कहा- तेल के दाम बढ़ाकर जनता का तेल निकाल रही है सरकार
हमारे कार्यकाल में सभी प्रदेशों से सस्ता था तेल, बीजेपी सरकार में दोगुना हुआ वैट- हुड्डा
कच्चे तेल की कीमतों के हिसाब से अगस्त 2004 के स्तर पर होने चाहिए देश में तेल व गैस के दाम- हुड्डा
कई गुना टैक्स और कर्ज़ ले रही है सरकार, फिर भी किसी वर्ग को नहीं मिल रही आर्थिक राहत- हुड्डा

25 जून, चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 19 दिनों से लगातार बढ़ रहे तेल के दामों का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम सबसे ज़्यादा आम आदमी और किसान पर भारी पड़ रहे हैं। क्योंकि, खेती का ज़्यादातर काम डीज़ल पर निर्भर है। सिंचाई से लेकर ट्रांसपोर्ट तक में सबसे ज़्यादा डीज़ल इस्तेमाल होता है। लेकिन, मौजूदा सरकार ने डीज़ल को पेट्रोल से भी महंगा कर दिया है। तेल के दामों का सीधा कनेक्शन महंगाई से है। अगर तेल के दाम बढ़ेंगे तो ट्रांसपोर्ट किराया, परिवहन, आवागमन, व्हीकल चलाना और उत्पादन महंगा हो जाएगा। इसके चलते हर चीज़ के दाम बढ़ेंगे। सरकार तेल के दाम बढ़ाकर जनता का तेल निकालने में लगी है। महामारी और मंदी के दौर में सरकार लोगों को राहत देने की बजाए महंगाई की मार मारने में लगी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लोगों से कई गुना टैक्स वसूल रही है और कर्ज़ भी कई गुना ले चुकी है। बावजूद इसके ग़रीब, मध्यम वर्ग, किसान, दुकानदार या कारोबारी, किसी वर्ग को कोई आर्थिक राहत नहीं दी जा रही है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमारे कार्यकाल में प्रदेश में तेल सबसे सस्ता था, क्योंकि उस पर टैक्स कम थे। अगर हरियाणा की बात की जाए तो हमारे कार्यकाल में दूसरे राज्यों के लोग भी यहां से तेल डलवाना पसंद करते थे। बॉर्डर के हर पेट्रोल पंप पर लिखा होता था कि ये हरियाणा का पहला या आख़िरी पेट्रोल पंप है। ताकि, लोगों को पता चल जाए कि यहां सस्ता तेल मिलेगा। हमारे कार्यकाल में तेल पर वैट केवल 9 प्रतिशत था, जो बीजेपी राज में बढ़कर दोगुना हो गया है। हरियाणा में भी पेट्रोल और डीज़ल दोनों के दाम 80 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचने वाले हैं।

महज़ 19 दिन में पेट्रोल के दाम 8.66 रुपये और डीज़ल के दाम 10.62 रुपये बढ़ चुके हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने 5 मई को पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों को कम करके अगस्त 2004 के स्तर पर लाया जाना चाहिए। क्योंकि 2004 की तरह आज भी कच्चे तेल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। अगस्त 2004 में पेट्रोल 36.81, डीज़ल 24.16 रुपये प्रति लीटर और एलपीजी सिलेंडर 261.60 रुपये का था। लेकिन आज पेट्रोल-डीज़ल करीब 80 रुपये और सिलेंडर करीब 600 रुपये में बेचा जा रहा है। कांग्रेस कार्यकाल में इतना रेट तब भी नहीं था, जब मई 2014 में कच्चे तेल की कीमत 107 डॉलर प्रति बैरल थी। तब भी पेट्रोल 71 रुपये और डीज़ल 55 रुपये प्रति लीटर था। लेकिन आज अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की क़ीमतें आधी से भी कम हो चुकी हैं, बावजूद इसके देश में तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। हुड्डा ने तेल की बढ़ी हुई मनमानी दरों का पुरजोर विरोध करते हुए मांग की कि प्रदेश सरकार द्वारा किया गया दुगुना वैट और केंद्र सरकार द्वारा थोपी गई एक्साइज ड्यूटी व टैक्स तुरंत कम किया जाए, ताकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तैल की घटी कीमतों का सीधा फायदा आम जनता को मिल सके।

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