सरकार को भेजा बहाली कानून का मसौदा, बोले सरकार का काम रोजगार देना, छीनना नहीं. पीटीआई अध्यापक हैं निर्दोष – प्रक्रियागत खामियों के लिए शिक्षक दोषी नहीं

सुप्रीम कोर्ट के 8 अप्रैल, 2020 के निर्णय के बाद 1,983 पीटीआई अध्यापकों की नौकरी बर्खास्त करना 2,000 परिवारों के पेट पर असंवेदनशील तरीके से लात मारना है। इन पीटीआई अध्यापकों ने दस साल से अधिक प्रदेश में निस्वार्थ सेवा की है और कई साथी तो अब सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में न तो पीटीआई चयन प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार पाया गया और न ही किसी भी चयपित पीटीआई अध्यापक के द्वारा कोई द्वेषपूर्ण किया गया कार्य पाया गया। पर इस निर्णय के उपरांत 1,983 पीटीआई अध्यापकों की बर्खास्तगी से इनके व इनके परिवारों के सपने व भविष्य पूरी तरह से धराशायी हो गए हैं। सरकार का काम नौकरी देना है, नौकरी छीनना नहीं।

खासतौर से तब, जब चयन प्रक्रिया में न तो कोई भ्रष्टाचार पाया गया और न ही चयनित पीटीआई अध्यापकों का कोई कसूर पाया गया। ऐसे में चयन प्रक्रिया संपूर्ण करने वाली एजेंसी की खामियों की सजा जिंदगी के इस पड़ाव पर पहुंचे इन 1983 पीटीआई अध्यापकों को क्यों मिले?

मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर व भाजपा-जजपा सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि ये नौजवान न केवल हरियाणा की माटी के बेटे-बेटियां हैं, पर पिछले 10 वर्ष में इन्होंने बेहतरीन सेवा कर सरकारी सेवा का तजुर्बा कमाया है। पीटीआई अध्यापक के तौर पर इस तजुर्बे का अपनेआप में कोई बदल नहीं।

खट्टर सरकार को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सेवा नियमों के अनुरूप पीटीआई काडर खत्म हो गया है तथा इस पद पर कोई नई नियुक्ति नहीं हो रही। पीटीआई अध्यापक से टीजीटी अध्यापक का 33 प्रतिशत प्रमोशन कोटा भी मौजूदा पीटीआई अध्यापकों की प्रमोशन या सेवा निवृत्ति के साथ साथ सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। अगर सरकार सही मंशा से हरियाणा की लंबे समय से सेवा कर रहे इन पीटीआई अध्यापकों के लिए आज भी मानवीय आधार पर छूट दे सेवा में रखने की गुहार लगाए, तो कोई कारण नहीं कि अदालत इसे स्वीकार न करे। अब यह खट्टर सरकार की भावना या दुर्भावना पर आधारित है।

लंबे समय से प्रदेश की सेवा कर रहे पीटीआई अध्यापकों को सेवा में बनाए रखने का सीधा सीधा हल आज मैंने मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर को एक पत्र लिख सुझाया है। मानवीय कारणों, लंबे तजुर्बे व भविष्य में पीटीआई अध्यापकों की नियुक्ति न करने के नियमों को देखते हुए एक विशेष कानून बना इन 1,983 पीटीआई अध्यापकों को सेवा में रखा जा सकता है।

इस कानून का मसौदा भी बनाकर मैंने मुख्यमंत्री को भेजा है। हमारी मांग है कि फौरन अध्यादेश ला इन पीटीआई अध्यापकों को नौकरी में रखा जाए व इस अध्यादेश को विधानसभा से बाद में पारित करवा कानून की शक्ल दी जा सकती है।

अब निर्णय खट्टर सरकार को करना है कि वो हरियाणा के युवाओं के साथ हैं या नौकरियां बर्खास्त करना ही भाजपा-जजपा सरकार का ध्येय बन गया है। 

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