भवन निर्माण मजदूरो को न निश्चित वेतन-दिहाड़ी, न कोई आश्रय, न ही कोई सुरक्षा: राजेन्द्र सिंह

भवन निर्माण कारीगर मजदूर संघ ने मजदूरों की समस्याओं को लेकर निदेशक को सौंपा मांग पत्र
4 महीने से काम ठप्प होने से परिवार का गुजारा मुश्किल

रमेश गोयत

पंचकूला, 27 जुलाई। भवन निर्माण कारीगर मजदूर संघ ने सोमवार को सैक्टर 4 पंचकूला में भवन निर्माण कारीगर मजदूरों की  समस्याओं को लेकर मजदूर कल्याण बोर्ड के निदेशक को एक मांग पत्र सौंपा। भवन निर्माण कारीगर मजदूर संघ के राज्य प्रधान राजेन्द्र सिंह व बलबीर सिंह राज्य सचिव ने निदेशक को दिए ज्ञापन में बताया कि भवन निर्माण से जुड़े श्रमिकों के सामने दिक्कतों और समस्याए आ रही है। कोरोना महामारी की वजह से देश के अन्य क्षेत्रों के मजदूरों के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश के भवन निर्माण से जुड़े श्रमिकों का जीवन भी विकट समस्या-संकटों से ग्रस्त है। इनमें प्रवासी मजदूर भी हैं जिनके लिए कोई निश्चित वेतन-दिहाड़ी नही है, न कोई आश्रय है, न ही कोई सुरक्षा है। रोज दिहाड़ी करके ही इनके परिवार का गुजर बसर चलता है। पिछले 4 महीने से काम ठप्प होने से उनके परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है। लॉकडाउन में सरकार द्वारा घोषित सहायता भी कुछ ही मजदूरों को मिल पाई है, वह भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। मजदूरों का बहुत बड़ा हिस्सा उससे भी वंचित रह गया है। पंजीकरण कराने और हरियाणा भवन निर्माण एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए प्रदेश के मजदूरों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। उन्हें सरकारी आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है।

मांग पत्र में दी गई मांगें

लॉकडाउन अवधि में भवन निर्माण मजदूरों के लिए सरकार द्वारा घोषित राशि अपर्याप्त है अत: प्रत्येक पंजीकृत-अपंजीकृत निर्माण मजदूर-मिस्त्री के परिवार को 10 हजार रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जाए। बोर्ड की ओर से भवन निर्माण मजदूरों को मिलने वाले हितलाभों के सभी आवेदन फार्मों की बन्द पड़ी आॅनलाइन प्रक्रिया को तुरंत शुरू किया जाये ताकि मजदूरों को उनके हितलाभ मिल सकें। पंजीकरण व हितलाभ पाने की प्रक्रिया सरल और व्यवहारिक बनाई जाए। कारपेंटर, पलंबर, इलैक्टिशियन, सैटरिंग व जाल बांधने वाले आदि बहुत सारे निर्माण मजदूरों की वर्क स्लिप पर अधिकारी साइन करने से मना कर देते हैं क्योंकि वे मनरेगा के तहत काम नहीं करते हैं। मकान मालिक व ठेकेदार भी पंजीकरण नंबर, हस्ताक्षरयुक्त आधार कार्ड व मोबाइल नंबर आदि मजदूरों को नहीं देते हैं। इससे वे इस कानून के तहत मिलने वाले हक से वंचित रह जाते हैं। अत: भवन निर्माण के मजदूरों पर लगाई गैर-व्यवहारिक व नाजायज सभी शर्तें हटाई जाएं। मजदूरों से बिना कोई पैसा लिए सरकार द्वारा खुद पंजीकरण किया जाये। हर साल 90 दिन के कार्य की प्रमाणिकता को समाप्त किया जाये या स्वयं मजदूर द्वारा दी गई प्रमाणिकता को ही मान्य किया जाए।

लॉकडाउन अवधि में सरकारी सहायता के मामले में ज्यादातर भवन निर्माण मजदूरों को मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना में डाल दिया गया है। जिस परिवार में एक से ज्यादा लोग भवन निर्माण के पंजीकृत मजदूर हैं उनको इसमें डालने से वे 1000 रुपये प्रति सप्ताह मिलने वाली सरकारी सहायता से वंचित रह गए हैं। भवन निर्माण मजदूरों के आवेदन के स्टेट्स में पांच हजार रुपये जो 27 अपैल 2020 तक दिखाए गये हैं, वे उनके बैंक खाते आधार कार्ड से लिंक नही होने से उन्हें मिल नही पाये। अब जिन मजदूरों ने अपने आधार कार्ड बैंक खाते से लिंक करवा लिए हैं, उनके खाते में ये पैसे दोबारा से डाले जाए। लॉकडाउन के दौरान की सरकारी सहायता से वंचित भवन निर्माण के आॅफलाइन-आॅनलाइन पंजीकृत मजदूरों को तुरंत प्रभाव से राशि वितरित की जाए।

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