(कोरोना संकट के दौर में परिवहन के लिए साइकिल एक मुफीद साधन है)

-डॉo सत्यवान सौरभ, रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,दिल्ली यूनिवर्सिटी,कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,

कोरोना काल में साइकिल का क्रेज आये दिन बढ़ रहा है। अब लॉकडाउन के कारण बदली जीवन शैली और पर्यावरण के प्रति लोग अधिक जागरूक हो रहे हैं।तभी तो साइकिल की खरीदारी भी बढ़ रही है। आज युवाओं के अलावा इंजीनियर, प्रोफेसर, डॉक्टर, रिटायर कर्मचारी और प्रोफेशनल लोग भी सेहत बढ़ाने के लिए साइकिल की खरीदारी करने लगे हैं।

कोरोना संकट के दौर में परिवहन के लिए साइकिल मुफीद साधन है। इस काल में साइकिल की सवारी सस्ती और सुलभ होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज से भी मुफीद है। पर हमारी सरकारों ने नगर नियोजन में साइकिलों के बारे में बहुत कम सोचा है। आधुनिक चमक-दमक के पीछे भागने वाला भारतीय मध्य वर्ग वैसे भी साइकिलों पर चलना हेठी समझता है.

पर आज अब कोरोना काल में साइकिल बहुत सारी समस्याओं का समाधान है। दरअसल, हमारी सोच ही अभिजात वर्ग की तरह हो चली है। हम सड़कों का निर्माण कार या चौपहिया वाहनों के लिए करते हैं, हमारे नक्शे में साइकिल सवार कहीं नहीं है। देश के नए-नए बस रहे शहरों, सेक्टरों या उप-नगरों तक में साइकिल लेन का इंतजाम तक नहीं है।  और कहीं है भी तो लोग उसका प्रयोग नहीं करते, क्योंकि साइकिल हमारी सोच में नहीं है या लोगों को लगता है कि साइकिल पर चलना कम हैसियत का मामला है। पर अब में ये समझ आ गया है कि प्रकृति से तालमेल बिठाकर चलना भी बहुत  ज़रूरी है।

भारतीय शहरों में साइकिल चलने की पहलों को जल्द लागू करने की दिशा में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने साइकल्स फॉर चेंज  चैलेंज की शुरुआत की है। शहरों के सतत् विकास के उद्देश्य से शुरू किये जा रहे इस चैलेंज में स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत सभी शहर, राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानी और 5 लाख से अधिक आबादी वाले देश के सभी शहर हिस्सा ले सकेंगे।

 गौरतलब है कि इस चैलेंज की शुरुआत आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री द्वारा 25 जून, 2020 को की गई थी। इसका उद्देश्य कोविद  -19 के जवाब में साइक्लिंग-फ्रेंडली पहलों को जल्दी से लागू करने के लिए भारतीय शहरों को प्रेरित करने और नागरिकों के साथ-साथ विशेषज्ञों को साइकिल चलाने को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत दृष्टि विकसित करने में मदद करना है। जिससे साइकिल चलाने की प्रथा को बढ़ावा देने हेतु दृष्टिकोण विकसित हो सके।

इस चैलेंज के तहत शहरों के नागरिक समाज संगठनों,  विशेषज्ञों और स्वयंसेवकों के साथ सहयोग कर इस योजना  हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पहल के तहत आम नागरिकों का सहयोग महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। इस चैलेंज का कार्यान्वयन मुख्यतः दो चरणों में किया जाएगा। चैलेंज का पहला चरण अक्तूबर, 2020 तक कार्यान्वित होगा, जिसमें सभी शहर साइकिल चलाने की प्रथा को बढ़ावा देने और इस संबंध में आवश्यक रणनीति तैयार करने के लिये ध्यान केंद्रित करेंगे।

