लघुकथा : संस्कृति

कमलेश भारतीय

-बेटा , आजकल तेरे लिए बहुत फोन आते हैं ।

येस मम्मा ।
-सबके सब छोरियों के होते हैं । कोई संकोच भी नहीं करतीं । साफ कहती हैं कि हम उसकी फ्रेंड्स बोल रही हैं ।

येस मम्मा । यही तो कमाल है तेरे बेटे का ।
-क्या कमाल ? कैसा कमाल ?

छोरियां फोन करती हैं । काॅलेज में धूम हैं धूम तेरे बेटे की ।

किस बात की ?

इसी बात की । तुम्हें अपने बेटे पर गर्व नहीं होता।

बेटे । मैं तो यह सोचकर परेशान हूं कि कल कहीं तेरी बहन के नाम भी उसके फ्रेंड्स के फोन आने लगे गये तो ,,,?

हमारी बहन ऐसी वैसी नहीं हैं । उसे कोई फोन करके तो देखे ?

तो फिर तुम किस तरह कानों पर फोन लगाए देर तक बातें करते रहते हो छोरियों से ?
-ओ मम्मा । अब बस भी करो ,,,,

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