प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष नाड्डा की समीपता काम आई, नए प्रदेश प्रधान के सामने बरोदा उप चुनाव जीतना बड़ी चुनौती, अब संगठन का अनुभव धनखड़ के आयेगा काम ईश्वर धामु चंडीगढ़। हरियाणा भाजपा को एक लम्बी कशमश के बाद आखिर पूर्व कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के रूप में प्रदेश प्रधान मिल गया। भाजपा आलाकमान ने जाट नेता ओम प्रकाश धनखड़ में विश्वास जता कर यह साबित कर दिया है कि भाजपा जाट वर्ग की अनदेखी नहीं करना चाहती। धनखड़ को प्रदेश प्रधान पद सौंप कर भाजपा आलाकमान ने यह मंशा भी जाहिर कर दी कि पार्टी बरोदा का उप चुनाव जीतना चाहती है। इस उप चुनाव में भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। हालांकि भाजपा ने प्रदेश प्रधान पद के लिए निर्णय लेने में समय लगा दिया पर भाजपा के उच्च स्तरीय सूत्र यह प्रारम्भ से ही मानते थे कि हरियाणा में ओम प्रकाश धनखड़ को ही बागडारे सम्भलवाई जायेगी। इस बीच में कई तरह के पड़ाव आए। एक बार तो यह तय माना जाने लगा था कि सुभाष बराला को ही दूसरा मौका दिया जायेगा। लेकिन उक समय ऐसा भी आया कि केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुज्जर को प्रदेश प्रधान तय माना जाने लगा था। पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने ट्विटर पर गुज्जर को बधाई भी दे डाली थी। यह अलग बात रही कि कुछ समय पश्चात बधाई संदेश को ट्विटर से रिमूव कर दिया गया। और इसके बाद एक लम्बी चुपी आ गई। लगने लगा कि प्रदेश प्रधान बनाने की प्रक्रिया को एक समय के लिए रोक दिया गया है। महाशिव रात्रि को भाजपा आलाकमान ने अपने पत्ते खोल दिए और सुबह ही ओम प्रकाश धनखड़ के नाम का पत्र जारी कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि ओम प्रकाश धनखड़ को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बंधों का लाभ मिला है। नड्डा से धनखड़ की दोस्ती एबीवीपी के समय की है। प्रधानमंत्री मोदी से उनकी घनिष्ठता गुजरात के समय की है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के लिए प्रत्याशी घोषित होने के बाद रेवाड़ी में उनकी जो पहली रैली हुई थी, उसके संयेाजक ओमप्रकाश धनखड़ ही थे। मोदी से निकटता की वजह से ही उन्हें पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट स्टैचू आफ यूनिटी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था। रोहतक में हुई चुनावी रैली में प्रधानमंत्री ने मंच से ओम प्रकाश धनखड़ को हरियाणा का किसान चेहरा धोषित कर दिया था। उधर, जींद की रैली में अमित शाह ने भी धनखड़ को किसान नेता कह कर सम्बोधित किया था। निसंदेह अब किसान चेहरे को आगे लाने का लाभ पार्टी को पूरा मिलेगा। क्योकि पार्टी को वर्तमान हालातों में कांग्रेस के भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और जेजेपी के दुष्यंत चौटाला के सामने एक मजबूत जाट नेता चाहिए था। हालांकि प्रदेश प्रधान पद की दौड़ में जाट चेहरा कैप्टन अभिमन्यु भी रहे थे। परन्तु जाटों में आंतरिक विरोध के कारण उनको आगे नहीं लाया गया। धनखड़ का एक मजबूत यह भी रहा कि उनका सम्बंध आरएसएस से भी रहा है। इसलिए उनके प्रदेश प्रधान बनने पर आरएसएस को भी कोई एतराज नहीं रहा। चर्चाकारों का कहना है कि आलाकमान ने बहुत विचार के बाद धनखड़ को प्रदेश प्रधान बनाया है। आलाकमान उनके संगठन के अनुभव का लाभ उठाना चाहती थी। आज जबकि कैडर आधारित पार्टी के संगठन को कमजोर माना जाने लगा है तो धनखड़ की मौजूदगी पार्टी को आधार देगी। अब जंहा तक धनखड़ और मुख्यमंत्री मनोहरलाल के आपसी सम्बंधो की बात उभरती है तो यह स्पष्ट है कि मनोहर मंत्रिमंडल में रह कर धनखड़ के बारे में कई तरह की चचाएं उठती थी। परन्तु चर्चाओं का आधार कभी सामने नहीं आया था। अब के संवेदनशील हालातों में जब मुख्यमंत्री के पास कोई राजनैतिक अनुभवी फ्रंट लाइनर नहीं है, ऐसे में ओम प्रकाश धनखड़ एक विकल्प हो सकते हैं। परन्तु प्रदेश प्रधान के रूप में ओम प्रकाश धनखड़ के सामने कई तरह की चुनौतियां सामने हैं। जंहा संगठन को मजबूत करना एक चुनौती है तो बरोदा का चुनाव जीतना भी एक बड़ी गम्भीर चुनौती है। देखना होगा कि नए प्रदेश प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ सभी चुनौतियों से किस तरह से निपटते हैं? Post navigation 2015-2021 की टीम के लिए चंडिगढ़ धर्मसभा के इन्नर क्लब का आयोजन अब नशा खोरों की खैर नहीं- विज