-कमलेश भारतीय पंजाबी में कहा जाता है -काहनू वे पिप्पला खड़ खड़ लाई आपत्त झड़े पुराने, रुत नवेयां दी आई आ ,,,, पीपल के बहाने कहा है कि क्यों शोर मचा रखा है ? मौसम बदल गया है और नये पत्तों की रुत आ गयी है । क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में भी ऐसा मुश्किल दौर आ गया है ? स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी की बात बहुत चर्चित है -हमारा स्वतंत्रता का उद्देश्य अब पूरा हो गया । क्यों न कांग्रेस को अब भंग कर दिया जाये ? पर तब के नेताओं ने इसे नहीं माना क्योंकि वे सभी सत्ता की दहलीज पर खड़े थे । राज काज शुरू किया । डैम और फैक्ट्रियां बनाई गयीं । भाखड़ा बांध पर पंजाबी में गीत है :भाखड़े तों आऊंदी इक, मुटियार नचदी ,,, यानी जो नहर निकाली गयी उसे नाचती हुई मुटियार कहा और माना गया लेकिन इसी मुटियार से पानी पीने के लिए सतलुज यमुना लिंक नहर के कारण आज तक पंजाब व हरियाणा में पानी की लड़ाई है । खून की नदियां भी बहीं जब इसके किनारे रोपड़ के पास बाइस प्रवासी मजदूर आतंकवादियों ने मार गिराये थे । कैसी है यह खून की नदी ? आज तक नहीं बनी । खैर । अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीड़ा उठाया कि देश को कांग्रेस मुक्त करूंगा । इसके चलते येन केन प्रकारेण कांग्रेस की राज्य सरकारें गिराईं जा रही हैं और दलबदल को प्रोत्साहित किया जा रहा है । खरीद फरोख्त की मंडी काफी ऊंचे दर्जे की हो गयी है और विधायकों के भाव भी काफी ऊंचे हो गये हैं । एक बार कांग्रेस विधायक बन जाओ । फिर देखो । इस तरह भाजपा कांग्रेस युक्त और देश कांग्रेस मुक्त होता जा रहा है । यह कैसी मुक्ति ? कहां है स्वच्छ और सुसंस्कृत पार्टी ? कांग्रेस को खत्म करने के लिए गोवा , मणिपुर , उत्तराखंड , मध्यप्रदेश और इन दिनों राजस्थान में लगातार षडयंत्र चलाये जा रहे हैं । यह कैसी मुक्ति ? क्या इस तरह कांग्रेस खत्म कर पाओगे ? वैसे मज़ेदार बात यह कि युवा कांग्रेसी नेता भी इसे खत्म करने में मदद कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी की । मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया मिल गये तो राजस्थान में सचिन पायलट अघोषित रूप से मदद कर रहे हैं । आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी ने कांग्रेस को अंगूठा दिखा दिया । पंजाब में नवजोत सिद्धू दिखाने को तैयार । हरियाणा में कुलदीप बिशनोई भी आ गये मैदान में यह कह कर कि पैंतीस साल से जो नेता कांग्रेस के उच्च पदों पर कब्जे किए बैठे हैं उन्हें नयी जिम्मेदारी देकर नये नेताओं को लाया जाये । यही बात कैप्टन अजय यादव भी कह चुके । चिरंजीव के लिए कितना लड़ना पड़ा तब जाकर टिकट मिली । अमित सिहाग को डाॅ के बी सिंह टिकट दिलाने में सफल रहे और वह विधानसभा भी पहुंचा । संभवतः यही दो नये चेहरे कहे जा सकते हैं हरियाणा में कांग्रेस विधायकों में । कोई और मेरे ध्यान में नहीं । वैसे कुलदीप को कोई गिला शिकवा नहीं होना चाहिए । कांग्रेस ने इस परिवार को क्या नहीं दिया ? मुख्यमंत्री , उपमुख्यमंत्री, अध्यक्ष और कितने ही सदस्य विधायक बनाये । फिर भी एक समय आप कांग्रेस छोड़ कर चले गये । अलग पार्टी बनाई । झंडा उठाया , विरोध के नारे लगाये । सोनिया को बुरा भला कहा । फिर भी कांग्रेस का हाथ थामा । अब हरियाणा का कोई लीडर इनका नेता नहीं । सिर्फ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ही नेता हैं इनके । कुछ कदम बढ़ाये थे एक वरिष्ठ नेता के द्वार तक , फिर लौट आए । क्यों ? ऐसे किसी पार्टी में रहते अलग थलग पड़े रहने से जनाधार वाले नेता माने जाओगे क्या ? आपने जगन रेड्डी और राज ठाकरे बनने की सोची पर किस्मत या जनता ने साथ नहीं दिया । फिर आप कांग्रेस में लौटे । अपने बेटे के लिए लोकसभा टिकट मांगा और जिद्द कर पा भी गये लेकिन जनाधार कहां गया आपका ? जमानत तक बचाने के लाले पड़ गये । क्यों ? यह कैसा जनाधार ? आपकी मांग के पक्ष में हूं । कांग्रेस को आत्म-मंथन की जरूरत है । पर युवा नेताओं को भी आत्म-मंथन करना होगा । जो सचिन ने किया वह कितना उचित ? जो कुलदीप ने अतीत में किया वह कितना सही कदम ? भाजपा और बसपा किस किस से गठबंधन नहीं किया ? मुख्मियमंत्री बनने के सपने नहीं देखे क्या ? सपने देखना बुरा नहीं । मिला क्या ? दोनों तरफ धोखा ही धोखा । बहुत आत्म-मंथन की जरूरत है कांग्रेस को । राहुल गांधी की बनाई टीम बिखर गयी है । क्या पुराने या वरिष्ठ नेता पांव जमाने नहीं दे रहे ? क्या पुराने नेताओं का अनुभव अब कांग्रेस पर शिकंजा जमा चुका है ? विचार करने के लिए बहुत कुछ है । Post navigation सोनाली-सुल्तान प्रकरण:मार्केटिंग बोर्ड की प्रशासक सुमेधा पर कार्यवाही की सिफारिश, CM गहलोत ने राज्यपाल से कहा- कहीं जनता राजभवन न घेर ले, फिर मेरी जिम्मेदारी नहीं होगी