25 जुलाई 2020 .  स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि तहसीलों में रजिस्ट्री व अन्य मामलों में ली गई रिश्वत के पैसों से प्रदेश भर भर के रेस्ट हाउसों में मुफ्त का राशन पाडऩे वाले मुख्यमंत्री, मंत्री, सत्तारूढ़ दल के सांसद, विधायक, उच्च प्रशासनिक अधिकारी कोविड-19 संकट समय में प्रदेश भर में हुए रजिस्ट्री घोटाले की निष्पक्ष जांच करवाके दोषियों को दंडित करेंगे इससे अधिक क्रूर मजाक और कोई हो ही नहीं सकता1                     

विद्रोही ने कहा जो सत्तारूढ़ नेता व प्रशासनिक अधिकारी हर रोज सरकारी रेस्ट हाउसों में तहसीलों में लिए रिश्वत के पैसे से भोजन पाड़ते और अपने साथ आए लोगों को मुफ्त का राशन पड़वाते है वे भ्रष्टाचार खात्मे की बात करें इससे अधिक हास्यास्पद बात और क्या हो सकती1 जमीनी धरातल का कटु सत्य यह है रेस्ट हाउसो में ठहरने वाले मुख्यमंत्री, मंत्रियों, सत्तारूढ़ दल के सांसदों-विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों के भोजन, राशन व अन्य सुविधाओं का खर्चा संबंधित तहसीलदार, नायब तहसीलदार उठाते हैं1 यह ऐसा कोई छुपा रहस्य नहीं जिसे कोई नहीं जानता हो1 इस बात को हर दल का नेता, कार्यकर्ता, पत्रकार, अधिकारी सब जानते हैं1                 

  विद्रोही ने कहा कि जब मुख्यमंत्री से लेकर विधायको, अफसरों व उनके पूरे अमले, चेले चपाटो का रेस्ट हाउस का खर्चा बेगार के रूप में तहसीलदार, नायब तहसीलदार उठाते हो तो तहसीलों में भ्रष्टाचार नहीं पनपेगा तो क्या सदाचार पनपेगा1   इमानदारी का ढोल पीटना एक बात है और उस पर आचरण करना दूसरी बात है1 मुख्यमंत्री खट्टर जी रेस्ट हाउस अपने भोजन खर्चे के नाम पर सो-दो सो रुपए देने की नौटंकी करते हैं1 पर वे बताएंगे एक मुख्यमंत्री के लिए कई तरह का बना भोजन क्या सो-दो सो रुपए मे बन जाता हैं?              

 विद्रोही ने पूछा उनके साथ आए लंबे चौड़े सुरक्षाकर्मियों, स्टाफ और उनसे मिलने आने वाले विधायकों, नेताओं, अफसरों, पार्टी कार्यकर्ताओं का चाय-नाश्ता पानी, भोजन का खर्च कौन उठाता है? जब मुख्यमंत्री किसी रेस्ट हाउस में ठहरते हैं तो उनके अलावा अन्य लोगों पर होने वाला खर्च क्या आसमान से टपके पैसे से किया जाता है?             

विद्रोही ने कहा ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर में दम है तो वे अपने मंत्रियों, भाजपा विधायकों, जिला उपायुक्तों, मंडल आयुक्तों का परिवारिक भोजन-राशन आदि खर्चा, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्चा और उनके वेतन व अन्य आय के स्रोत की तुलना करने की जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाने की हिम्मत जुटाए तो उन्हें पता चल जाएगा आय से अधिक ज्यादा खर्चा कहां से हो रहा है!             

 विद्रोही ने कहा कि भारी-भरकम यह खर्चा तहसीलदार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा लिए गए रिश्वत के पैसे से चल रहा है1 इस बात को प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है1