भिवानी/मुकेश वत्स।  

छोटी काशी भिवानी में आयोजित दस महाविद्या यज्ञ में आज पाचवें दिवस की प्रात: वेला में वैदिक रीति से राज राजेश्वरी मां का नित्यार्चन व अभिषेक के बाद यज्ञ शुरू करवाया गया।

कुसुमेश्वर महादेव मंदिर के महंत आचार्य श्री माई जी महाराज ने बताया मनुष्य जीवन में यज्ञ और हवन का बहुत महत्व बताया गया है। यज्ञ हवन से देवी देवताओं की पूजा अर्चना ही नही बल्कि हवन यज्ञ से प्रदूषित वातावरण को भी शुद्ध किया जाता। यज्ञ हवन भी एक चिकित्सा पद्धति मानी गयी और हवन यज्ञ के माध्यम से विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया यज्ञोपैथी का पुराना वैदिक इतिहास है और जब चिकित्सा की अन्य पद्धतियां मौजूद नहीं थी तो यज्ञ हवन आदि से ही वातावरण को बीमारी रहित बनाया जाता था। यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।

कोरोना महामारी और वर्तमान में अन्य संकटों से मुक्ति के लिए मां बगलामुखी महायज्ञ चल रहा हैं। जिले में यह पहला स्थल है जहां मां कामख्या व मां बंगलामुखी की पूजा-अर्चना की जाती है। श्रौत यज्ञों को श्रेष्ठतम कर्म कहा है।

आज इस यज्ञ के मुख्य यजमान भिवानी चौधरी बंसीलाल युनिवर्सिटी के कुलपति आर.के. मित्तल ने बताया यज्ञ से मन की परिवत्रा आती है, शरीर की परिवत्रा आती है इसके मन की शुद्धि करण के लिए विचारों के शुद्धि करण के लिए हवन यज्ञ का भारतीय परम परा बहुत ही अधिक महत्व हैं। इस कोविड 19 के जो महामारी चल रही है इसमें तो इसका और भी महत्व बढ गया हैं। कयोंकि आज के दिन सभी के सभी मानसिक तनाव महसूस कर रहे है उसके एक मन की शांति के लिए इन यज्ञों का अपना एक महत्व हैं। आने वाले समय में हर बच्चा भारतीय संस्कृति और मूल्यों मै और भी भागीदारी होगी।

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