30 जून 2020 . सरकारी नौकरी दोबारा बहाल करने की मांग को लेकर एक लंबे समय से रेवाड़ी लघु सचिवालय के पास राजीव चौक पर धरने पर बैठे पीटीआई शिक्षकों को कांग्रेस की तरफ से समर्थन देने सोमवार को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने धरना स्थल पर जाकर उनके संघर्ष को हर तरह का समर्थन देने का आश्वासन दिया1               

 इस अवसर पर वेदप्रकाश विद्रोही ने धरने पर बैठे पीटीआई शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा सुप्रीमकोर्ट ने अप्रैल 2010 के उनके चयन को किसी भ्रष्टाचार की बजाय चयन प्रक्रिया में तकनीकी खामियों की वजह से रद्द किया है1 इसमें बर्खास्त किए 1983 पीटीआई शिक्षकों की कोई गलती नहीं है1 यदि कोई तकनीकी खामी तत्कालीन कांग्रेस सरकार व उस समय के हरियाणा कर्मचारी चयन बोर्ड से अप्रैल 2010 में हुई थी तो उसकी गाज 1983 पीटीआई शिक्षकों को बर्खास्त करके गिराना उचित नहीं है1 सवाल उठता है कि 10 वर्ष तक सरकारी सेवा करने वाले उक्त शिक्षक अधेड़ उम्र में कहां जाएं? उनकी स्थिति तो न घर की रही और न घाट की1

वहीं यदि सुप्रीमकोर्ट को इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द करना होता व इन पीटीआई शिक्षकों को नौकरी से पूर्णतया बर्खास्त करना होता तो सुप्रीमकोर्ट हरियाणा सरकार को यह निर्देश नहीं देता कि चयन प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाए1विद्रोही ने कहा सुप्रीमकोर्ट ने अप्रैल 2010 की चयन प्रक्रिया दोबारा शुरू करने का आदेश देकर हरियाणा सरकार को एक विंडो दिया है कि यदि वह चाहे तो मानवीय आधार पर इन पीटीआई शिक्षकों को दोबारा नौकरी पर रखने की प्रक्रिया अपना सकती है1                  

 ऐसी स्थिति में विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से आग्रह किया कि वे पीटीआई शिक्षकों के चयन रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को राजनीतिक चश्मे से देखने की बजाय मानवीय दृष्टिकोण से देखें1 अब 35 से 50 वर्ष की आयु के 1983 शिक्षक अपने परिवार की रोजी रोटी के लिए क्या करें यह यक्ष प्रश्र उनके सामने मुंह बाए खड़ा है1 लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती रहती हैं1 यदि सरकार पूर्वाग्रह से फैसला करेगी कि उक्त कर्मचारी तो कांग्रेस राज में लगे थे फिर हम उनके हितों की रक्षा क्यों करें तो लोकतंत्र का मायने ही क्या रह जाएगा? मुख्यमंत्री को राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश के 1983 परिवारों को बर्बाद होने से बचाने के लिए पहल करनी चाहिए1 

    विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस राज में भी ऐसी स्थिति आई थी जब चौटाला-इनेलो-भाजपा शासन में नियुक्त किए 3206 जेबीटी अध्यापकों को सुप्रीम सुप्रीमकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार बताकर इन अध्यापकों को रखने या न रखने का निर्णय सरकार पर छोड़ा था तब कांग्रेस की सरकार ने राजनीतिक पूर्वाग्रह छोडक़र इन सभी जेबीटी शिक्षकों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर एक भी जेबीटी अध्यापक को सरकारी नौकरी से नहीं निकाला1 यही नहीं कांग्रेस सरकार आने से पूर्व सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर ही 5000 औद्योगिक सुरक्षा बल के कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था1 सुप्रीमकोर्ट द्वारा कोई विंडो न देने पर भी कांग्रेस सरकार ने मानवीय आधार पर इन 5000 औद्योगिक सुरक्षा बल के बर्खास्त कर्मचारियों में से अधिकांश को दोबारा सरकार में एडजस्ट करने का काम किया1             

  विद्रोही ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार भी पीटीआई अध्यापकों की बर्खास्तगी को राजनीतिक चश्मे से देखने की बजाय यदि मानवीय दृष्टिकोण से देखती है तो इन्हें दोबारा नौकरी रख पर रखने में कोई विशेष परेशानी नहीं आने वाली1 क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने चयन प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने का निर्देश देकर हरियाणा सरकार के पास एक गुंजायश छोड़ी है यदि उसकी नियत इन अध्यापकों को दोबारा नौकरी पर रखने की है तो वह रख सकती है1

error: Content is protected !!