एक बेटी दो परिवारों की सेतू और दो संस्कृति की वाहक.
बेटी तो बेटी होती है उसकी कोई जाति ही नहीं होती.
कन्या के दान से बड़ा अन्य कोई भी पुण्य का कार्य नहीं

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।  मुस्लिम रियासत रहे पटौदी में भारतीय सनातन और संस्कृति का झंडा बुलंद करने वाली संस्था आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर धर्मदेव ने अपने संकल्प के मुताबिक संस्था के शताब्दी वर्ष के मौके पर 101 दत्तक पुत्री ओ के पाणी ग्रहण कार्यक्रम को दूसरे दिन भी जारी रखा है । हरि ओम और भगवा ध्वज की पहचान वाले संस्कृत महाविद्यालय परिसर में गुरुवार को दो मुस्लिम कन्याओं का निकाह संपूर्ण मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज के आशीर्वाद से संपन्न हुआ । यह अपने आप में उन दकियानूसी विचारधारा और कट्टरपंथियों के लिए सबक है , जो कि समाज को जाति के चश्मे से या फिर विभिन्न वर्गों की बेटियों को उनकी जातियों के चश्मे से देखते आ रहे हैं ।

महामंडलेश्वर धर्मदेव के शब्दों में बेटी तो बेटी ही होती है, बेटी की कोई जाति ही नहीं होती । विवाह के बाद में किसी भी बेटी की वही पहचान बन जाती है जिस परिवार में वह विवाह के बाद में अपना नया जीवन आरंभ करती है । यही प्रकृति का नियम और संदेश भी है , इस बात को समझना बहुत जरूरी है। आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी के परिसर में 24 से 26 जून के बीच में 11 कन्याओं की शादी कराने का कार्यक्रम तय किया गया । कोरोना कोविड-19 महामारी देशभर में लॉकडाउन व अन्यशर्तों को ध्यान में रखते हुए यह फैंसला किया गया।

इसके साथ ही 101 कन्याओं के विवाह संपन्न करने का राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम जहां-जहां मेजबान संस्था की अन्य संस्थाएं हैं, वहां पर आयोजन किया जा रहा है । पटौदी आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय में संकल्प को आरंभ करते हुए महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा 3 दिन के दौरान 11 कन्याओं की शादी कराने का कार्यक्रम तय किया गया है । पटौदी में राजस्थान की रुखसाना , पानीपत की वर्षा , पटौदी शहर की ही अंजू और कोमल , फरुखनगर की सुनीता , पलवल की अनीता , पटौदी की ही दो बहने रत्ना और अर्चना, गाजियाबाद यूपी की मुस्कान , कोसली की प्रिया और फरीदाबाद की पूनम के पाणी ग्रहण संस्कार का संपूर्ण विधि विधान मंत्रोच्चारण और मुस्लिम युवतियों का मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक निकाह और विवाह संपन्न कराया जा रहा है ।

स्वामी धर्मदेव के शब्दों में पीएम मोदी और सीएम मनोहर लाल खट्टर के द्वारा हरियाणा की पावन भूमि से ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ का देश और दुनिया के लिए संदेश देते हुए आह्वान किया गया था । संस्था के 100 वर्ष पूरे होने व 101 में वर्ष में प्रवेश करने को ध्यान में रखते हुए ही 4 वर्ष पहले इस शताब्दी वर्ष को देश के विभिन्न ऐसे परिवारों की बेटियों के लिए समर्पित कर दिया गया था , जो परिवार बेहद तंगहाली और आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे थे । ऐसे परिवारों के सामने अपनी-अपनी बेटियों के विवाह को लेकर गंभीर चिंता भी बनी हुई थी । यहां यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं है कि गुरुवार को इस भव्य आयोजन को देखते हुए प्रकृति भी प्रसन्न हुई और आसमान से बरसात भी हुई एक प्रकार से यह देवलोक से सभी देवताओं को सभी देवताओं का इस भव्य आयोजन और पुण्य कार्य कार्य के लिए एक प्रकार से दिया गया आशीर्वाद ही रहा कि देवता भी नेक पुण्य और परमार्थ के कार्य से प्रसन्न हो रहे हैं ।

हालात ऐसे बने कि यहां जो भव्य आयोजन किया जाना था , वह कोविड-19 महामारी को देखते हुए नहीं किया जा सका और जिन संभावित नव दंपतियों के विवाह का आयोजन इसी वर्ष अप्रैल माह में होना तय किया गया था उसमें विलंब होता आ रहा था । ऐसे में धर्मदेव जी महाराज ने भी गहन चिंतन मंथन के बाद में यह फैसला किया गया कि प्रकृति के कार्य में इंसान को बाधक नहीं बनना चाहिए । समय और प्रकृति ने पहले ही तय कर दिया की संभावित नव दंपतियों का गठबंधन तो होना तय है , कुछ विलंब हो सकता है । लेकिन अधिक विलंब किया जाना भी उचित नहीं , यही संदेश प्रकृति के द्वारा निर्धारण भी किया गया और ऐसे में प्रकृति का सम्मान करते हुए सभी 101 कन्याओं का विवाह आगामी 1 जुलाई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है । आश्रम हरी मंदिर पटौदी परिसर में विवाह की रस्में पूरी होने के साथ ही सभी नव दंपतियों को स्वामी जी के द्वारा उनकी गृहस्थी का संपूर्ण सामान सहस भेंट किया जा रहा है।

बेशक से यह आयोजन उस भव्यता के साथ नहीं हो सका , जिसकी कि 1 वर्ष से तैयारी की जा रही थी। लेकिन आयोजन की भव्यता से अधिक भव्य और विशाल हृद्य महामंडलेश्वर धर्मदेव का ही रहा है । जो कि उन्होंने कोरोना कोविड-19 महामारी के बीच भी अनलॉक के होते ही अपने किए गए संकल्प को पूरा किया जाने के लिए और अधिक इंतजार करना उचित ही नहीं समझा । बेटियों की विदाई के समय भले ही यहां लोगों के नेत्र गीले ने दिखाई दिए हो , लेकिन विदा होने वाली बेटियों के हाथ पीले अवश्य अर्थात मेहंदी लगे सभी को दिखाई दे रहे हैं ।

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