5 जुलाई 2020, स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा प्रधानमंत्री मोदी जी से लेकर हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तक गुरु पूर्णिमा पर गुरु महिमा में बड़ी-बड़ी बातें कह रहे हैं1 पर सवाल यह है क्या संघी सरकार भारत के पुरातन ऋषि-मुनियों, गुरुजनों के दिखाए रास्ते पर चलकर उनकी शिक्षाओं का अमल करके समाज के सभी वर्गों को एकजुटता के साथ लेकर उनके उत्थान के लिए काम कर रही है या समाज में सांप्रदायिक उन्माद, बंटवारे, नफरत की राजनीति को बढ़ावा देकर समाज को तोडक़र, बाटकर गुरुओं का अपमान कर रहे हैं1

विद्रोही ने कहा कि गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर लंबी चौड़ी हांकने की बजाय हमें अपने ऋषि-मुनियों, संतों, गुरुओं, महापुरुषों के दिखाए रास्ते पर चलकर संघी सांप्रदायिकता, नफरत, बंटवारे का जोरदार विरोध करके गुरुओं के दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लेकर ही गुरुओं के प्रति सही अर्थों में सम्मान दर्शा सकते हैं1            

हरियाणा में आधुनिक गुरु शिक्षकों की बुरी हालत है1 सरकार शिक्षकों का सम्मान करना तो दूर की बात है उनकी समस्याओं को भी सुनने को तैयार नहीं1 हरियाणा में बर्खास्त पीटीआई शिक्षक मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलने के कई प्रयास कर चुके हैं1 पर उनसे मिलना तो दूर भाजपा सरकार उन्हें पुलिस लाठियों से पीटकर मुख्यमंत्री से मिलने से भी रोक रही है1                

 विद्रोही ने कहा प्रदेश में संस्कृत शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और गुरु पूर्णिमा के नाम पर दावा गुरुओं के सम्मान का किया जा रहा है1 सरकारी स्कूलों, कालेजों में शिक्षकों के हजारों स्वीकृत पद खाली पड़े हैं1 पर उन्हें भरने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा1 सरकारी शिक्षण संस्थानों के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने बजाएं जुमलेबाजी से बड़ी-बड़ी बातें करके लोगों को गुमराह किया जाता है1 सवाल उठता है कि जब प्रदेश में स्कूल, कॉलेजों में न तो पर्याप्त शिक्षक हैं और न ही आवश्यक मूलभूत आधारभूत ढांचा है तो फिर गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं के सम्मान की सरकारी बकैती का क्या औचित्य है1              

विद्रोही ने कहा गुरु पूर्णिमा का अवसर बकैती करने की बजाय आत्मविश्लेषण का है1 हम अपने गुरुओं के दिखाए रास्ते पर चलकर उनकी शिक्षाओं पर आचरण कर रहे हैं या नहीं? गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सभी समतामूलक, शोषण रहित ऐसे समाज बनाने का संकल्प लें जिसमें जाती, धर्म, वर्ग, क्षेत्र के आधार पर किसी का मान-अपमान करने की बजाय सभी को न केवल सम्मान मिले1 अपितु अपनी योग्यता के अनुसार आगे बढऩे के निर्बाध रूप से समान अवसर भी मिले1 तभी हम गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं को प्रणाम करने के सच्चे अधिकारी होंगे1 

error: Content is protected !!