भिवानी/शशी कौशिक

 पेंशन बहाली संघर्ष समिति महिला मोर्चा की प्रवक्ता सुदेश सांगवान ने कहा कि पुरानी पेंशन की लड़ाई में अब समूचे देश की महिला कर्मचारी जाग चुकी हैं, नई और पुरानी पेंशन के अंतर को समझ चुकी हैं और वें यह भी समझ चुकी हैं कि यह समय संकोच कर छुपने का नहीं बल्कि अग्रिम पंक्ति में आकर अपने हकों की लड़ाई लडऩे का है। जिसके चलते उन्होंने पेंशन के मुद्दे पर आर पार की निर्णायक जंग लडऩे का संकल्प लिया है।

उन्होने कहा कि आज महिलाएं अपने हकों के प्रति जागरूक हैं। करोड़पति, अरबपति पूर्व विधायक व सांसद तो पुरानी पेंशन के हकदार शपथ लेते ही और कर्मचारी पच्चीस तीस साल सेवा देने के बाद भी पेंशन विहीन। यदि नयी पेंशन व्यवस्था इतनी ही अच्छी है तो माननीय रखें अपने आपको इसके अंदर और देश सेवा का परिचय दें। ये कौन सा तर्क है कि कर्मचारियों की एक पेंशन भी खजाने पर बोझ और नेताओं की अनेकों पेंशन खजाने पर बोझ नहीं। बल्कि हम तो यह कहेंगे कि वो खजाने को हल्का कर रहे हैं। किसी भी देश की व्यवस्था चलाने के लिए कर्मचारियों, अधिकारियों की भूमिका अहम होती है। जबकि विधायक, सांसद तो हर पांच साल में बदल जाते हैं। लंबी सेवा तो कर्मचारी ही देते हैं, इसके बावजूद उनका बुढापा असुरक्षित होता है?

श्रीमती सांगवान ने सरकार से मांग की हैं कि इस कोरोना संकट में जान जोखिम में डाल लोगों की जान बचाने वाले अपने कर्मचारियों की सुध लें और कर्मचारियों की पुरानी पेंशन लागू करें।

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