गुडग़ांव।
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घनी आबादी के बीच लगाये जा रहे नए मोबाइल टावर – सेहत के लिए खतरा मोबाइल टावर
लक्ष्मण विहार फेज २ के लोगों के द्वारा नए टावर लगाये जाने पर विरोध किया जा रहा है। जिसकी लिखित सुचना सेक्टर ४ की पुलिस चोकी में इसकी समाज एवं मोहल्ले के मोजिज लोगो के द्वारा से लिखित दी गयी है एवं सेक्टर ९ में ऑनलाइन FIR भी दर्ज की गयी है। इसकी सुचना ईमेल के द्वारा विधायक श्री सुधीर सिंगला, ट्राई, POLUTION कण्ट्रोल बोर्ड, कमिश्नर मुनिसिपिल कारपोरेशन गुडगाँव, पुलिस कमिश्नर गुडगाँव एवं DCP वेस्ट गुडगाँव को भी दी गयी है
यहां की जनता की शिकायत पर संबंधित विभाग ने एनओसी रद के भवन के मालिक को टावर हटवाने के लिए कोई भी नोटिस नहीं दिया गया है। प्रशासन शहर में घनी आबादी के बीच लगे सभी मोबाइल टावरों को हटाने के लिए यह तेजी कब दिखाना शुरू करेगा।
मामला लक्ष्मण विहार फेज २ का है। उन्हें इस बात का पता चला है कि मोबाइल फोन टावर से रेडियेशन होता है और यह स्वास्थ्य के लिए खराब है। इस कारण कैंसर तक होता है। आम आदमी को इस बारे में गुमराह किया जा रहा है और उन्हें यह नहीं मालूम कि टावर से कितना खतरा है। इस मामले में आम लोगों के अधिकार को संरक्षित किया जाए और उनके मूल अधिकार की रक्षा की जाए। रिहायशी इलाके, स्कूल और अस्पताल, बाज़ार आदि के आसपास टावर न लगाया जाए। टावर से होने वाली हानि को रोकने के लिए कारगर कदम उठाए जाएं। आबादी के बीच लगे मोबाइल टावर का रेडिएशन सेहत पर काफी असर डाल सकता है। निर्धारित रेडिएशन से अधिक वाले मोबाइल टावरों के 500 मीटर का दायरा खतरनाक माना जाता है।
इन टावर के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगों के प्रभाव से कैंसर जैसी घातक बीमारी के साथ मानसिक संतुलन खोने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, कान का ट्यूमर, ब्लड कैंसर, स्किन कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों की आशंका बनी रहती है। मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन के कारण त्वचा में सूखापन, खुजली, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन, बोनमैरो डिप्रेशन की प्रॉब्लम होती है। इसी वजह से सितंबर 2012 में सरकार ने मोबाइल टावरों के लिए निर्धारित मापदंड तैयार कर लागू करने का आदेश था। विशेषज्ञों के मुताबिक टावर से निकलने वाले रेडिएशन से पशु-पक्षियों की जीवन शैली पर प्रभाव पड़ता है। बीते कुछ साल से गौरैया, गिद्ध, चील, बाज और चिड़ियों की कई प्रजातियों की संख्या में कमी आई है। पहले गौरैया और दूसरी छोटी चिड़िया शहर में नजर आती थीं, लेकिन अब ये बहुत कम दिखती हैं।
यहां लक्ष्मण विहार कॉलोनी फेज २ के मकान संख्या ११३०/३१ में श्री नन्द लाल कौशिक रहते हैं। मकान पर जब टावर लगाने का काम शुरू हुआ तो कॉलोनी की मौजिज लोगो के द्वारा इस पर ऐतराज जताया। मौजिज लोगो ने टावर के विरोध में जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक को कठघरे में खड़ा कर दिया। यहां के लोगों का कहना है कि घनी आबादी में मोबाइल टावर के रेडिएशन से लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। टावर लगाने के लिए जिन विभागों ने एनओसी जारी की थी, उन्होंने इसे निरस्त करना चाहिए। जिम्मेदार विभागों को मोबाइल टावर हटाने के लिए जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी के द्वारा अभी तक कोई नोटिस नहीं भेजा गया है।
एक बड़ा मोबाइल टावर सेक्टर ४ और लक्ष्मण विहार फेज २ घनी आबादी के बीच भी लगा हैं। विभाग के अधिकारियो को अब इन इलाकों में भी मानकों के विपरीत लगाए गए मोबाइल टावरो को जल्द से जल्द हटवाना चाहिए। सवाल यह है कि लक्ष्मण विहार में मोबाइल टावर अवैध तरीके से लगाए गए हैं, इस पर सरकार और पर्शासन कब ध्यान देगी।