भोले का पिघला दिल और आसमान से बरसा दिया गंगाजल.
इंच्छापुरी मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों के रहे कपाट बंद

फतह सिंह उजाला
पटौदी। 
अहीरवाल दक्षिणी हरियाणा में पटौदी सहित आसपास के इलाकों में पौराणिक महत्व के विभिन्न शिव मंदिर मौजूद हैं । इनमें सबसे प्रमुख पटौदी के गांव इंच्छापुरी स्थित इंच्छापुरी शिव मंदिर माना जाता है । पौराणिक महत्व के इच्छापुरी शिव मंदिर में स्थापित स्वयंभू शिवलिंग करीब 625 वर्ष पूर्व स्वयं प्रकट हुआ था ।

इस चमत्कारी शिवलिंग के विषय में अनेक साक्षात प्रमाण भी मौजूद हैं । सावन माह के रविवार को महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर ऐसे लगा कि बेशक से तमाम शिव धाम अथवा शिव मंदिर लाॅक कर दिए गए हैं । लेकिन भगवान शंकर जिनका सरल और सर्वमान्य एक और नाम भोले हैं , यही भोले बाबा ने अपने तमाम श्रद्धालुओं की श्रद्धा और भावना को देखते हुए एक प्रकार से रविवार को आसमान से बरसात के रूप में गंगाजल बरसा कर सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया । यह मानना तमाम शिव शिव के श्रद्धालु और शिव के प्रति अटूट आस्था रखने वाले लोगों का है । इंच्छापुरी स्थित शिव मंदिर हरियाणा ही नहीं दक्षिणी हरियाणा से भी बाहर पूरे देश में विख्यात है । यहां पर वर्ष में दो बार शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर्व पर देश भर से लाखों की संख्या में शिव भक्त श्रद्धालु मन्नत मांगने के लिए और मन्नत पूरी होने पर जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं । लेकिन कोरोना कोविड-19 महामारी के चलते सोशल डिस्टेंस का पालन करवाने के लिए सरकार के द्वारा सख्त आदेश दिए गए की कम से कम जिला गुरुग्राम और फरीदाबाद में जो भी बड़े प्रख्यात शिव मंदिर हैं वह नहीं खुलेंग। जलाभिषेक करना चाहे वह अपने आसपास के गांवों में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए भगवान शंकर बाबा भोले का जलाभिषेक कर सकते हैं। इच्छापुरी शिव मंदिर के साथ-साथ पटौदी क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला स्थित हनुमान मंदिर महाकाल मंदिर में भी सन्नाटा ही दिखाई दिया । बोहड़ाकला स्थित महाकाल मंदिर में भी ने कोई भक्त दिखाई दिया ना कोई श्रद्धालु दिखाई दिया । मंदिर परिसर शिवरात्रि पर्व पर पूरी तरह से सुनसान दिखाई दिया ।

इसी कड़ी में इच्छापुरी गांव में स्थित इच्छापुरी शिव मंदिर में भी शासन प्रशासन के आदेशों का पालन करते हुए प्रवेश द्वार पर ताला लगाया हुआ था । यहां  इस पौराणिक महत्व के मंदिर के पुजारी वंशज के सातवीं पीढ़ी के पुजारी राकेश ने बताया कि सावन माह में प्रतिदिन अनेकानेक शिवभक्त श्रद्धालु यहां जलाभिषेक के लिए आते हैं और मंदिर ट्रस्ट प्रबंधन कमेटी के साथ-साथ यहां की व्यवस्था संभालने वालों के बार-बार अनुरोध के बावजूद भी सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं हो पा रहा था । सबसे पहले हम सभी के लिए बीमारी से बचना और स्वस्थ रहना जरूरी है । रही बात बाबा भोले की तो बाबा भोले के प्रति जिस भी श्रद्धालु की श्रद्धा है अथवा श्रद्धा होगी वह जहां भी रहकर शिवरात्रि पर्व पर बाबा भोले को याद करेगा यह मान करके चला जाए कि बाबा भोले किसी को भी निराश नहीं करेंगे । उसकी अरदास, प्रार्थना मन्नत को अवश्य सुनेंगे और पूरी भी करेंगे ।

यह सर्वविदित है कि बाबा भोले अथवा भगवान शंकर इस ब्रह्मांड में महादेव कहलाए हैं और महादेव कहलाने के पीछे यही तर्क है कि वे देवो की भी देव हैं । इसीलिए इन्हें महादेव कहां गया है , बाबा भोले इतने भोले हैं कि मात्र एक लोटा सादा जल के अभिषेक से ही यह प्रसन्न हो जाते हैं और यह श्रद्धालु के मन में जो भी मन्नत हो उसे पूरी करते हुए बिना सोचे पहले वरदान देते हैं और वरदान देने के बाद में विचार करते हैं । ऐसा एक बहुत ही चर्चित उदाहरण वर्णित है कि भस्मासुर को बाबा भोले ने बिना सोचे समझे तथास्तु कहकर मनचाहा वरदान दे दिया,लेकिन जब समस्या ने विकराल रूप ले लिया तो बाबा भोले ने ही अपनी लीला रचते हुए अपने दिए वरदान की लाज भी रखी और उस वरदान से भस्मासुर के द्वारा जो दुरुपयोग किया गया उसका भी समाधान किया ।

मंदिर परिसर में जाने के लिए सड़क मार्ग और रेल मार्ग के रास्तों पर पुलिस प्रशासन का पूरी तरह से नाकेबंदी रही । मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं पर पूरी तरह से पाबंदी रही । हां इतना अवश्य देखा गया कि जो श्रद्धालु भूले भटके पहुंच गए उनकी सुविधा के लिए मंदिर के गर्भ गृह से अलग मंदिर के बाहर ही ऐसी व्यवस्था की गई थी कि वह बाबा भोले का जलाभिषेक कर सकते थे । जो भी कुछ उनके द्वारा अभिषेक में अर्पित किया गया वह सीधा बाबा भोले अथवा शिवलिंग के ऊपर ही अर्पित हो रहा था।  कुल मिलाकर यह पहला मौका रहा इतिहास में की पौराणिक महत्व के स्वयंभू स्थापित इंच्छापुरी के शिव मंदिर के कपाट बंद रहे । मंदिर के कपाट बेशक बंद रहे हो लेकिन बाबा भोले की कृपा हर श्रद्धालु के ऊपर बरसती रही।  इस बात को मंदिर तक नहीं पहुंच पाने वाले अनेक श्रद्धालुओं ने भी स्वीकार किया है। इसके साथ ही हेलीमंडी में श्री श्याम मंदिर, गौरी शंकर मंदिर , बाबा हरदेवा मंदिर , अनाज मंडी स्थित शिव मंदिर आस-पास के गांव में प्राचीन पौराणिक महत्व के मंदिर सभी बंद ही रखे गए । इनके पीछे एक ही कारण रहा कि शिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ ना पहुंचे और कोरोना कोविड-19 जोकि संक्रमण के कारण फैल रहा है उससे हर श्रद्धालु के साथ-साथ आम आदमी भी बचा रहे।  शायद यही इस बार भगवान शंक- बाबा भोले को मंजूर था । सबसे बड़ी बात यह रही कि श्रद्धालुओं ने भी पूरी श्रद्धा और आस्था दिखाते हुए बाबा भोले का आदेश मानते हुए अपने अपने घरों में रहते हुए भी बाबा भोले को याद कर मन्नतें मांगी।

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