निरीक्षण किया और क्लोन कटड़े देखने की इच्छा जाहिर की।  इसमें 7 कटड़े एम-29 झोटे के क्लोन है। उन्होंने बताया कि आज किसानों के बीच एम-29 के सीमन की बहुत जरूरत है।  डिप्टी स्पीकर ने बताया कि इस झोटे की कटडिय़ों ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के किसानों की भैंसों की नस्ल सुधार में बहुत योगदान दिया है। किसानों की जरूरत को देखते हुए कि संस्थान ने एम-29 झोटे के क्लोन तैयार करने का जो निर्णय लिया वह बहुत सराहनीय है। इसके लिए वे मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलकर टीम को सम्मानित करवाने की सिफारिश करेंगे तथा हरियाणा सरकार की तरफ  से केंद्र सरकार को भी टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भिजवाया जाएगा। 

संस्थान के निदेशक डॉ. सतबीर सिंह दहिया ने बताया कि संस्थान ने क्लोनिंग में विश्व स्तर पर नया कीर्तिमान बनाया है। उन्होंने बताया कि इन 7 कटड़ों के सीमन से यह संस्थान किसानों की आय बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बताया कि इन क्लोन को तैयार करने में हमारी टीम ने दिन-रात मेहनत की जिसमें डॉ. प्रेम सिंह यादव, डॉ. नरेश सेलोकर, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. राकेश कुमार शर्मा, डॉ. प्रदीप कुमार व पीआरओ डॉ. राजेश कुमार का विशेष योगदान रहा।

संस्थान के पीआरओ डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि क्लोनिंग एक वैज्ञानिक पद्धति है। इसमें यौन संबंधों के बिना किसी पशु की कॉपी बनाई जाती है। प्रोजेक्ट प्रमुख डॉ. प्रेम सिंह यादव ने बताया कि सबसे पहले झोटे की पूंछ के नीचे  से सेल लिया जाता है। इस सेल को लैब में विकसित किया जाता है और कुछ दिन बाद स्वस्थ भैंस के गर्भ में रख दिया जाता है। इस भैंस से पैदा होने वाले कटड़े को क्लोन कहा जाता है। 

इस अवसर पर सुभाष कुंडू, जगदीश सांचला, रामचंद्र गंगवा, डॉ. अनुराग भारद्वाज, डॉ. सज्जन सिंह, डॉ. पीसी लेलर, डॉ. अशोक कुमार तोमर, डॉ. बीपी सिंह भूपसिंह खिचड़, जगदीश सारड़ीवाल, राजबीर रानौलिया, रामचंद्र गंगवा, संदीप गंगवा, ओमप्रकाश टाक, रामस्वरूप गंगवा, जगप्रवेश व विक्रम गंगवा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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