-खट्टर की नज़र कम न हो जाये अपनो ने ही किनारा कर लिया ‘राव राजा’ से-भाजपाई ही नही अपने भी बने अब बेरुखी के सबब -आस्था बौनी पड़ गई कुर्सी के आगे – जो दर्द हुड्डा ने दिया वही पीड़ा खट्टर ने भी दिला दी झूठे आस्थावानों से अहीरवाल क्षत्रप को अशोक कुमार कौशिक नारनौल। अहीरवाल के क्षत्रप राव राजा इंद्रजीत सिंह को जो दर्द पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिया था उसका एहसास वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी करा दिया। अतीत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राव दान सिंह तथा छोटे भाई राव यादवेंद्र सिंह सहित अनेक चाहने वालों को राव राजा से दूर कर अपनी कूटनीति से कमजोर करने की कोशिश की थी। हुड्डा ने उनके समर्थकों को ही नही तोड़ा अपितू परिवार को ही दोफाड़ कर दिया था। उस पीड़ा से केन्द्रीय राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह आज तक भूल नही पाये है। वही अहसास खट्टर ने अपनी चाल से कराने का जतन किया है। भाजपा के लोग तो पहले ही उन्हें अपना नेता नही मानते पर कथित अपनों जिस तरह किनारा किया है वह निश्चित ही अखरनेवाला है। बीते शुक्रवार को राव इंद्रजीत की पुत्री और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य आरती राव का जन्मदिन था तथा राव राजा इंद्रजीत सिंह के चाहने वालों द्वारा उत्साह से मनाया जाना चाहिए था वह पूरे अहीरवाल में चंद चेहतों ने ही मनाया। आरती राव के जन्मदिन के बहाने बड़े चाहनेवालों नारनौल से गुरुग्राम तक जो किनारा किया उस पर अब राजनीतिक गलियारों में चटखारे लिए जा रहे है। सरकार में शामिल राव राजा के चेहते होने का दम भरने वाले मंत्री बनवारी लाल, ओमप्रकाश यादव, विधायक लक्ष्मण सिंह, सोहना विधायक संजय सिंह, गुरुग्राम विधायक सुधीर सिंगला सहित अहीरवाल के वो चेयरमैन जो अब तक आस्था का दम्भ भरते थे की बेरुखी ने राव राजा के चाहनेवालों को निराश किया है। अटेली में विधायक सीताराम ने अपनी कृतज्ञता सबसे पहले प्रकट की। वह और मण्डीअटेली नगरपालिका के प्रधान ने रक्तदान कैम्प आयोजित किया। कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह की कृतज्ञता भी हवाहवाई हो गई। रेवाडी़ में सुनील यादव, जिला प्रमुख शशी, पटौदी की पूर्व विधायक बिमला चौधरी व सुरेश चेयरमैन ने आरती राव के जन्मदिन मनाकर कुर्सी से ज्यादा आस्था को महत्व दिया। कोरोनाकाल में इन्ही लोगों ने स्नेटाईजर, सुखा राशन और मास्क वितरण का कार्य भी बखूबी से किया। आज भी नारनौल से गुरुग्राम, भिवानी व झज्जर सहित दक्षिणी हरियाणा में राव राजा अपने लोगों के बीच मजबूत है। इसी मजबूती को दरकाने का प्रयास हुड्डा के बाद खट्टर ने भी किया है जो सरकार के लिये बेहतर नही है। हुड्डा को इस चुनाव में जिस तरह अहीरवाल ने नकारा वह सर्वविदित है। इसलिए इस बार भी भाजपा के प्रति नाराजगी के बाद वह कुर्सी से वंचित रह गये। राव राजा के आर्शीरवाद के कारण खट्टर को सिंहासन मिल पाया पर वह भी हुड्डा की राह पर चल पड़े। डाक्टर बनवारी लाल और ओमप्रकाश यादव इस बार टिकट मिलने पर और चुनाव के समय जिस तरह मिमया रहे थे वो स्वर अब दूर दूर तक दिखाई नही दे रहा ? मुख्यमंत्री के समक्ष कही नम्बर कम न हो जाये तथा उनके कुर्सी मोह ने आस्था को दरकिनार कर दिया। एक विशेष बात देखने में आई कि इस जन्मदिन को केवल इंद्रजीत समर्थक ही मना रहे थे, न कि भाजपाई। इस बारे जब भाजपाई विधायकों और पदाधिकारियों से इस बारे में पूछा भी तो उनका कहना था कि अरे भाई, इंद्रजीत वाले मनाएंगे हमारा इससे क्या वास्ता। हमारे यहां कांग्रेसी कल्चर थोड़ा है। हम नीतियों और सिद्धांत पर चलने वाले है। इस बात से ही इस बात का विश्वास हो गया कि आज जब लगभग सात वर्ष हो गए हैं राव इंद्रजीत को भाजपा में सम्मिलित हुए और वह भाजपा की नीतियों का अनुसरण करते हुए कार्य भी कर रहे हैं। फिर भाजपाई तो उन्हें अपना नेता मान ही नही रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। एक तो राव इंद्रजीत का कद, जिससे भाजपाई अपने आपको उनके कद के सामने बौना समझते हैं, दूसरा राव इंद्रजीत और मुख्यमंत्री के बीच सामंजस्य का न होना, तीसरा कि भाजपाई अभी तक कांग्रेस पृष्ठभूमि के व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। आज की स्थिति में भिवानी के सांसद चौ. धर्मबीर, सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक, रोहतक में अरविंद शर्मा और हिसार से चौ. वीरेंद्र सिंह और उनके पुत्र बृजेंद्र सिंह भी अपने को असहज पा रहे है। उनका रह रहकर कांग्रेसी अहसास उबाल मारने लगता है। यही नही मुख्यमंत्री की कार्यशैली से भाजपा विधायक भी नाखुश है। वह अक्सर यह शिकायत करके अपरोक्ष हमला करते है कि अफसर उनको जव्वजों नही देते, बात नही सुनते या फोन नही उठाते का ताना देते है। Post navigation सरकार शिक्षकों का सम्मान करना तो दूर, उनकी समस्याओं को भी सुनने को तैयार नहीं : विद्रोही गुरूग्राम : आरटीआई में अधूरी सूचना देने का मामला