भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम में आज रजिस्ट्री घोटाले ने पैर पसारने आरंभ कर दिए हैं। भू-माफियाओं में चर्चा है कि अगर इसका गहन अनुसंधान हुआ तो बहुत बड़े-बड़े कांड सामने आ जाएंगे और गुरुग्राम में अरबों का नुकसान हो सकता है। चर्चा भू-माफियाओं में यह भी है कि हम तो डूबेंगे सनम, साथ में तुम्हें भी ले डूबेंगे। साथ में ले डूबने का अर्थ इसमें शायद अधिकारी और राजनेताओं से है।

गुरुग्राम साइबर सिटी है। हरियाणा में सबसे अधिक समृद्ध है। अत: भूमि के दाम भी यहां सबसे अधिक हैं और जहां समृद्धि होती है, वहां भ्रष्टाचार तो पनपता ही है। बाहर से आने वालों की संख्या अधिक होने के कारण यहां भूमि के दाम बढ़ते गए। इसका लाभ उठा भू-माफियाओं ने अवैध कॉलोनियां काटनी आरंभ कर दीं। अवैध कॉलोनी काटने के लाभ को देखकर उसकी ओर नेता भी जुडऩे लगे और जब धन और राजनीति हो तो अधिकारी कैसे दूर रह सकते हैं, अधिकारी भी जुडऩे लगे। गुरुग्राम में यह एक व्यापार के रूप में जाना जाने लगा।

इस व्यापार में लाभ कमाने के लिए राजनैतिक पार्टियों का वजूद कोई अर्थ नहीं रखता। हमारी जानकारी में है कि भाजपा, कांग्रेस या अन्य पार्टियों के व्यक्ति भी मिलकर इस व्यापार में लगे हुए हैं। यहां वे पार्टियों की दूरियां भूल जाते हैं, क्योंकि आथिक लाभ हो रहा है।

गुरुग्राम में कृषि क्षेत्र की जमीन पर अवैध कॉलोनियां काटना व आयुध डिपो के 900 मीटर के प्रतिबंधित दायरे में भी कॉलोनियां काटना, सोसायटी बनाना, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाकर फ्लैट बेचना, प्रकार-प्रकार के कार्य चल रहे हैं और ये सभी कार्य जमीन पर दिखाई देते हैं। और इससे लाभ कमाने के लिए जनता का इनके बारे में जानना जरूरी है, जनता जानेगी तभी तो खरीददार आएंगे। अब इसमें उन जिम्मेदार लोगों को जिनकी इसे रोकने की जिम्मेदारी है, उन्हें इन बातों की जानकारी न हो, यह संभव नहीं है। अत: यह कह सकते हैं कि भू-माफिया संगठित गिरोह की तरह कार्य करते हैं।

आज सारा दिन मीडिया में यह मुद्दा छाया रहा। जहां विरोधी पार्टियां इसे सरकार की कमी बताकर सरकार की संलिप्तता बता रही हैं, वहीं सत्ता पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि यह तो केवल इस बारे में हो रही कुछ अनियमितताओं को दूर करने के लिए रोक लगाई गई है और यह सरकार की ओर से स्वयं लगाई गई है। अत: इसमें घोटाला कहां से आ गया।

उपमुख्यमंत्री ने तो स्पष्ट कहा ही है कि यह सब रजिस्ट्री का डिजिटलाइजेशन करने के लिए किया गया है। आज नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने भी कहा कि यह कोई घोटाला नहीं है। उनके समर्थन में कंवरपाल गुर्जर की ओर से भी ब्यान आए कि इसमें कोई घोटाले वाली बात नहीं है, यह सुधार की प्रक्रिया है। तात्पर्य यह है कि सरकार अभी इसे घोटाला नहीं मानती। गृह मंत्री अनिल विज ने भी कहा है कि इसे घोटाला नहीं कहा जा सकता है, जबकि विपक्ष जबरदस्त तरीके से सरकार पर हमलावर है।

वर्तमान परिस्थितियों में लगता है कि बात बहुत आगे निकल गई है। राजनैतिक दलों की बात तो अलग है लेकिन आम जनता में भी यह विश्वास है कि यह घोटाला तो है ही और यह बरसों से चल रहा है। कोरोना काल में भी इसमें अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो गई और यह संज्ञान में आया। अत: इसकी जांच होकर दूध का दूध और पानी का पानी होना ही चाहिए।

राजनैतिक रूचिकर इस बारे में अलग ही राय रखते हैं कि भ्रष्टाचार तो होते रहते हैं, आवाजें भी उठती रहती हैं लेकिन उनकी जांच होती नहीं। और यह तो भाजपा सरकार है, इसमें तो सरकार की कमी बताने का शायद चलन ही नहीं है। अत: आना वाला समय ही बताएगा कि समय के गर्भ में क्या है। वर्तमान में अवश्य भू-माफियाओं में कोरोना से अधिक रजिस्ट्री घोटाले का डर दिखाई दे रहा है।

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