इसके पश्चात् दूसरे चरण में कुल 11 शहरों का चयन किया जाएगा और उनकी संबंधित योजनाओं को आगे बढाने तथा उनमें आवश्यक सुधार करने के लिये 1 करोड़ रुपए की राशि और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों से दिशा-निर्देश प्रदान किया जाएगा, चैलेंज का दूसरा चरण मई, 2021 तक कार्यान्वित किया जाएगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि ‘भारत सरकार उच्च गुणवत्ता वाली परिवहन प्रणाली विकसित करने में शहरों की सहायता करने हेतु प्रतिबद्ध है।’ सरकार का यह चैलेंज आम नागरिकों, विशेषज्ञों, शहर के साइक्लिंग समूहों, साइकिलों का निर्माण और उनकी बिक्री करने वाले व्यापारियों आदि को एक इकाई में जोड़ने का एक बेहतरीन तरीका है। इसके माध्यम से शहरों में सतत् परिवहन की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा सकेगा। यह पहल शहरों में सक्रिय गतिशीलता को प्रोत्साहित करने के साथ ही स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के दोहरे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी।

इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डवलपमेंट पॉलिसी के सर्वेक्षण के अनुसार, कोविद -19 जनित लॉकडाउन के पूरी तरह से समाप्त होने के पश्चात् विश्व भर के बड़े शहरों में साइकिल के प्रयोग में 50-60 प्रतिशत बढ़ोतरी हो सकती है। इस अवसर का उठाने के उद्देश्य से विश्व भर के बड़े शहर अपने साइकिल नेटवर्क के विस्तार पर विचार कर रहे हैं, उदाहरण के लिये पेरिस ने अप्रैल माह में तकरीबन 650 किलोमीटर लंबे साइकिल मार्ग के निर्माण की घोषणा की थी।

गौरतलब है कि भारतीय शहरों के लिये भी यह एक बड़ा अवसर है, वे साइकिल जैसे स्वच्छ और स्वस्थ परिवहन साधन का उपयोग करने के लिये आम लोगों को प्रोत्साहित करें और इस संबंध में एक अनुकूल वातावरण का निर्माण करें। स्मार्ट सिटीज मिशन एक पहल है, जो कोविद -19 के जवाब में साइक्लिंग-फ्रेंडली पहलों को जल्दी से लागू करने के लिए भारतीय शहरों को प्रेरित और सपोर्ट करती है।

शहरों में तालाबंदी से बाहर आने पर साइकिलिंग में 50-65% की वृद्धि हुई है । दुनिया भर के शहर अपने साइकिल नेटवर्क और सार्वजनिक साइकिल-शेयरिंग सिस्टम का विस्तार करने का अवसर प्राप्त कर रहे हैं। साइक्लिंग बढ़ाने से शहरों को हरित आर्थिक सुधार में मदद मिल सकती है। कम दूरी के लिए साइकिल चलाने से भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.8 ट्रिलियन रूपये का वार्षिक लाभ मिल सकता है।

कोरोना के इस दौर में सेहत बनाने के लिए साइकिल सरल, सस्ता और सुविधाजनक साधन बन गया है। जाम के झाम से बचने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग में भी सहायक है।  आज बाजार में ब्रांडेड कंपनियों की अत्याधुनिक तकनीक से लैस स्टाइलिश साइकिल का युवाओं में खूब क्रेज है। हां, अब हमें सिर्फ अपनी सामंती मानसिकता का त्याग करना होगा कि साइकिल पर निचले तबके के लोग चढ़ते हैं।

देखा जाए तो व्यापक स्तर पर साइकिल की सवारी से समतामूलक भावना के निर्माण में भी मदद मिलेगी। फिलहाल, तो स्थिति ये है कि जो जितनी लंबी कार वाला है, वो उतना ब़ड़ा आदमी है।  लेकिन अब आने वाले समय में सोच करवट ले रही है,  बड़े महानगर का उच्च वर्ग, नौकरशाहऔर पूँजीपति अब साइकिल पर ऑफिस के लिए निकलेंगे तो छोटे शहरों, गांव व कस्बों में भी साइकिल की रौनक दोबारा से लौटेगी।

हमारी प्यारी साइकिल हम सबके जीवन में बहार बन लौट आये ऐसी कामना है। इसके प्रति जनता में जागरूकता फैलाने के लिए एक ‘साइकिल चलाओ दिवस’ मनाने की बजाय  हमें हर दिन जागरूकता चाहिए. यही उचित एवं सही समय है ‘साइकिल क्रांति’ के आह्वान का और कोरोना को मुंहतोड़ जवाब देने का।

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