मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला,अभय चौटाला,चारों की प्रतिष्ठा है दांव पर:

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

बरोदा उप चुनाव की अभी घोषणा भी नहीं हुई। लंबा समय बाकी है। लेकिन हरियाणा की सिसायत में अभी से उबाल आने लगा है। भाजपा हो, कांग्रेस हो, जजपा हो या फिर इनेलो के अभय चौटाला, काई भी इस युद्ध में पीछे नहीं दिखाई रहा।

सर्वप्रथम बात करें मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तो वह बरोदा के गांवों में घूमते हुए जनता से कहते हैं कि देख लो, आपको सरकार के साथ रहा है या विरोध में। इससे आगे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तंज कसते हैं कि वह और उनका बेटा दोनो ही अपने क्षेत्र से चुनाव हारे हैं तो क्या मुंह लेकर बड़बोली बात करते हैं। ये बातें नैतिकता के अनुसार तो शायद कोई भी उचित नहीं मानेगा लेकिन मुख्यमंत्री ने कही हैं तो उचित ही हैं। इससे यह अवश्य अनुमान हो जाता है कि आने वाले समय में कैसे-कैसे बयान आ सकते हैं।

इधर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चैलेंज करते हैं कि मैं बरोदा से चुनाव लड़ता हूं, हिम्मत है तो मेरे सामने आकर लड़ो, जबकि वह यह जानते हैं कि यह उप चुनाव है और मुख्यमंत्री अपना विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने हैं। अत: इस कार्यकाल में उन्हें चुनाव लडऩे की कोई आवश्यकता नहीं लेकिन फिर भी नैतिकता को छोड़ चैलेंज दे रहे हैं।

हां, आज अवश्य प्रेस वार्ता में उन्होंने सरकार की अनेक कमियां गिनवाईं, अनेक घोटाले बताए और सरकार के कामकाज की समीक्षा की। राजनीति में यह अवश्य होना चाहिए, क्योंकि इसके पश्चात वह कह गए कि भाजपा के साथ हरियाणा में अपराधियों के अतिरिक्त और कोई नहीं है, कैसी बात?

इधर अभय चौटाला आज भिवानी में कह रहे थे कि इस चुनाव के पश्चात सरकार गिर जाएगी। यह परंपरागत इनेलो की सीट है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा झूठ बोल रहे हैं कि यह कांग्रेस की सीट है। वह शायद भूल गए कि वर्तमान में कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन से ही यह सीट खाली हुई है और वह कांग्रेस के विधायक थे।

इससे आगे उन्होंने जजपा पर तंज कसते हुए कहा कि अगर वह विश्वासघात नहीं करते तो हरियाणा में इनेलो का शासन होता। पर खैर, अब चुनाव के पश्चात इनेलो की ही सरकार बनेगी। जजपा से सिर्फ दो रह जाएंगे, बाकी सभी इनेलो के साथ आ जाएंगे।

अब जजपा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि हम भाजपा के साथ चुनाव लड़ेंगे और सीट जीतेंगे। अभी उन्हें यह नहीं पता कि उम्मीदवार भाजपा का होगा या जजपा का। जजपा के होने की तो संभावना ही दिखाई नहीं दे रहीं। हां, ऐसी संभावनाएं जरूर हैं कि उम्मीदवार जजपा का हो और लड़े भाजपा के चुनाव चिन्ह पर। खैर, जो भी हो अभी दुष्यंत चौटाला की ओर से कोई हल्की बात सुनने में नहीं आई है।

चारों की प्रतिष्ठा है दांव पर:

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का यह कहना कि भाजपा बेशक कभी यह सीट नहीं जीती, अब जीतेगी, बहुत कुछ कह जाता है। पर खैर, वर्तमान में यह कह सकते हैं कि उप चुनाव में सरकार की हार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री पर पड़ेगी ही पड़ेगी और वह मुख्यमंत्री जो इस समय संगठन चुनाव, कोरोना, कर्मचारियों के प्रदर्शन… आदि-आदि से जूझ रहा हो। अत: प्रतिष्ठा दांव पर है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जो कांग्रेस में सदा ही अपना वर्चस्व बनाए रखने के फेर में अनेक वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के निशाने पर रहे हैं, वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष हैं, यह सीट भी उनकी पार्टी और उनके विधायक के निधन से रिक्त हुई है। अत: यदि यह सीट कांग्रेस नहीं जीत पाई तो जो सपने भूपेंद्र सिंह हुड्डा देख रहे हैं कि हरियाणा में पार्टी का एकछत्र नेता मैं ही होउंगा, उस सपने पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। अत: प्रतिष्ठा दांव पर।

दुष्यंत चौटाला जो अल्पकाल में पार्टी बनाकर दस सीट जीत उपमुख्यमंत्री बन गए, अब बरोदा विधानसभा क्षेत्र जाट बाहुल्य क्षेत्र है, भाजपा कभी वहां जीती नहीं। यदि जाट दुष्यंत चौटाला को वोट देंगे तो भाजपा के जीतने की संभावनाएं दिखाई देने लगती हैं। लेकिन यदि यहां से भाजपा हारती है तो जो आजकल चर्चा चल रही है कि मुख्यमंत्री जनता में अपना जनाधार खो चुके हैं, वह सत्य सिद्ध हो जाएगी और उसके पश्चात आप स्वयं समझ सते हैं कि दुष्यंत चौटाला को क्या-क्या झेलना पड़ सकता है, अर्थात प्रतिष्ठ दांव पर है।

इनेलो के वर्तमान में सर्वेसर्वा अभय चौटाला बड़ी-बड़ी बातें बोल रहे हैं। बहुत लोगों को अपनी पार्टी में मिला भी रहे हैं और उनका कहना है कि इस चुनाव के पश्चात हमारा राज होगा। परंतु वास्तव में देखना यह होगा कि ओमप्रकाश चौटाला और अभय चौटाला के नाम पर बरोदा के जाट इनेलो को वोट देंगे या फिर दुष्यंत को या दोनों को छोड़ भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर चले जाएंगे। तो प्रतिष्ठा अभय चौटाला की भी दांव पर है।