25 जून. स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एसजीएफआइ सोसाइटी अब नए विवादों में फंस गई है। भारतीय खेल मंत्रालय ने कुछ समय पहले ही एसजीएफआइ की मान्यता निलंबित कर दी थी। पहले से ही लगातार विवादों में घिरी स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पर रजिस्ट्रेशन को लेकर ही धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं लेकिन अन्य मामलों पर इस पर कार्रवाई करने वाला भारतीय खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) इस मामले में शिकायत में जांच की मांग होने के बावजूद आंखें मूंदकर बैठा है। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का विवादों से गहरा नाता रहा है। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और एसजीएफआइ दो अलग-अलग सोसाइटी है। एसजीएफआइ सोसाइटी ने अपने बायलॉज में एसजीएफआइ का फुल फॉर्म स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया कहीं पर भी नही दर्शाया है। हरियाणा शतरंज एसोसिएशन (एचसीए) ने इसको लेकर खेल मंत्रालय तथा सीबीआइ में इसकी शिकायत कर रखी है।

स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और एसजीएफआइ दो अलग-अलग सोसाइटी

हरियाणा शतरंज एसोसिएशन (एचसीए) के प्रदेश महासचिव कुलदीप ने बताया कि एसजीएफआइ सोसाइटी के नाम से 2009 में नया रजिस्ट्रेशन करवाया गया क्योंकि 1954 वाले रजिस्ट्रेशन का रिन्यूवल नहीं कराया गया था, उसके मूल दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं है। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने पूरे नाम और शॉर्ट फॉर्म का दुरुपयोग करते हुए इसमें घपला किया है। इस सोसाइटी का आगरा की आंध्र बैंक में स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया नाम से एकाउंट है जबकि इसका रजिस्ट्रेशन 12 जून 2009 को सोसाइटी एक्ट में एसजीएफआइ सोसाइटी के नाम से किया गया है। रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट व बायलॉज में कहीं पर भी स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को नहीं दर्शाया गया है। इस सोसाइटी का पैन कार्ड भी एसजीएफआइ सोसाइटी के नाम से ही बना हुआ है। एचसीए के प्रदेश महासचिव कुलदीप ने बताया कि जो भी इस तरह की सोसाइटी होती हैं उनका हर जगह नाम एक जैसा होता है, अगर ऐसा नहीं है तो उसमें कोई ना कोई गड़बड़ है। अगर एसजीएफआइ सोसाइटी ने अपना नाम बदला है तो इन्होंने अपनी पैतृक संस्था को बताया होगा और अगर ऐसा नहीं किया है तो फिर यह गंभीर विषय है।

विवादों से रहा है गहरा नाता

एचसीए के प्रदेश महासचिव कुलदीप ने बताया कि 1954 से एसजीएफआइ चल रही है। 12 जून 2009 को एसजीएफआइ सोसाइटी का सोसाइटी एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। उस समय महाबली सतपाल अध्यक्ष, अवध किशोर मिश्रा सचिव और राजेश मिश्रा कोषाध्यक्ष थे। इस सोसाइटी का ऑडिट स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नाम से होता है जबकि इसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट व पूरे बायलॉज में कहीं पर यह नहीं लिखा है कि एसजीएफआइ को स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया माना जाए। एचसीए के प्रदेश महासचिव कुलदीप ने बताया कि कुछ लोगों को सत्ता पर बनाए रखने के लिए यह गड़बड़झाला किया और इसमें भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के भी कुछ पूर्व अधिकारी शामिल थे। खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अगर आरोप लग रहे हैं तो जांच होनी चाहिए। वहीं भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह संस्था आइओए से मान्यता प्राप्त नहीं है।

भारतीय खेल मंत्रालय ने की थी इस साल 25 फरवरी को एसजीएफआइ की मान्यता निलंबित

एचसीए के प्रदेश महासचिव कुलदीप ने बताया कि भारतीय खेल मंत्रालय ने इस साल 25 फरवरी को एसजीएफआइ की मान्यता खत्म कर दी थी और अब सूचना आ रही है कि मंत्रालय उसे फिर से बहाल करने जा रहा है लेकिन नया विवाद फिर इसके लिए संकट ला सकता है। दिसंबर 2017 में ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में हुए 10वें पैसेफिक स्कूल गेम्स में यह संस्था भारत के करीब 200 बच्चों को लेकर गई थी। हर बच्चे से 2.5-2.5 लाख रुपये लिए गए थे। ऑस्ट्रेलिया में जाने के लिए खेल मंत्रालय से एनओसी नहीं ली गई थी और वहां पर हॉकी टीम अपने मैच के लिए पहुंच नहीं पाई। जब इसको लेकर बच्चों का वीडियो वायरल हुआ तो खेल मंत्रालय जागा। एसजीएफआइ को इस साल 25 फरवरी को निलंबित कर दिया गया।

10 दिसंबर को भारत का आधा दल वापस आ गया। कमाल की बात ये थी कि फुटबॉल टीम की मैनेजर वापस आ गई है और टीम वहीं रह गई। जो लोग वहां रुके थे उनको ऑस्ट्रेलिया में समुद्र तट में घुमाने के लिए ले जाया गया जिसमें पांच बच्ची डूब गई जिसमें चार को बचाया गया और एक का शव अगले दिन मिला।

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