करीब 249 वर्ष के बाद चंद्रमणि सूर्य ग्रहण दिखाई दिया. आम जनमानस के बीच जिज्ञासा का केंद्र बना रहा. फतह सिंह उजाला पटौदी । सदी का पहला दुर्लभ और अद्भुत सूर्य ग्रहण रविवार को आम जनमानस के बीच जिज्ञासा का केंद्र बना रहा । अहम कारण यह रहा कि रविवार को सुबह से ही गुरुग्राम सहित आसपास के इलाकों में आसमान में गहरे घने बादल छाए हुए थे । सूर्य ग्रहण का समय करीब 10 बजे से दोपहर बाद 2 बजे तक रहा । सूर्य ग्रहण को चूड़ामणि ग्रहण की संज्ञा इसीलिए दी गई कि इस दौरान चांद की परछाई से पूरा सूर्य छिप गया और चूड़ी के किनारों की तरह ही सूर्य दिखाई दिया। बादलों और सूर्य ग्रहण के बीच में जारी रही आंखमिचोली को लेकर इस अद्भुत खगोलीय और ज्योतषिय घटना की तस्वीरें खींचने के लिए आम जनमानस में अपने अपने मोबाइल लेकर भी होड़ लगी रही। जानकारों के मुताबिक सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण इसके वैज्ञानिक और ज्योतषिय विश्लेषण अपने अपने तरीके से किए जाते हैं । भारतीय ज्योतिष विज्ञान विश्व में सबसे प्राचीनतम सटीक जानकारी देने वाला एक अध्ययन शास्त्र ही कहा जा सकता है। ज्योतिषीय गणना को आज तक चुनौती भी नहीं दी जा सकी है । भारतीय ज्योतिष अनेकों साल पहले और अनेकों साल बाद की घटनाओं के बारे में ज्योतिष के मुताबिक विश्लेषण करके सटीक भविष्यवाणी और जानकारियां देते आ रहे , इस बात का लोहा पूरी दुनिया भी मानती है। रविवार को दोपहर में करीब 12 बजे वह मौका भी आया जब शीतल चंद्रमा ने आग उगते सूरज को पूरी तरह से ढक लिया और यह अद्भुत नजारा देखने के लिए आम जनमानस लालायित रहा । जिसने भी इस नजारे को देखा उसके लिए यह है आजीवन एक यादगार लम्हा बन गया। गुरुग्राम सहित आसपास के इलाकों में भी बादल छाए रहने से उम्मीद के मुताबिक सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं दिया, फिर भी जब जब सूर्य ग्रहण अवधि के दौरान सूरज के आगे से बादल छंटेते रहे यह अद्भुत नजारा भी दिखाई देता रहा । वेदों के मर्मज्ञ और संस्कृत के विद्वान महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव के मुताबिक चंद्रमा की प्रकृति शीतल रही है और जब किसी भी उष्ण अथवा गरम फिर वह चाहे सूर्य ही क्यों ना हो उस पर जब चांद जोकि शीतलता का प्रतीक है उसकी छाया सूरज को पूरी तरह ढक ले तो यह भी अपने आप में एक अद्भुत और अविश्वसनीय घटना ही कही जा सकती है । इसका भारतीय ज्योतिष विज्ञान में बहुत ही गूढ़ महत्त्व और रहस्य भी है । विभिन्न राशियों पर सूर्य और चंद्र ग्रहण का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। कुल मिलाकर जब किसी भी उष्ण अथवा गरम वस्तु जैसे कि सूर्य पर शीतलता का धनी चांद अपनी छाया डालकर पूरी तरह ढक ले तो यह भी मान लेना चाहिए कि प्रकृति में जो कुछ भी आज के समय जीव कल्याण के प्रतिकूल माहौल बना है, हम उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले समय में ऐसे माहौल से ब्रह्मांड की सभी जीवो को राहत प्रदान हो सकेगी । Post navigation घनी आबादी के बीच लगाये जा रहे नए मोबाइल टावर – सेहत के लिए खतरा मोबाइल टावर मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने का एक माध्यम है योग : रामबिलास शर्मा