पचकुलां 28 जुलाई। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इशारों पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने लोकतांत्रिक व्यवस्था और प्रजातांत्रिक मूल्यों का हनन करके प्रजातंत्र का गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया है। चन्द्र मोहन ने कहा कि भारत के संविधान ने राज्यपाल को सीमित अधिकार दिए है। वह मंत्रीमंडल के फैसले को मानने के लिए बाध्य है। केन्द्रीय नेतृत्व के इशारों पर सभी संवैधानिक परम्पराओं और मान्यताओं को तार-तार करते हुए, अपने पद और गरिमा को मिट्टी में मिलाने का काम किया है। आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि राज्यपाल ने राजस्थान मंत्रिमंडल के विधानसभा का सत्र बुलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए बिना ही प्रश्नो के साथ लौटाया हो। तिथि का निर्धारण  करने का अधिकार केवल मात्र मंत्रीमण्डल को है। तिथि पर मतभेद होने के बावजूद मंत्रिमंडल दोबारा प्रस्ताव भेजता है तो राज्यपाल उसे मानने के लिए बाध्य है।  

  उन्होंने याद दिलाया कि वह भी चार बार विधायक रहे हैं, जो भी प्रस्ताव मंत्रीमंडल द्वारा भेजा गया, उसे स्वीकार कर लिया गया। राज्यपाल को मंत्रीमंडल के फैसले की सूचना अखबारों के माध्यम से मिलती है। संविधान के अनुसार शाशन मुख्यमंत्री करता है, राज्यपाल केवल अपनी संवैधानिक परम्पराओं से बंधा होता है। चन्द्र मोहन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कल सारे देश में प्रजातंत्र और संविधान बचाओ कार्यक्रम का आयोजन किया गया ताकि प्रजातंत्र का गला घोंटने का काम 2014 के पश्चात विभिन्न प्रदेशों के राज्यपालों द्वारा किया गया है, उसे लोकतंत्र पर कंलक के रूप में देखा जा रहा है।

error: Content is protected !!