10 वर्ष पुराने डीजल एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों पर सरकार की पाबंदी गैरकानूनी ?

केंद्रीय मोटर वाहन संशोधित अधिनियम 2019 के अनुसार 10 साल पुराने डीजल वाहन एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन अपना रजिस्ट्रेशन रिन्यू करवा सकते हैं किंतु हरियाणा सरकार इस अधिनियम का पालन ना करते हुए करोड़ों जनता के अधिकारों का हनन करते हुए उनके खून पसीने की गाढ़ी कमाई के वैध वाहनों को अवैध तरीकों से बंद क्यों करवा रही है ?

विश्वस्त सूत्रों एवं कोर्ट की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी अनुसार गुड़गांव कोर्ट में इस विषय पर एक याचिका दायर की गई जिस याचिक को माननीय गुड़गांव न्यायालय ने मंजूर किया एवं हरियाणा सरकार एवं केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किए। 

याचिकाकर्ता ने याचिका में तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया कि मोटर वाहन अधिनियम 2019 के अनुसार 10 साल पुराने डीजल वाहन एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन अपना रजिस्ट्रेशन रिन्यू करवा सकते हैं किंतु हरियाणा सरकार ने इन पुराने वाहनों पर पिछले 5 वर्षों से प्रतिबंध लगा रखा है एवं लाखों वाहन स्क्रैप कर दिए या वाहन मालिकों को अपने वाहन औने पौने दामों पर बेचने को मजबूर कर दिया ।

याचिकाकर्ता ने माननीय न्यायालय से प्रार्थना की कि जब मोटर वाहन अधिनियम इन वाहनों को इस्तेमाल करने एवं 10 एवं 15 वर्ष बाद इन वाहनों के पंजीकरण की अवधि अगले 5 वर्षों के लिए रिन्यू करने की इजाज़त देता है अतः हरियाणा सरकार द्वारा ये प्रतिबंध गैरकानूनी है ।

गुड़गांव न्यायालय में हरियाणा सरकार की दलीलें कमज़ोर पड़ती जा रही थी एवं फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में जा रहा था ।

हरियाणा सरकार के अधिवक्ताओं ने गुड़गांव न्यायालय में इस याचिका का विरोध किया किंतु गुड़गांव न्यायालय ने याचिकाकर्ता की कई दलीलों को न्यायसंगत ठहराते हुए याचिका को मान्यता दी ।

मज़ेदार बात ये है कि इस याचिका पर रोक लगवाने की अर्जी ले कर खुद केंद्र सरकार के 2019 के मोटर वाहन अधिनियम के खिलाफ हरियाणा सरकार हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गई एवं गुड़गांव न्यायालय में चल रही इस याचिका की सुनवाई पर रोक लगाने की अर्जी दाखिल की ।

माननीय हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी हरियाणा सरकार की याचिका पर गुड़गांव न्यायालय में चल रही सुनवाई को निरस्त नहीं किया एवं माननीय हरियाणा उच्च न्यायालय के अगले आदेशों तक गुड़गांव कोर्ट की सुनवाई को मात्र स्थगित कर दिया एवं याचिकाकर्ता, हरियाणा सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी अगली सुनवाई के नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं ।

पूरे मामले का तात्पर्य यह है कि याचिकाकर्ता के अनुसार भारत सरकार के संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 2019 के अनुसार 10 वर्ष पुराने डीजल वाहन एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन बंद नहीं हो सकते बल्कि उनके रजिस्ट्रेशन अगले 5 वर्षों के लिए रिन्यू होंगे ।
दुर्भाग्य की बात यह है कि हरियाणा सरकार खुद ही केंद्र सरकार के अधिनियम एवं खुद हरियाणा सरकार के मोटर वाहन कानून के खिलाफ हरियाणा उच्च न्यायालय पहुंची है ।

गौरतलब बात ये है कि इस याचिका के उपरांत पिछले सप्ताह ही गाजियाबाद प्रशासन ने 10 एवं 15 वर्ष पुराने डीजल एवं पेट्रोल वाहनों के पंजीकरण को रिन्यू करने की शुरुआत कर दी है एवं इस संदर्भ में पब्लिक नोटिस भी सार्वजनिक किए हैं ।

जब गाजियाबाद में इन वाहनों के पंजीकरण रिन्यू हो सकते हैं तो गुड़गांव में क्यों नहीं, आखिर दोनो छेत्र एनसीआर में ही आते हैं ।

जहाँ याचिकाकर्ता का उद्देश्य करोड़ों जनता , सामान्य एवं गरीब वर्ग को उनका कानूनी हक दिलवा कर उनके वैध वाहनों को स्क्रैप होने से बचाना है वहीं,हरियाणा सरकार केंद्रीय अधिनियम एवं हरियाणा मोटर वाहन अधिनियम का पालन क्यों नहीं करना चाहती एवं आम जनता के वैध वाहनों से सरकार को क्या समस्या है इसका जवाब तो हरियाणा सरकार ही दे सकती है.

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