मुकदमा दर्ज होने के बाद यहां से ट्रांसफर हुए अधिकारी भी अब यह वापस आने की जुगत में नारनौल: रामचंद्र सैनी। नारनौल नगर परिषद में आखिर ऐसा क्या रखा है और क्या राज है, जिसके लिए कई कर्मचारी अपना मूल विभाग छोड़कर डेपुटेशन पर आने के लिए साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाकर नारनौल नगर परिषद में कार्यकारी अधिकारी या सचिव पद पर आने के लिए लालायित रहते हैं। पिछले तीन सालों में नारनौल में प्रशासनिक अधिकारियों की शिकायत पर कई सचिव व कार्यकारी अधिकारियों पर मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। मुकदमें दर्ज होने के बाद उनका तबादला हो जाता है। इसके बाद यहां अन्य विभागों से भी कार्यकारी अधिकारी डेपुटेशन पर आये। अभी एक पखवाड़े पहले शिक्षा विभाग से एक टीजीटी अध्यापक इओ बनकर यहां डेपुटेशन पर आये लेकिन एक सप्ताह बाद ही इस टीजीटी साइंस टीचर को नप इओ से वापस उसके मूल विभाग में भेजने के आदेश हो गए हंै। इस अधिकारी को वापस उनके मूल विभाग में भेजे जाने के बाद अब चर्चा यह है कि नारनौल नगर परिषद में वो अधिकारी आने की जुगत में लगा है, जिस पर तीन साल पहले डीसी के आदेशों में पर धोखाधडी व दस्तावेजों से छेडछाड़ की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है। इस अधिकारी के नप नारनौल में कार्यकारी अधिकारी पद पर फिर से आने के प्रयासों की चर्चा आज मंगलवार को दिनभर नगर परिषद में थी। जो सवाल खड़ा कर रही है कि आखिर ऐसा नारनौल नप में क्या है, जिसको लेकर अधिकारियों का मोह नहीं छूट रहा है। Post navigation न सरकार और न कोई पत्रकार यूनियन काम आई बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने नगर परिषद चेयरपर्सन के निवास का घेराव किया