27 मार्च खुला भिवानी कोविड-19 रिलीफ फंड का खाता, 18 मई तक 74 लाख 90 हजार 771 राशि दी लोगों ने दान, राहत के नाम पर एक पैसा नहीं खर्चाभिवानी कोविड रिलीफ फंड में 92 दानियों ने जमा कराई दो माह में लाखों की राशि

भिवानी, 26 जून। पिछले लगातार चार महीनों में भिवानी में कोरोना के केस लगातार बढ़े हैं। कोरोना वैश्विक महामारी संक्रमण से निपटने के साथ राहत एवं बचाव के लिए जिला प्रशासन ने 27 मार्च को भिवानी कोविड-19 रिलीफ फंड राहत कोष की स्थापना भी की और बैंक में खाता भी खुलवा दिया। भिवानी कोविड रिलीफ फंड में लोगों ने भी दिल खोलकर लाखों रुपयों का दान दिया और करीब दो माह में ही जिला प्रशासन के पास 74 लाख 90 हजार 771 रुपये का फंड भी जमा हो गया। लेकर दुर्भाग्य की बात तो यह है कि जनता को कोरोना संक्रमण से बचाव और गरीब लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने इस रिलीफ फंड से एक पैसा तक खर्च नहीं किया। दरअसल यह खुलासा आरटीआई द्वारा मांगी गई सूचना में हुआ है।

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने भिवानी कोविड रिलीफ फंड की स्थापना से लेकर अब तक जमा राशि व खर्च का विवरण आरटीआई के जरिए मांगा था। बृजपाल सिंह परमार द्वारा मांगी गई आरटीआई का जवाब 25 जून को पहुंचा तो इसमें फंड में जमा राशि 74 लाख 90 हजार 771 दर्शायी गई, लेकिन खर्च एक पैसा तक नहीं किया गया।

जबकि लगातार इस रिलीफ फंड में दानी सज्जन लाखों रुपयों का रिलीफ फंड जमा कराते आ रहे हैं। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि भिवानी में अब तक जिला प्रशासन द्वारा अत्यधिक कोरोना केस सामने आने के बाद कंटेनमेंट जोन घोषित किए जा चुके हैं। हाल ही में भिवानी के जीबीटीएल क्षेत्र में सबसे अधिक कोरोना के केस सामने आने के बाद कंटेनमेंट जोन घोषित किया है। लेकिन प्रशासन ने इस इलाके को तो सील कर दिया, मगर यहां पर मील के अंदर काम करने वाले करीब तीन हजार मील मजदूर व यहां के गरीब तबके के लोगों के लिए कोई मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई।

बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि रिलीफ फंड में दानी लोगों ने लाखों रुपये जरूरतमंद व कोरोना बीमारी से संक्रमित लोगों व उनके परिजनों को राहत देने के लिए ये पैसा जमा कराया था, लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि दो माह तक कोरोना के काफी मामले भिवानी में आए और कई इलाकों को कंटेनमेंट जोन की श्रेणी में डालकर सील कर दिया गया, लेकिन प्रशासन की तरफ से वहां रहने वाले लोगों के लिए इस बजट से कोई राहत नहीं दी गई और एक भी नया पैसा खर्च नहीं किया। बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि कोविड रिलीफ फंड के पैसे को किसी दूसरे मद में भी खर्च नहीं किया जा सकता, जबकि प्रशासन ने इस पैसे को मील मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए भी खर्च नहीं किया। जीबीटीएल मील सहित लेबर कॉलोनी, चिरंजीव कॉलोनी में लोग जरूरी वस्तुओं के भी मोहताज हो गए हैं। बताया जा रहा है कि मील प्रबंधन ने भी मजदूरों का वेतन नहीं दिया, ऐसे में कंटेनमेंट जोन घोषित होने से यहां रह रहे मजदूर परिवार बुरे दौर से गुजर रहे हैं। 

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